गोलज्यू देवता घोड़ाखाल के पुजारी पिंगलनाग पिथौरागढ़ से…!

गोल्जू घोडाखाल के पुजारी पिंगलनाग पिथौरागढ़ से …!
(मनोज इष्टवाल)
न्याय देवता गोरिल पर फिल्म बनाते समय हम उन हर पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं जो जरुरी है. घोडाखाल के गोल्जू देवता के मुख्य पुजारी श्री केदार दत्त जोशी से मिली जानकारी से ज्ञात हुआ कि उनके दादा जी आकर घोडाखाल बसे थे. यानि वर्तमान में मंदिर में चौथी व पांचवीं पीढ़ी है.

विगत दो बर्ष पूर्व गोल्ज्यू देवता के बारे में जानकारी जुटाते हुए  सौभाग्य से गंगोलीहाट होते हुए हम पिंगलनाग जा पहुंचे. बेरी नाग के पास पिंगल नाग का मंदिर पिंगल नाग गॉव के पास घनघोर देवदार व बाँझ जंगल में है.
यह आश्चर्य की ही बात है कि नाग मंदिर जहां भी हैं वहां आस पास दलदली जमीन या पानी का स्रोत जरूर होता है। यहां भी मंदिर के दायीं ओर एक कुंवा है जिसे देवता का पानी  कहते हैं।

जब यहाँ भी मैंने एक सुंदर से मैदान के बीच पिंगलनाग  पौराणिक मंदिर देखा तो सोचने लगा आखिर नाग देवता अपना आसरा बाँझ वृक्षों के बीच ही क्यों बनाते रहे होंगे यह सचमुच शोध का विषय हो सकता है क्योंकि मैंने ज्यादातर नाग मंदिर बाँझ वृक्षों के बीच ही देखे हैं.

मंदिर परिसर में रात्री विश्राम हेतु धर्मशाला इत्यादि बनी हुई हैं साथ ही मंदिर के दायीं ओर एक पानी का नौला है जिसमें शुद्ध बाँझ की जड़ों से पानी निकलकर आता है.
जोशी परिवार जोकि यहाँ के पुजारी हैं उनकी बेटी ममता जोशी ने बताया कि यहाँ हर साल कार्तिक माह में मेला लगता है जिसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं. उनका कहना है कि पर्यटन व धर्म संस्कृति की दृष्टि से यह मंदिर बेहद ख़ास और पौराणिक है लेकिन प्रदेश सरकार ऐसे पौराणिक मंदिरों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर रही है.
वहीँ घोडाखाल मंदिर के पुजारी जीवन चंद जोशी बताते हैं कि वे आज भी अपने पैत्रिक गॉव से सम्बन्ध बनाए हुए हैं हर सुख दुःख में उनका परिवार का यहाँ आना जाना लगा रहता है. यह सुखद है कि पांचवी पीढ़ी के बाबजूद भी उनका अपने पैत्रिक गॉव से समबन्ध कायम है. उन्हें ख़ुशी है कि वे अपने इस प्रोजेक्ट के साथ पिंगल नाग की सुरम्य वादियों में पहुंचे व उन्होंने उम्मीद जताई कि अगला प्रोजेक्ट यहीं पूरा करेंगे.

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