प्रखर उत्तराखंडी लोकसाहित्य के मर्मज्ञ डॉ. नन्द किशोर हटवाल ने जनकवि गिरीश तिवारी “गिर्दा” को याद करते हुए उनके कुछ जनगीतों को अपनी आवाज देते हुए गिर्दा के बारे में अपने खयालात कुछ इस तरह रखे!
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- सुरकंडा की घाटियों में गूंजता उषा का वह ढोल! उषा देवी ने ढोल काँधे पर ही नहीं टांगा बल्कि देवताओं की जागरों से अपनी पौराणिक प्रथा को भी जीवन दिया!
- पतंजलि योगपीठ के नव निर्मित आचार्यकुलम भवन के लोकार्पण!