158 नियुक्तियों पर घिरने लगे गोबिंद कुंजवाल..! हो सकती हैं नियुक्तियां रद्द व कुंजवाल पर कार्यवाही!
158 नियुक्तियों पर घिरने लगे गोबिंद कुंजवाल..! हो सकती हैं नियुक्तियां रद्द व कुंजवाल की बढ़ सकती हैं मुसीबतें!
(मनोज इष्टवाल)
- चपरासी से लेकर अपर निजी सचिव तक भर्तियों का फर्जीवाड़ा.
- अकेले विधान सभा क्षेत्र जागेश्वर के 32 लोगों की भर्ती
- जनहित याचिका दाखिल
- विधान सभा अध्यक्ष को तीन हफ्ते में जबाब दाखिल करने के आदेश.
राजनीति भी अजब गजब की चीज है ..जब ब्यक्ति कुर्सी पर होता है तब उसका अहंकार इतना होता है कि उसे अपने आस-पास सब कीड़े मकोड़ों से अधिक कुछ नहीं लगते. वह खुद को खुद से कहता दिखाई देता है-“अहम ब्रह्मसि” ! लेकिन सत्ता का नशा तभी तक है जब तक वह उसमें चूर होकर उस मदमस्त हाथी की तरह होता है जो पूरी रौ में हो तो उसे कोई दिखता ही नहीं है.
कल तक जिन गोबिंद कुंजवाल के आगे पीछे एक भीड़ चल देती थी आज उन्हीं की पार्टी का एक विधायक तक उनके साथ कभी आते जाते दिखा हो यह कह पाना जरा असम्भव है. कुंजवाल विधान सभा अध्यक्ष रहते हुए एक के बाद एक भर्ती करते रहे और पक्ष विपक्ष मूक होकर यह सब देखता रहा. राजनीति के कद्दावर नेता कहे जाने वाले डॉ. हरक सिंह रावत ने इसका विरोध भी किया था लेकिन तब तक पूर्व विधान सभा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ऐसी जुगलबंदी थी कि अहम और अहंकार की परिभाषा ने सब बदलकर रख दिया था.
अब जबकि भाजपा सरकार सत्ता में है और कांग्रेस के मुट्ठी भर विधायक विपक्ष में, ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या ये मुट्ठी भर विधायक क्या ऐसी परिस्थिति में गोबिंद कुंजवाल के साथ खड़े होंगे जबकि उनके कार्यकाल में 158 भर्तियों का मामला कोर्ट जा पहुंचा है. और हाई कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल को तीन हफ्ते में जबाब दाखिल रखने के आदेश जारी कर दिए हैं.
सिर्फ 158 भर्तियों की बात हि होती तो शायद मामला किसी हद तक शान्ति भी हो सकता था यहाँ प्रकरण उनकी खुद की बहु का भी है जो विधान सभा से वेतन तो पाती रही लेकिन एक भी दिन विधान सभा भवन में ड्यूटी नहीं की.
इस मामले में बागेश्वर निवासी राजेश चंदोला ने भी रिट दाखिल करते हुए चुनौती दी है कि विधान सभा में जितनी भी नियुक्तियां पूर्व विधान सभा अध्यक्ष गोबिंद कुंजवाल के कार्यकाल में हुई है सब नियम विरुद्ध हैं. इस मामले को भाजपा चुनाव से पूर्व भी उठा चुकी है जिसकी सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति केएम् जोसेफ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में चली.
जहाँ एक ओर जागेश्वर विधायक व पूर्व अध्यक्ष गोबिंद कुंजवाल पर भाजपा सरकार भी हलफनामा दाखिल करने का मन बना रही है वहीँ सूत्रों का कहना है कि उनका निजी सचिव भी लपेटे में आ सकता है जिसने भेड़ बकरियों की तरह नियुक्तियाँ की व प्रत्येक नियुक्ति पर लाखों रूपये की लेन-देन की है. सूत्र चुनाव से ऐन पहले पकडे गए विधान सभा कर्मी से लाखों की रकम को भी इसी प्रकरण से जोड़कर देख रही है.
अब देखना यह बाकी रह गया है कि सत्ता में रहकर दलाली के भागीदार अब वर्तमान सरकार भी बनी रहेगी या फिर जैसे सुनने में आ रहा है कि विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल इस प्रकरण में कोई कोताही नहीं बरतना चाहते और इसकी विभागीय जांच के साथ हाईकोर्ट में हलफनामा सरकार की ओर से दाखिल करने का मन बना चुके हैं.
अब अगर ऐसा हुआ तो यकीन मानिए 158 भर्तियों पर जहाँ तलवार लटकेगी वहीँ पूर्व विधान सभा अध्यक्ष गोबिंद कुंजवाल की मुसीबते भी बढ़ सकती हैं!