पलायन के ये नीलकंठी के फूल…! जब पलायन की पीड़ा से होना होता है दो चार….!

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 5 मार्च 2016) लगभग 5 साल बाद ऐसा मौका दुबारा मिला, जब मैं गॉव से लगभग 2किमी.

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समाजसेवा कोई कवींद्र से सीखे। राजनीति अपनी जगह और कर्म में समाजसेवा अपनी जगह।

(मनोज इष्टवाल) पार्टी राजनीति को एक तरफ रख देते हैं। बात करते हैं उस समाजसेवा की जिससे परिजन भी परेशान

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देवकी….उत्तराखंड की ऐसी एक माँ जिसने देश में महामारी देखी तो जीवन भर की जमा पूंजी देश के नाम कर दी । देवकी देवी ने 10 लाख का चेक भेजा प्रधानमंत्री राहत कोष में।

(मनोज इष्टवाल) आजतक सिर्फ तीन देवकी ही मेरे जेहन में थी। एक कृष्ण भगवान की माता देवकी, दूसरी वीर वधु

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तबलीगी जमात यानि मुस्लिम कट्टरपंथ का चेहरा! क्या उत्तराखंड में भी बड़ी संख्या में हो रही है कट्टरपन्थ की एंट्री?

(सम्पादकीय/मनोज इष्टवाल) जिसका कोई संविधान नहीं, जिसका कोई पंजीकरण नहीं! सूडान में लश्कर-ए-तोयबा का आतंकवादी हामिर, कुख्यात आतंकवादी मोहम्मद सुलेमान

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डिजिटल इंडिया के माध्यम से कोरोना वायरस संक्रमण की चेन को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है 'हंस फाउंडेशन'।

(जगमोहन आजाद) कोरोना वायरस संकट के बीच देश में फंसे हजारों लोगों तक हंस फाउंडेशन की आपरेशन नमस्ते योजना के

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अपने खेत खोदता उत्तराखण्ड का पहला मंत्री। पैतृक गांव में अवकाश के दिनों रहना पसंद करते है डॉ रावत।

(मनोज इष्टवाल) यह दर्शनीय है व सुखद भी..! जिस राजनेता ने सरकारें पलट दी हों। जिस राजनेता की एकड़ों जमीन,

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करिश्माई है यहाँ की धरती..मखमली बुग्यालों और बिभिन्न फूलों से लदी रहती है प्रकृति यह अनमोल छटा।

पृथ्वी से स्वर्ग की ओर एक रास्ता….? पर्वत के लोग भाग-1हर की दून………………….यानि पृथ्वी का स्वर्ग !(मनोज इष्टवाल 25 मई

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बुरांसी गाँव से गोल्डन महाशीर कैंप..! सीला गाँव में हुआ ढाकरी यात्रियों का जोरदार स्वागत!

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 21 मार्च 2020) *हिमालय दिग्दर्शन यात्रा 2020। ढाकर शोध यात्रा…! आज सुबह सबेरे जब नींद खुली तो

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क्या आपने भी पी है घिंघारू की चाय? काश….आप भी इसके औषधीय गुणों को पहचानते।

(मनोज इष्टवाल) गढ़वाली लोकगीत जोकि हाल ही में सुप्रसिद्ध गायिका पूनम सती ने गाया है-“ननि-ननि घिंघर की दाणी, झुम्पा कैन

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पृथ्वी से स्वर्ग की ओर एक रास्ता…..! यात्रा पथ पर ओसला का जनजीवन व वहां की शिल्पी नारी….!

( मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 29-05-2013/संस्मरण-4) रात्री भोजन व दूध भरा गिलास जोत सिंहजी के घर रहा! मेरे सहपाठी सभी सरदार

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