हैडाखान …जहाँ शिब ने गौतमी को पुकारा और वह प्रकट हुई! गुफा में भक्त गुमानी ने आँखें मूंदी तो खुद को हरिद्वार में पाया!

(मनोज इष्टवाल)

*हैडाखान बाबा मंदिर…जहाँ पूरे विश्व समुदाय के लोग आते है योग साधना व मनोरथ सिद्ध करने!

*एक हजार से अधिक अंग्रेज जोड़े करवा चुके हैं यहाँ शादी!

*लुगड़, कलसा व गौला के संगम पर है बाबा हैडाखान का मंदिर !

हैडाखान बाबा मंदिर व समाधि स्थल

सचमुच यह हैरतअंगेज कर देने वाली बात है क्योंकि आस्था का सैलाव अगर कहीं आपको देखना हो तो आप यहाँ जरुर आइये! जहाँ आपको स्लेविनिया, कनाडा, जापान, अमेरिका, स्पेन, बुल्गारिया, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस ही नहीं बल्कि विश्व भर के समुदाय का जमावड़ा मिलेगा! यहाँ कण-कण में भक्ति और शक्ति दोनों एक दूसरे की परीक्षा लेती दिखाई देती हैं! यह ऐसा निर्जन स्थान है जहाँ आपका दूरभाष से सम्पर्क कट जाता है! यहाँ गर्मियों में तपिस तो है लेकिन पेड़ों की शीतल छाँव में बहती मंद-मंद हवा आपके कानों में ॐ नम: शिवाय का जाम करवाती सी आपको शुकून के हिलोरे देती आगे बढती है! यहाँ कण-कण में आपको भक्ति भावना का अनूठा स्पर्श मिलेगा! रात को रात की रानी के फूलों की बयार और दिन में पूरे परिसर की सफाई व्यवस्था पर जुटे विदेशी यकीनन आपकी यहाँ तक पहुँचने की साड़ी थकान मिटा देते हैं! ऐसी ही भूमि के दर्शन कर आप धन्य हो जाते हैं जिसे बाबा हैडाखान कहते हैं!

हैडाखान बाबा (हैडाखंडी महाराज)

यूँ तो बाबा के पूरे विश्व भर में जाने कितने स्थान हैं लेकिन यहाँ बाबा ने अपनी पूरी जिन्दगी खफाई! यहीं उन्होंने योग-भोग और स्वर्ग प्राप्त किया यहीं उन्हें श्री श्री 1008 से अविभूषित किया गया और यहीं उनके चमत्कार से विश्व की कई जानी मानी हस्तियाँ नतमस्तक होने आती हैं जो उनके आशीर्वाद से फली-फूली हैं!

हैडाखान बाबा आश्रम पहुँचने के लिए आपको देश या विदेश के किसी भी कोने से पन्तनगर तक फ्लाइट पकडनी होगी! या फिर रेल बस व खुद के वाहन से हल्द्वानी या काठगोदाम तक का सफर करना होगा जहाँ से आप गौला पार होते हुए ओखलढुंगा, रौशला, स्यूडा से मुर्कुडिया से आपको बाएं मुड़ते हुए हैडाखान पहुँचते हैं! यह बेहद हैरत में डालने वाली बात है कि इस से पूर्व कलसा, लुगड (लोहगाड/लोहनदी) गौला नदी अंतर्ध्यान हो जाती हैं लेकिन संगम के बाद अचानक इस स्थान पर प्रकट होती हैं! बाबा हैडाखान के भक्त व वर्तमान में पुजारी गौरहरी बताते हैं कि वे बचपन में ही घरत्याग कर बाबा के पास आ गए थे व सन 1975 से लेकर अब तक यहीं हैं! मूल रूप से गौरहरी पुजारी जी चौखुटिया के हैं ! उन्होंने स्कन्धपुराण में लिखित श्लोक – “ॐनतोSस्मि गौतमीगंगा पातालतल वासिनीम! हैडाखंडी शिवस्मैव सर्वार्थ भुर्विनिर्गताम!!” का जाप करते हुए बताया कि यह वह भूमि है जहाँ विश्व पालक शिब जी के आवाहन पर गौतमी गंगा प्रकट हुई! बाबा हैडाखान के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि भले ही बाबा 12 फरबरी 1984 में समाधि ले ली थी लेकिन आज भी यहाँ के लोग बाबा को विभिन्न रूपों में यहाँ देखते हैं !

हैडाखान मंदिर समूह

पुजारी गौरहरी नवदुर्गा मंदिर समूह के नीचे बनी गुफा के बारे में जानकारी देते हैं कि पहले न हैडाखान क्षेत्र में कोई मन्दिर था न इस ओर! बाबा इसी गुफा में साधना करते थे और फिर भक्तों ने मिलकर बाबा के समाधि स्थल व मंदिर की स्थापना की व यहाँ इन मन्दिरों का निर्माण कार्य करवाया ! आज यह एक ट्रस्ट बन गया है! वे बताते हैं कि बाबा के पास एक बार गुमानी भक्त आये और बोले- बाबा, मन कर रहा था कि इस बार हरिद्वार कुम्भ नहाऊं! बाबा उन्हें गुफा के अंदर ले गए और उन्हें कहा कि आओ हरिद्वार कुम्भ स्नान को चलते हैं! गुमानी भक्त ने इसे अविश्वास समझा! बाबा ने उन्हें कहा पूरे मनोयोग से आँखें बंद करो और ओम नम: शिवाय का जाप करो! गुमानी भक्त ने वही किया और कुछ ही देर में अपने को बाबा के साथ हरिद्वार हर की पैड़ी पर पाया जहाँ साधू संत स्नान कर रहे थे! वे बताते हैं कि गुमानी भक्त ने ये सब बातें उन्हें आकर बताई हैं तब से वे बाबा के अनुनय भक्त हो गए थे!

पुजारी गौरहरि महाराज के साथ लेखक

बाबा के बारे में जानकारी देते हुए पुजारी गौरहरि जी कहते हैं कि अब मुझे ही ले लीजिये जिन्दगी भर कभी स्कूल नहीं देखा ! बाबा ने मुझे कहा कि कब तक यूँहीं काला अक्षर बने रहोगे! उन्होंने मुझे ॐ नम: शिबाय लिखना सिखाया! रोज कहते और अच्छा और अच्छा लिखते जाओ! आखिर प्रभु की जाने कब कृपा हुई यह मन्त्र भी सिद्ध हो गया और मैं लिखना पढ़ना ही नहीं सीखा बल्कि आज धर्मग्रन्थों के सभी संस्कृत के श्लोकों को समझने व शुद्ध उच्चाहरण करने लगा हूँ! उन्हें मैं यह पूछना तो भूल गया कि क्या उनका जन्म से ही नाम गौरहरि है लेकिन उन्होंने इतना जरुर बताया कि वे जाति के बिष्ट हैं!

मंदिर में प्रवेश से पूर्व गौतमी में जलस्नान (पंचस्नान) करती कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की छात्राएं)

गौतमी नदी के यहाँ प्रकट होने पर जब मैंने अविश्वास जताया तब उन्होंने कहा कि जाने लोग गौला नदी को क्या मानते हैं लेकिन कलसा नदी जोकि घोडाखाल व गागर टॉप से निकलती है, लुगड़ जो बनौलिया से निकलती है व गौला के संगम में महादेव के आवाहन पर ही गौतमी नदी प्रकट हुई जिसका बर्णन स्कन्ध पुराण में मिलता है! इसके 6कोस ऊपर कुर्मांचल का कैलास जिसे हम छोटा कैलाश कह सकते हैं वह है!

आपको बता दें कि जब आप हैडाखान बाबा के मंदिर पहुँचते हैं तब आपको हैडाखान मंदिर की परिधि में लगभग आधा किमी. दूरी पर नदी के बीच में हनुमान मंदिर, तीन सौ से मीटर की दूरी पर नवदुर्गा मंदिर जिनमें हैडाखंडेश्वरी माँ के साथ गणेश व भैरव, सीता माता मंदिर के साथ रामसीता, हनुमान राधाकृष्ण, दतात्रेय महाराज के साथ भैरवनाथ, गुरु गोरखनाथ के साथ हनुमान जी , ब्रह्मा जी, बिष्णु भगवानजी, कार्तिकेय महाराज, सूर्यभगवान्, व गौतमी गंगा मन्दिर व उसकी बगल में हवन कुंड दिखेगा जहाँ हवन होते हैं व सैकड़ों शादियाँ भी हुई हैं! मंदिर के प्रवेश द्वार के दाहिनी ओर पुरातन गुफा है व उससे थोड़ी ही दूरी पर मछलियों का तालाब जहाँ वे स्वछन्द क्रीडा करती नजर आएँगी!

विदेशी भक्त के साथ पुजारी गौरहरी जी

पुजारी गौरहरी जी बताते हैं कि हमारी संस्कृति और परंपराओं में सात समंदर पार के लोगों की गहरी आस्था है। इसी विश्वास के चलते सैकड़ों विदेशी सात जन्मों का साथ निभाने की कसमें खाने और विवाह करने के लिए हैड़ाखान पहुंचते हैं। यही नहीं विवाह के बाद दूल्हा-दुल्हन का नामकरण भी किया जाता है।

हवनकुंड जहाँ हर बर्ष विदेशी हिन्दू धर्म परम्पराओं के अनुसार विवाह रचाते हैं

वहीँ दूसरी ओर रानीखेत में भी हर साल शारदीय नवरात्र में विजया दशमी के दिन चिलियानौला स्थित हैड़ाखान मंदिर में होने वाले जगदंबा महायज्ञ में विदेशी श्रद्धालु अग्नि को साक्षी मानकर हिंदू परंपरा के अनुसार दांपत्य जीवन में बंधतेे हैं। खास बात यह है कि शादी के बाद नवदंपति का हिंदू रस्म के साथ नामकरण भी किया जाता है। 1974 से अब तक यहां एक हजार से अधिक विदेशियों ने विवाह किया है। चिलियानौला में हैड़ाखान मंदिर की स्थापना 1973 में हुई थी। पहले बाबा की कुटिया बनाई गई, उसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ। बाबा हैड़ाखान के प्रति देश ही नहीं विदेशी लोगों में भी श्रद्धा है। आश्विन नवरात्र में हर वर्ष यहां जगदंबा महायज्ञ का आयोजन किया जाता है। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा कनाडा, जापान, अमेरिका, स्पेन, बुल्गारिया, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रसिया से भी बाबा के श्रद्धालु पहुंचते हैं। नवरात्र की दशमी के दिन बाबा की श्रद्धा के कारण ही विदेशी भक्तजन भारतीय संस्कृति के अनुसार अग्नि को साक्षी मानकर विवाह रचाते हैं। यज्ञशाला में पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विवाह की रश्म अदायगी होती है। स्थानीय महिलाएं मंगलगीत गाती हैं। सैकड़ों भक्तजन इस रश्म के गवाह बनते हैं। विवाह के बाद ब्राह्मणों द्वारा नव दंपति को भारतीय नाम दिया जाता है। 

हैडाखान बाबा आश्रम !

यहाँ पहली बार जब विवाह आयोजित हुआ तब हवनकुंड बीच नदी में बनाया गया था जिसके फेरे लेने के बाद से यहाँ हर बर्ष शादियाँ होती रहती हैं! गौरहरी जी बताते हैं कि फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की माँ व प्रियंका चोपड़ा यहाँ बर्षों से आ रहीं हैं लेकिन फिल्म स्टार शम्मी कपूर को तो उन्होंने तभी से बाबा के यहाँ आते देखा जब से वे यहाँ आये हैं! वे बताते हैं कि शम्मी कपूर
प्रसिद्ध धाम हैड़ाखान (भीमताल) को वह अपना मायका मानते थे। सन् 1975 में शम्मी कपूर ने हैड़ाखान बाबा के पहली बार दर्शन किए और पहली बार आशीर्वाद लिया। यह ऐसा दौर था कि शम्मी कपूर एशियाई सिनेमा में गहरी पैठ बना चुके थे।  बाबा के परम भक्त व हैड़ाखान मंदिर के प्रमुख ट्रस्टी के रूप में वह मंदिर के समस्त कार्य कलापों में हिस्सा लेने लगे। उनका मंदिर से लगाव इस कदर बढ़ा कि उन्होंने अपने पुत्र निक्की कपूर का विवाह वर्ष 1982 में हैड़ाखान मंदिर में किया। इस दौरान राजकपूर से लेकर शशि कपूर का पूरा परिवार शम्मी कपूर के साथ हैड़ाखान पहुंचा था। यह परिवार पांच दिन तक हैड़ाखान में रहा। यहां बता दें कि हैड़ाखान मंदिर में वर्ष 1975 से आगमन के बाद शम्मी कपूर ने गेरुवा  वस्त्र व रुद्राक्ष की मालाएं पहननी शुरू कर दी थी। यही नहीं बाद के वर्षो में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व.राजेश पायलट व उनकी पत्‍‌नी रमा पायलट की शम्मी जी से यहीं मित्रता हो गई थी। 

पुजारी जी बताते हैं कि आम जन का मानना है कि उन्होंने बाबा हैडाखान को 1884 में प्रकट होते देखा है! कोई बताते हैं कि उन्होंने अस्कोट के निकट गोरी गंगा में छलांग लगा दी थी जिसके बाद वे अंतर्ध्यान हो गए और रूस में प्रकट हुए! बाबा का एक रूप कभी नहीं रहा ! वे कभी युवा दिखाई देते तो कभी सौ साल के बुजुर्ग! उनका नाम मुनीन्द्र महाराज बताया जाता रहा है लेकिन हैडाखान आने के बाद तो हम उन्हें हैडाखान महाराज कहकर ही पुकारते थे! उन्हें लोग हनुमान, कृपाचार्य, अश्वस्थामा व चिरंजीवी का अंश मानते हैं! वे कभी सोये भी हैं यह उन्हें भी जानकारी नहीं है क्योंकि उन्होने हमेशा उन्हें सिद्धासन या फिर गौमुखासन में ही देखा है!

गौरहरी पुजारी जी का कहना है कि एक बार शम्मी कपूर की यहाँ उन्हीं की लाई मिठाई खाने से तबियत खराब हो गई! वह मिठाई बाबा ने उन्हें स्वयं तब खिलाई जब उनके साले ने कहा कि ये डायबिटीज के मरीज है व इनके लिए यह जहर है! मिठाई खाने के बाद वे चल फिर नहीं सके व उन्हें किसी भी हालत में हल्द्वानी ले जाने की तैयारी होने लगी! बाबा का चमत्कार देखिये उन्होंने उन्हें ऐसे हालत में भी हवन कुंड में खीर की आहुति डालने को कहा! वे चल तक नहीं पा रहे थे लेकिन बाबा ने कुन्तलों बजन के शम्मी कपूर को बगल से पकड़ा और 84 सीढियां यूँ चढा दी मानों वे फूल हों! मुंबई से फोन आया कि शम्मी कपूर को अब कोई डायबिटीज नहीं है व वे पूरी तरह से निरोग हो गए हैं!

विकास खंड भीमताल के हैडाखान व धारी के उठूँवां ग्राम सभा अंतर्गत ऐसे जाने कितने चमत्कार बाबा हैडाखान के बारे में यहाँ आये दिन सुनने को मिलते हैं! कोई कहता है कि बाबा कभी भी कहीं भी किसी भी रूप में दर्शन दे देते हैं तो कोई कहता है बाबा में उड़ने की अतुलनीय शक्ति है वह कभी भी प्रकट हो जाते हैं! अब मेरा दुर्भाग्य देखिये कि मैं बाबा हैडाखान जिन्हें हैडाखंडी भी बोलते हैं के धाम तो गया लेकिन न मंदिरों में ही जा पाया न उनके समाधि स्थल पर क्योंकि हिन्दू धर्म ग्रन्थों के हिसाब से मेरे बड़े भाई का अभी बार्षिक श्राद्ध नहीं हुआ है इसलिए ये सभी परहेज करनी ही पड़ेंगी ! फिर भी मैं तहेदिल कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खनस्यू की छात्राओं, स्टाफ व वार्डन का हृदय से धन्यवाद दूंगा जिन्होंने मुझे लालायित किया कि मैं बाबा के मंदिर की यात्रा करूँ व उन पर कुछ लिखूं! छात्राओं ने बताया कि व क्षमता संवर्धन हेतु इस टूर पर आई हैं व बाबा हैडाखान सम्बन्धी जानकारी जुटाकर कोशिश करेंगी कि उनसे या उनके व्यक्तित्व के प्रकाश में उन्हें उजाले की किरण मिले जिससे वे अपने भविष्य की सुनहरी नींव रख सकें! बाबा हैडाखान का आशीर्वाद हुआ तो अगली बार पुन: दर्शन के लिए आउंगा! कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय परिवार पर बाबा हैडाखान का आशीर्वाद बना रहे यही मेरी प्रार्थना है! उम्मीद है आप भी हैडाखान बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने जरुर यहाँ पहुंचेंगे!

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