त्रेता युग की सूर्पनखा आज भी जिन्दा! महियांग्रा गॉव श्रीलंका में रहती हैं साढ़े सात हजार साल की महिला!
त्रेता युग की सूर्पनखा आज भी जिन्दा! महियांग्रा गॉव श्रीलंका में रहती हैं साढ़े सात हजार साल की महिला!
(मनोज इष्टवाल)
आश्चर्यों से भरी दुनिया का एक बहुत बड़ा आश्चर्य तब सामने आता है जब आपको पता चलता है कि एक महिला की उम्र लगभग साढे सात हजार बर्ष है. यानि त्रेता युग के अंतिम चरण का. अविश्वसनीय लेकिन ठोस प्रमाणों के सच के रहस्य से एक न्यूज़ चैनल ने पर्दा उठाया तो सचमुच यह चौकाने वाला सच समाने आया.
श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो से 20 किमी. दूर पेलवता के राज-महल में आज भी रावण की बहन सूर्पनखा रहती हैं. यह दावा सिर्फ हम नहीं बल्कि वहां की सरकार करती है जिसने गंगा सुदरशिनी नामक महिला को सूर्पनखा मान लिया है एवं उसे वीवीआईपी का दर्जा दिया है. गंगा सुदरशिनी उर्फ़ सूर्पनखा कहती हैं कि आज भी एक आदिवासी जनजाति रावण वंशज है और उसके मुखिया थुंगा का कहना है कि आज से लगभग 20 बर्ष पहले जब उन्होंने सूर्पनखा को और उनकी शक्तियों को देखा था वे तन ही पहचान गए थे कि यह गंगा सुदर्शिनी नहीं बल्कि सूर्पनखा हैं.
श्रीलंका के सबसे बड़े धर्मगुरु तेरो भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये सचमुच सूर्पनखा ही हैं, जिस पर विश्वास करना बेहद कठिन है. आज का पढ़ा लिखा समाज भला कैसे ऐसे दावों पर विश्वास कर ले. सूर्पनखा आज भी मंत्र जाप करती हुई कहती हैं- “ओम श्री महाराण” !
वे तेज बारिश बंद कर देती हैं तूफ़ान रोक देती हैं . वह चाहें तो हरे भरे पेड़ो को अपनी शक्तियों से पल भर में जला देती है. आज भी सूर्पनखा से मिलने के लिए जनता दरवार लगता है. और यदि यकीन न हो तो कोलम्बो की फ्लाइट लें और वहां से 210 किमी. दूर उनके गॉव महियांग्रा पहुँच जाएँ. कहते हैं श्रीलंका में अशोक वाटिका का भी पता चल चुका है जिसमें लगभग 15 हजार पेड़ अजीबो-गरीब हैं जिनकी जड़ ताड़ की और मूल वटवृक्ष है. जिसमे अजीबोगरीब बंदर रहते हैं. यही नहीं रावण के पुष्पक विमान के उतरने के चार अड्डे भी पता लगे हैं. खबर जो भी हो सच कितना है यह कह पाना सरल नहीं है क्योंकि जिसे एक सरकार सूर्पनखा मान चुकी हो और उसके प्रमाण भी हों तब आप क्या कहेंगे. लक्ष्मण द्वारा काटे गए उनके नाक, कान के निशान आज भी ऊँ पर दिखाई देते हैं लेकिन उनकी उम्र बेहद असमंजस में डाल देती है. भला कोई महिला साढ़े सात हजार बर्षो तक जीवित कैसे रह सकती है. इसका जवाब है कि गंगा सुदर्शिनी उर्फ़ सूर्पनखा जब 3 साल की थी वे तभी से अपने को सूर्पनखा कहती रही और जैसे जैसे वह बड़ी होती रही उसकी शक्तियों के आगे सब नतमस्तक हुए.