2005 से वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजाति और जनजातीय समुदाय को वन अधिकार की मान्यता।

देहरादून 31 जुलाई, 2018(सू.ब्यूरो)
मुख्य सचिव  उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में राज्य निगरानी समिति की बैठक सचिवालय में हुई। वन अधिकारों की मान्यता संबंधी बैठक में मुख्य सचिव ने दो महीने के अंदर लंबित प्रकरणों के निस्तारण के निर्देश दिए। यह भी कहा कि यह बैठक निर्धारित अवधि में नियमित रूप से होनी चाहिए।
बैठक में बताया गया कि वन अधिकार के 6594 दावों का निस्तारण किया गया है। 71 दावे लंबित हैं। लंबित दावे पौड़ी गढ़वाल, हरिद्वार और पिथौरागढ़ के है। अधिनियम के अनुसार 13 दिसम्बर 2005 से पहले वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजाति और जनजातीय समुदाय को वन अधिकार की मान्यता दी जाती है। अन्य परम्परागत वन निवासी को 13 दिसम्बर 2005 से पहले तीन पीढ़ियों(75 वर्ष) से वन भूमि पर काबिज होने पर वन अधिकार प्राप्त होता है। अधिकार प्राप्त हो जाने पर वन भूमि पर खेती करने जैसे व्यक्तिगत अधिकार और वन लघु उत्पादों के संग्रह जैसे सामुदायिक अधिकार मिल जाते हैं।
बैठक में सचिव ग्राम्य विकास पंकज कुमार पाण्डेय, सचिव राजस्व  विनोद प्रसाद रतूड़ी, अपर सचिव समाज कल्याण बी.आर.टमटा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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