आश्चर्यजनक…! ऑर्थो सर्जिकल चिकित्सकीय पद्धत्ति के लिए चुनौती हैं मालन लताएँ! जो टुकड़ों में विभक्त मांस पिंड व टूटी हड्डी को जोड़ लेती हैं!

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 19 मार्च 2020) हिमालय दिग्दर्शन यात्रा 2020। ढाकर शोध यात्रा….! तब बुद्धि यकीनन आज से तीन गुना

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महेडा गाँव की मेनका-विश्वामित्र! कीमसेरा के कण्व व मांडई में शकुन्तला-दुष्यंत प्रेम प्रसंग! अहा जब मालिनी नदी की विपरीत दिशा में हम लगभग 7किमी. पैदल चले! (मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 19 मार्च 2020)

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 19 मार्च 2020) हिमालय दिग्दर्शन यात्रा.. 2020! ढाकर यात्रा ! गतांक का अंतिम……! उनका मानना है कि

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हां….हमने देखी चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली! मेनका-कण्व-गौतमी आश्रम! दुष्यंत-शकुंतला का गन्दर्भ विवाह स्थल और भांधौ असवाल का रजवाड़ा।

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 19 मार्च 2020) हिमालय दिग्दर्शन ढाकर शोध यात्रा भाग-2 पर्यटन विभाग ने एक सगुफ़ा छोड़ा डार्क टूरिज्म…!

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ट्विन वैली जहां सूर्योदय-सूर्यास्त व चन्द्रोदय देखना किसी जन्नत से कम नहीं। महाबगढ़ की परछाई दिखती है हरि की पैड़ी में।

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 18 मार्च 2020) *हिमालय दिग्दर्शन यात्रा 2020। ढाकर यात्रा भाग-1 ट्विन वैली रिसोर्ट में दोपहर भोज निबटाकर

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मालू के मलसवा पर राणेसा से महाबगढ़ जाते थे भांधौ असवाल। मुगल शिवलिंग काटकर मक्का-मदीना ले गए।

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 18 मार्च 2020) *हिमालय दिग्दर्शन यात्रा 2020। ढाकर यात्रा प्रारंभ…! आप कहोगे अकल्पनीय….कोरी बकबास! ऐसा हो ही

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ढाकर….तीसरा पड़ाव! कांडाखाल से बुरांसी!

(मनोज इष्टवाल) कांडाखाल…! अर्थात हिमालय दिग्दर्शन यात्रा का दूसरा पड़ाव! तीसरे पड़ाव के लिए 20 मार्च 2020 को हम सुबह

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जड़ी-बूटियों का अनमोल खजाना है चरक डांडा! क्या “चरकसंहिता” के 120 अध्यायों का अग्निवेश/चरक ऋषि ने यहीं किया था सम्पादन!

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 2 फरवरी 2020) बचपन से लेकर अब तक एक ही बात सुनता आया हूँ कि कोटद्वार भावर

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ढाकर.. दूसरा पड़ाव- महाबगढ़ से कांडाखाल…..!

(मनोज इष्टवाल) हिमालय दिग्दर्शन यात्रा…! 16वीं सदी के महाबगढ़ व उसके गढ़पति भंधौ असवाल की वीरगाथा को नमन कर हम

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हम होंगे सिनला पार एक दिन…!वह कमजोर दिल वालों के लिए हिलाने वाला रास्ता।

(ट्रेवलाग…केशव भट्ट) शुरूआत की दुकान के बाहर हमने रुकसैक किनारे रखा और वहीं बैठकर डबल चाय के साथ बिस्कुटों का

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हम होंगे सिनला पार एक दिन…! किस्सागोई…धारचूला से दार्चुला पहुंचे उत्तराखण्डी बाराती का।

( ट्रेवलाग……केशव भट्ट) हमारे पास समय था तो नदी पार दारचूला जाने की योजना बनी। वैसे भी पार हमारे लिए

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