राउंड स्क्वायर की मदद से डुंगरी गाँव में कम्युनिटी सेंटर का शिलान्यास!
(मनोज इष्टवाल)
आये दिन उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से हो रहे निरंतर पलायन पर जहाँ उत्तराखंड की सरकार के पास कुछ भी कर पाने के लिए एक रोड मैप और खोखली घोषणाओं के अलावा फिलहाल कुछ नहीं दिख रहा है वहीँ राउंड स्क्वायर टीम ने सिर्फ घोषणाओं की जगह धरातल पर अब तक ऐसे कई कार्य योजनायें उतारनी शुरू कर दी हैं जो हम सबके लिए एक आइना साबित हो सकता है!
यूँ तो विश्व प्रसिद्ध दून स्कूल जहाँ शैक्षणिक क्षेत्र में विश्व भर में अपना परचम लहराती आ रही है वहीँ सामाजिक क्षेत्र में भी इस स्कूल ने हर समय सामाजिक हितों की रक्षा में अपने हाथ बढाए हैं! इस स्कूल की एक टीम बेहद संजीदगी से विश्व भर के 50 देशों के 175 विद्यालयों के साथ मिलकर राउंड स्क्वायर नामक एक संस्था के माध्यम से शैक्षिक, सामाजिक, लोक संस्कृति से जुड़े विभिन्न मुद्दों के साथ हाथ से हाथ मिलाकर काम कर रही है!
इस आर्गेनाईजेशन के संस्थापक कर्ट हन्न ने इसकी स्थापना ही इस उद्देश्य से की ताकि यह संस्था बच्चों के सर्वागीण विकास, एडवेंचर, सोशल सर्विस डेमोक्रेसी व लीडरशिप के साथ विकास की हर परिधि पर कार्य करे! डुंगरी में जब कम्युनिटी सेंटर की बात आई तब दून स्कूल के अम्बिकेश शुक्ला जिन्होंने राउंड स्क्वायर के साथ मिलकर कई इंटरनेशनल प्रोजेक्ट में भागीदारी निभाई है, कहते हैं कि उन्हीं के स्कूल के पूर्व छात्र मनीष जोशी जोकि अपने गाँव के पास ही गरुडा एडवेंचर कैंप चला रहे हैं ने उनसे गुजारिश की थी कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लिए कुछ ऐसी कार्ययोजना बनाएं ताकि ग्रामीण महिलायें स्वावलम्बी बन सकें! मनीष जोशी के अनुरोध पर उन्होंने राउंड स्क्वायर के अपने दोस्तों से बात की जिनमें मिस एलिजाबेथ ग्रे, श्रीमती कैथलीन ग्रे, और मिस्टर पॉल इंग्लैंड, मुल्ली जैक्सन टीचर कनाडा, साइमन और जूली टीचर सिंगापुर, डॉ. माइक और कैरोलिन इंग्लैंड, मिस्टर पीटर और चारमीन इंडोनेशिया, मैं स्वयं अम्बिकेश शुक्ला (डायरेक्टर ऑफ़ सोशल सर्विस एंड एक्टिविटीज दून स्कूल), डॉ. अमर लंका (रेजिडेंशियल डॉक्टर दून स्कूल), आनंद कुमार मधियान (केमिस्ट्री टीचर दून स्कूल), के सी मौर्या (कम्यूटर असिस्टेंट दून स्कूल), गौतम कुमार (इकोनॉमिक्स टीचर लौरेंस स्कूल सनावर हिमाचल प्रदेश), डॉ. सद्दीक खान (हेड एस.यू.पी.डब्ल्यू. लौरेंस स्कूल सनावर हिमाचल प्रदेश), राखी काला जोशी (टीचर सैंट मैरी स्कूल नैनीताल) अवनी जोशी (स्टूडेंट सैंट मैरी स्कूल नैनीताल), मिस्टर जोसेफ (योगा टीचर एंड सोशल एक्टिविस्ट केरल) ने मिलकर एक रूपरेखा तैयार करते हुए पट्टी पैडूलस्यूं पौड़ी गढ़वाल के डुंगरी गाँव में सीमित संसाधनों से एक कम्युनिटी सेंटर बनाने की कार्ययोजना बनाई!जिसमें प्रारम्भिक दौर में लाखों रूपये खर्च आ रहा है! साथ ही हमारी पूरी टीम ग्रामीण लोगों के साथ मिलकर श्रमदान कर रही है!
(राउंड स्क्वायर टीम)
अम्बिकेश शुक्ला बताते हैं कि इस कम्युनिटी सेंटर के निर्माण हेतु दून स्कूल द्वारा 3 लाख डोनेशन दिया गया है वहीँ मिस एलिजाबेथ लिज ग्रे ने रोटरी क्लब लन्दन से अपने प्रयासों से लगभग 2.25 लाख रूपये जुटाकर इस कम्युनिटी सेंटर के निर्माण को दिए हैं! बाकी राशि हम सब अपने व्यक्तिगत प्रयासों से इकठ्ठा कर रहे हैं!
अम्बिकेश शुक्ला ने बताया कि सिर्फ कम्युनिटी हाल बनाने के बाद हम अपने कर्तब्यों की इतिश्री नहीं करेंगे बल्कि हम महिला सशक्तिकरण, युवा वर्ग के लिए स्वरोजगार हेतु यहाँ ज्यादा से ज्यादा स्किल डेवलपमेंट के कार्यक्रम चलवाएंगे साथ ही दून स्कूल के स्टूडेंट्स के माध्यम से एलईडी बल्ब बनाने का प्रशिक्षण व अन्य माध्यमों से अन्य रोजगारों के लिए यहाँ प्रशिक्षण देंगे ताकि ग्रामीण अपने घर बैठकर अपनी जमीन से जुड़कर तकनीकी ज्ञान से अपनी अच्छी रोजी रोटी चला सकें!
ज्ञात हो कि इस से पहले अम्बिकेश शुक्ला कम्बोडिया में अडल्ट प्रोजेक्ट चला चुके हैं खासकर महिला बुनकरों के लिए! वे कई राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ के साथ इस कार्य कर चुके हैं! डुंगरी में बन रहे कम्युनिटी सेंटर के निर्माण को लेकर वे काफी उत्साहित दिखे व उन्होंने कहा कि ग्रामीण उन्हें पूरे श्रम के साथ मदद कर रहे हैं. बिशेषकर ग्रामीण महिलाओं का रुझान देखते ही बनता है!
उन्होंने अधिवक्ता पूरण सिंह नेगी की खुले मन तारीफ़ करते हुए कहा कि उन्होंने एक पल भी नहीं गंवाया और कम्युनिटी सेंटर के लिए अपनी जमीन दान में दे दी और तो और उनकी श्रीमती भी बढ़ चढ़कर श्रमदान में जुटी हुई हैं! यह पूछे जाने पर कि आपने अभी तक ग्रामीणों के व्यक्तिगत अध्ययन में क्या पाया? एक पल चुप रहकर अम्बिकेश शुक्ला मुस्कराते हुए बोले – जो आप पूछना चाह रहे हैं मैं समझ सकता हूँ! क्योंकि हमारे सिस्टम में जो करप्शन घुसा हुआ है वह हर जगह नाकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करता है! हम कम्युनिटी सेंटर बना रहे हैं व्यक्तिगत प्रयासों से सब चल रहा है लेकिन यह जरुर होगा कि किसी न किसी के मन में यह शंका होगी कि जाने कम्युनिटी सेंटर बनाने के लिए हम जाने कितना कमा रहे हैं! क्योंकि करप्शन पूरे सिस्टम में है और यह इतनी जल्दी मिटने वाला भी नहीं लेकिन हम यह सब सोचकर अपनी सामाजिक सेवाएँ तो नहीं छोड़ सकते!
अम्बिकेश शुक्ला ने दून स्कूल द्वारा किसी बड़े प्रोजेक्ट को सामाजिक क्षेत्र में स्थापित करने पर जवाब देते हुए कहा कि दून स्कूल द्वारा केदार आपदा में बही स्कूल के पुनर्निर्माण के लिए डेढ़ करोड़ की राशि से अगस्तमुनी (रुद्रप्रयाग) में तक्षशिला पब्लिक स्कूल का निर्माण करवाया है जो आज उस क्षेत्र के विद्यार्थियों के भविष्य की मिशाल बनी हुई है! उन्होंने बताया कि डुंगरी में बन रहे कम्युनिटी सेंटर का डिजाईन आईआईटी रूडकी के 5 छात्रों द्वारा तैयार किया गया. वहीँ गरुडा एडवेंचर कैम्प के मनीष जोशी का कहना है कि कम्युनिटी सेंटर निर्माण में सेतु का काम मनोज जोशी द्वारा किया गया जिन्होंने ग्रामीणों वकील साहब व कम्युनिटी सेंटर का शुरूआती नक्शा डिजाईन किया बाद में आईआईटी रूडकी के छात्रों द्वारा इसमें चार चाँद लगा दिए!
(आईआईटी रूडकी के छात्रों के साथ लेखक)
अबिकेश शुक्ला कहते हैं पहाड़ों से हो रहे निरंतर पलायन पर कहा कि यहाँ अच्छे स्कूल हों, स्वास्थ्य सुविधाएं हों व सरकार अगर तय कर दे कि सरकारी नौकरी में कार्यरत लोग अपने क्षेत्र की ही स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दें तब पलायन एकदम रुक जाएगा लेकिन मुझे नहीं लगता है कि यह सम्भव है, क्योंकि सरकारी नौकरी में आने के बाद कोई भी अभिवाहक काम नहीं करना चाहता!
उन्होंने बताया कि अभी उनकी टीम कम्युनिटी सेंटर में श्रमदान के साथ अपने विदेशी मेहमानों को परमार्थ निकेतन में योग व उत्तराखंड के धार्मिक मान्यताओं सम्बन्धी बिषय पर अध्ययन के लिए ले जायेंगे साथ ही मसूरी व लैंसडाउन भी ले जायेंगे ताकि ये अपने अपने देशों में जाकर उत्तराखंड के पर्यटन विकास की बात कर सकें! उन्होंने बताया कि विगत दिन उन्होंने पूरी टीम को पौड़ी के नागदेव, झंडीधार, गरुडा पीक से बुबाखाल तक वाइल्ड लाइफ ट्रेक करवाया जिस से सभी बेहद खुश दिखे!
(पॉल व एलिजाबेथ लिज ग्रे के साथ लेखक)
इंग्लैंड से आई एलिजाबेथ लिज ग्रे कहती हैं कि हिमालयन सिर्फ उनके लिए नहीं बल्कि विश्व भर के समुदायों के लिए बिशेष आकर्षण महत्व का बिषय रहा है. हम सभी हिमालय से बेहद प्यार करते हैं और यही कारण भी है कि उनकी माँ लगभग 78 बर्ष की उम्र होने के बाबजूद भी अपने को यहाँ आने में रोक नहीं पाई. यही उनके दोस्तों का भी हाल है लेकिन उन्हें आश्चर्य है कि इस देवभूमि के लोग लगातार अपने खेत मकान छोड़कर पलायन कर रहे हैं जोकि चिंता का बिषय है!
(शारमिन के साथ लेखक)
सिंगापुर से आई शारमिन का भी यही सोचना है कि प्रदूषण से मुक्त यह क्षेत्र योग और ऊर्जा केन्द्रित करने में बिलक्षण है. यहाँ आकर स्वाभाविक तौर पर एक ऐसी ऊर्जा का संचार मनोमस्तिष्क में होता है जिसका बखान करना मुश्किल है. यहाँ के आम जन मानस की भाषा वह समझ नहीं सकती लेकिन मेहमानों के लिए उनकी आँखों में छलकता प्यार अतुलनीय है.