35 साल दुर्गम में नौकरी के बाद भी नहीं मिला राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका को स्वैच्छिक विद्यालय!

देहरादून 30 जून 2018 (हि. डिस्कवर)
पहले अति-दुर्गम और अब सडक मार्ग से जुड़ जाने के बाद दुर्गम में शामिल प्रा. विद्यालय जोगीमढ़ी बीरोंखाल में अपनी 35 बर्ष तक सेवाएँ देने वाली शिक्षिका श्रीमती शकुन्तला इष्टवाल के साथ भी भ्रष्ट तंत्र ने वही किया जो वह करता आया है! बिना सिफारिश या लेन देन के राज्य पुरस्कार प्राप्त यह महिला शिक्षिका 35 साल दुर्गम में बिताने के बाद अपनी सेवानिवृत्ति के कुछ एक साल सुगम में ऋषिकेश पार यमकेश्वर विकास खंड में बिताना चाहती थी ताकि देहरादून स्थित आवास में महीने में एक आध बार आ जा सके! लेकिन उनकी स्वैच्छिक ट्रांसफर की इस इच्छा पर इसलिए पानी फिर गया क्योंकि उन्होंने बिना लेन-देन किये स्थानान्तरण माँगा था!
जानकारी के आधार पर पता चला है कि उन्हें एकेश्वर विकास खंड के नंदाखाल में स्थानांतरित कर दिया गया है जिस से वह बहुत व्यथित हैं! उनका कहना है कि शिक्षा विभाग में सेवाएँ देते हुए उन्हें गर्व होता है कि उनके पढाये बच्चे अच्छे अच्छे पदों पर देश की सेवा कर रहे हैं! यही कारण भी था कि दुर्गम में अच्छा कार्य करने के लिए उन्हें राज्य सरकार द्वारा राज्य पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया लेकिन अब जबकि वह सेवानिवृत्ति के बेहद करीब हैं ऐसे में उन्होंने स्वैच्छिक स्थानांतरण हेतु विभाग को लिखा था जिसका उन्हें विश्वास भी दिलाया गया था लेकिन विभाग के करप्ट सिस्टम ने उन्हें मन माफिक स्थान न देकर उनकी 35 साल लगातार अति दुर्गम व दुर्गम में सेवाएँ देने का यह प्रतिफल दिया है!

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