वाह रे कर्णधारों! यहां एक भी परिवार सामान्य वर्ग का नहीं फिर भी प्रधान सीट सामान्य वर्ग आरक्षित।
(मनोज इष्टवाल)

भई मानना पड़ेगा कमाल के कारीगर हैं पंचायतराज विभाग वाले। जहां आरक्षित सीट होनी चाहिए थी वहां सामान्य हैं और जहां सामान्य होनी चाहिये वहां आरक्षित कर दी गई हैं । वैसे तो प्रदेश भर में ऐसी सैकड़ों खामियां दिखने सुनने को मिल रही हैं लेकिन गढ़वाल मंडल मुख्यालय का जिला पौड़ी इन दिनों ज्यादा चर्चाओं में है क्योंकि वहां दो ग्राम पंचायत जो पूर्व रूप से शिल्पकार बाहुल्य हैं व जहां सौ प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग निवास करते हैं।
विकास खण्ड पाबौं का सिमखेत गांव हो या या फिर विकास खण्ड पोखडा का ओडग़ांव, दोनों ही अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र हैं व दोनों ही जगह इस त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव के लिए ग्राम प्रधान की सीट अनारक्षित कर दी गयी हैं। ग्राम सभा सिमखेत की प्रधान सीट सामान्य यानि यहां सामान्य वर्ग का व्यक्ति कोई भी चुनाव लड़ सकता है जबकि ओडग़ांव में सामान्य वर्ग की महिला ही ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ सकती है।
जिला प्रशासन की अगर बात मानें तो उनका कहना है कि प्रदेश भर से लगभग 75 आपत्तियां इस बार दर्ज हुई हैं जिनका निस्तारण होना है तो उम्मीद की जा सकती है कि इस प्रक्रिया में इस समस्या का निस्तारण किया जाना सम्भव है।
हास्यास्पद तो यह है कि क्या पंचायतराज विभाग के कर्मी अधिकारी अफीम खाये इस सब पर अभी तक काम कर रहे होंगे क्योंकि जितनी गड़बड़ियां इस समय इस त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में नजर आ रही हैं वह इस से पहले कभी नहीं आई। अब दूरदराज के लोग भला कैसे मात्र एक दिन के समय में इस बरसाती मौसम में अपनी आपत्तियां लेकर पहुंच पाते। कुमाऊं मंडल मुख्यालय अल्मोड़ा में तो 174 आपत्तियां दर्ज हुई हैं जबकि पौड़ी में मात्र 75 ही आपत्तियां दर्ज होने की बात है। ऐसे में पंचायतराज व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न उठने लाज़िम हैं। और तो और यहां मतदान नामावली में भी कई झोल दर्ज है क्योंकि जो व्यक्ति अपनी रोजी रोटी के लिए बाहर ग़या उसी का नाम मतदान लिस्ट से गायब हो जाता है बिना यह जाने कि वह अपना नाम ग्राम पंचायत रजिस्टर से कटवाकर अन्यत्र ले ग़या है या नहीं। इससे पर्वतीय क्षेत्र को नुकसान यह हो रहा है कि यहां लागतार मतदाता घट रहे हैं व ग्राम पंचायतों का दायरा सिकुड़ रहा है। इसका खामियाजा आने वाले समय में भी पहाड़ी क्षेत्र के नौ जिलों को उठाना पड़ेगा क्योंकि वहां की विधान सभा सीटें अगले विधान सभा चुनाव तक घट सकती हैं।
बहरहाल सिमखेत व ओडग़ांव जैसे ही कई और मामले पौड़ी जिले में प्रकाश में आये हैं जहां सामान्य वर्ग में आरक्षित और आरक्षित में सामान्य सीट की बातें सामने आ रही हैं।