हिलमेल संस्था का प्रवासी पहाड़ियों के माध्यम से सरकारी रैबार!

देहरादून 5 नवम्बर 2017 (हि. डिस्कवर)

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य स्थापना दिवस के 17 साल होने पर आयोजित रैबार कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि ‘रैबार’ का मुख्य उद्देश्य है कि हम सब मिलकर राज्य के सर्वागींण विकास के लिए एकजुट होकर सोचे और राज्य को तीव्र विकास की धारा से जोड़ें। उन्होंने कहा राज्य स्थापना के 18वें साल में प्रवेश कर रहा है। तरूण अवस्था से युवा अवस्था में प्रवेश कर रहे उत्तराखण्ड को किस तरह आगे बढ़ाना है। इस पर सब मिलकर विचार करें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पदों पर आसीन उत्तराखण्ड मूल के प्रतिष्ठित लोगों के साथ इस बारे में गहनता के साथ चर्चा होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले सात माह में राज्य सरकार ने गुड गवर्नेंस एवं भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के लिए प्रभावी कदम उठाये हैं। जन समस्याओं के निदान के लिए समय-समय पर जन संवाद किये जा रहे हैं। जन शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए टोल फ्री नम्बर-1905 पर शिकायत की जा सकती है। प्रशासनिक सुधार के लिए सचिवालय से ब्लाॅक स्तर तक बायोमेट्रिक हाजिरी प्रारम्भ की गई है। सेवा के अधिकार में 162 नई सेवाएं जोड़ी गई हैं। डी.बी.टी के माध्यम से कृषि उर्वरक सब्सिडी प्रारम्भ करने वाला उत्तराखण्ड देश पांचवा राज्य है। कलस्टर आधारित खेती पर राज्य सरकार का विशेष फोकस है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी करने का निर्णय लिया है। चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक जिला अस्पतालों में आईसीयू बनाये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 06 माह में परिवहन एवं ऊर्जा के क्षेत्र में लक्ष्य से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है।
उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री के सचिव भाष्कर खुल्बे ने कहा कि राज्य के विकास के लिए हम क्या कर सकते हैं, इसके लिए सबको एकजुट होकर चिंतन एवं मंथन कर कार्य करने होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के तीव्र विकास के लिए कौशल विकास पर विशेष बल देना होगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय आवश्यकताओं की मैपिंग कर उसके अनुरूप योजना बनानी होगी। हर जिले के लिये कम से कम अगले 10 वर्ष की आवश्यकताओं की मैपिंग की जानी चाहिए। पर्वतीय जनपदों में वोकेशनल ट्रेनिंग की जरूरतों का अध्ययन कर उसकी व्यवस्था की जाय। पाठ्यक्रम में उत्तराखण्ड के पर्यटन एवं कृषि को जोड़ा जाय। राजधानी और अन्य शहरों में स्वच्छता पर भी ध्यान देना होगा। इससे निवशकों और पर्यटकों में अच्छा संदेश जाता है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन  अश्विनी लोहानी ने कहा कि उत्तराखण्ड के विकास के लिए पर्यटन को बढ़ावा देना होगा। उत्तराखण्ड को भारत का स्विट्जरलैण्ड बनाने के लिए नये हिल स्टेशनों को डेवलप करना जरूरी है एवं उनका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार भी जरूरी है। हिल स्टेशनों के लिये मास्टर प्लान की आवश्यकता पर बल दिया। कोस्टगार्ड के डायरेक्टर जनरल श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि अब युवा उत्तराखण्ड की दशा और दिशा बदलने का समय आ गया है। उत्तराखण्ड के चहुमुखी विकास के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा, स्वच्छता, स्वरोजगार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को समृद्ध राज्य बनाने के लिए युवाओं में ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा एवं कड़ी मेहनत के संस्कार देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि छात्रों को प्रेरित करने के लिए आईएएस अधिकारी स्कूलों में जा रहे हैं, यह एक अच्छी पहल है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि छात्रों से संवाद स्थापित करने के लिए उन्हें भी मौका मिलेगा तो वे इसके लिए हमेशा तैयार हैं। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां पलायन की समस्याओं के निदान के लिए पलायन आयोग का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन तेजी से हो रहा है। राज्य में 968 गांव खाली हो चुके तथा 1000 गांव में 100 से कम लोग है। अल्मोड़ा एवं पौड़ी में तेजी से पलायन हुआ है। पलायन को रोकने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार, मानव संसाधनों एवं मूलभूत आवश्यकताओं पर बल देना होगा। आईएफएस अधिकारी आलोक डिमरी ने कहा कि समय के साथ विकास की परिभाषा भी बदल रही है उन्होंने कहा कि राज्य के चहुमुखी विकास के लिए महिलाओं, बच्चों एवं युवाओं को साथ लेकर विकास के पथ पर बढ़ना होगा। आज स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्वतों एवं हिमालय के सरंक्षण के लिये प्रयास करना चाहिए। हिमालय को सामने रखकर योजना बनानी होगी। उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा के स्तर में तेजी से सुधार हो रहा है। सभी डिग्री काॅलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति की गई है। वित्त सचिव श्री अमित नेगी ने इन 17 सालों में उत्तराखण्ड के समग्र विकास पर विस्तृत प्रजेन्टेशन दिया। उद्घाटन सत्र में कवि  यशवन्त सिंह रावत की पुस्तक ‘‘स्वर उन्हीं का’’ का विमोचन भी किया गया।
पर्यावरणविद् श्री अनिल जोशी ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस प्रकार की सामूहिक चर्चा के आयोजन के लिए बधाई व प्रंशसा की पात्र है। हमें गांव के विकास व उत्तराखंड की ब्रांडिग पर विशेष ध्यान देना होगा। हमें मात्र जीडीपी पर ही ध्यान नही देना होगा बल्कि पर्यावरण सरंक्षण पर भी ध्यान देना होगा। हमें अपने ग्रोथ इंडिकेटर्स बदलने की आवश्यकता है। पर्यावरण व पर्यटन में संतुलन बनाने की भी जरूरत है।
इस अवसर पर यूकोस्ट के डायरेक्टर जनरल डाॅ0 राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि हमें सस्टेनेबल टूरिज्म पर ध्यान देना होगा। उत्तराखण्ड की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे हर्बल स्टेट के रूप विकसित किया जाना चाहिए।
ओएनजीसी के निदेशक (मानव संसाधन) श्री डी0 डी0 मिश्रा ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर वर्ष प्रवासी दिवस आयोजित किया जाना चाहिए ताकि प्रवासी उत्तराखण्डियों द्वारा राज्य के विकास में सहयोग पर विचार मंथन किया जा सके।
स्क्रिप्ट राइटर अद्वैेता काला और होटल व्यवसायी  ने कहा कि राज्य सरकार से अपेक्षा है कि राज्य में फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहित करने हेतु फिल्म पाॅलिसी में सुधार किये जाए तथा शूटिंग हेतु ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं का विकास किया जाये।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डीजीपी श्री अनिल रतूड़ी ने कहा कि राज्य की अच्छी ब्राण्डिंग व हाॅस्पिीटीलिटी सेवाओं के विकास के साथ ही सड़कों , हैलीपेडो व हवाई सेवाओं में भी सुधार किया जाना चाहिए। हमें स्वरोजगार पर विशेष ध्यान देना होगा।
आईएफएस श्री आलोक अमिताभ डिमरी ने कहा कि हमें इनोवेटिव पहलो पर ध्यान देना होगा। सीमान्त गांवों के विकास व वहां पर जनसंख्या बनाये रखने पर विशेष ध्यान देना होगा।
कार्यक्रम के अन्त में वन मंत्री डा0 हरक सिंह रावत कहा कि हमें पलायन को रोकने के लिए अपने गांवों को बसाने व कृषि प्रोत्साहन पर ध्यान देना होगा। राज्य में धार्मिक पर्यटन कि अलावा भी अपार संभावनाएं है। राज्य विकास हेतु हम सब को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम के प्रथम विशेष सत्र ‘‘उत्तराखण्ड के दो अनमोल रत्न-पर्यटन और पर्यावरण’’ के शुभारम्भ के अवसर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने उत्तराखण्डः पर्यटन व पर्यावरण के क्षेत्र में सम्भावनाएं, चुनौतियाॅ व रणनीतियाॅ पर प्रस्तुतिकरण दिया। श्री जावलकर ने कहा कि राज्य में पर्यटन को स्थानीय आर्थिकी से जोड़ने, 13 जिले-13 नये पर्यटन स्थल,केदारनाथ व मसूरी रोपवे निर्माण, स्थानीय उत्पादों व पर्यटक स्थलों की मार्केटिंग व ब्राण्डिंग आदि पर विशेष फोकस किया जा रहा है। हमे मुख्यतः दो रणनीतियों पर कार्य करना है, प्रथम पलायन को रोकने में पर्यटन किस प्रकार सहायता कर सकता है तथा इकोलोजी को इकाॅनोमी से किस प्रकार जोड़ा जा सकता है ।
पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस प्रकार की सामूहिक चर्चा के आयोजन के लिए बधाई व प्रंशसा की पात्र है। हमें गांव के विकास व उत्तराखंड की ब्रांडिग पर विशेष ध्यान देना होगा। हमें मात्र जीडीपी पर ही ध्यान नही देना होगा बल्कि पर्यावरण सरंक्षण पर भी ध्यान देना होगा। हमें अपने ग्रोथ इंडिकेटर्स बदलने की आवश्यकता है। पर्यावरण व पर्यटन में संतुलन बनाने की भी जरूरत है।
इस अवसर पर यूकोस्ट के डायरेक्टर जनरल डाॅ0 राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि हमें सस्टेनेबल टूरिज्म पर ध्यान देना होगा। उत्तराखण्ड की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे हर्बल स्टेट के रूप विकसित किया जाना चाहिए।  ओएनजीसी के निदेशक (मानव संसाधन) डी0 डी0 मिश्रा ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर वर्ष प्रवासी दिवस आयोजित किया जाना चाहिए ताकि प्रवासी उत्तराखण्डियों द्वारा राज्य के विकास में सहयोग पर विचार मंथन किया जा सके। स्क्रिप्ट राइटर अद्वैेता काला और होटल व्यवसायी  ने कहा कि राज्य सरकार से अपेक्षा है कि राज्य में फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहित करने हेतु फिल्म पाॅलिसी में सुधार किये जाए तथा शूटिंग हेतु ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं का विकास किया जाये। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डीजीपी अनिल रतूड़ी ने कहा कि राज्य की अच्छी ब्राण्डिंग व हाॅस्पिीटीलिटी सेवाओं के विकास के साथ ही सड़कों , हैलीपेडो व हवाई सेवाओं में भी सुधार किया जाना चाहिए। हमें स्वरोजगार पर विशेष ध्यान देना होगा। आईएफएस आलोक अमिताभ डिमरी ने कहा कि हमें इनोवेटिव पहलो पर ध्यान देना होगा। सीमान्त गांवों के विकास व वहां पर जनसंख्या बनाये रखने पर विशेष ध्यान देना होगा।
कार्यक्रम के अन्त में वन मंत्री डा0 हरक सिंह रावत कहा कि हमें पलायन को रोकने के लिए अपने गांवों को बसाने व कृषि प्रोत्साहन पर ध्यान देना होगा। राज्य में धार्मिक पर्यटन कि अलावा भी अपार संभावनाएं है। राज्य विकास हेतु हम सब को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे।
कार्यक्रम के अंतर्गत तृतीय सत्र में ‘इनवेस्टमेंट, इन्ॅॅॅॅफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री और इन्फाॅरमेशन‘ पर चर्चा की गयी। सत्र के प्रारम्भ में प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने अपने प्रस्तुतीकरण में राज्य निर्माण के बाद से अब तक की प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य निर्माण के समय राज्य में 14 हजार उद्यम थे जो अब बढ़कर 41 हजार के लगभग हो गए। साथ ही, उस वक्त 9 हजार करोड़ का निवेश था, जो अब बढ़कर 37 हजार करोड़ हो गया है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई पाॅलिसी के बाद राज्य में सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योंगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार द्वारा की गयी पहल के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि इनवेस्टमेंट क्लीयरेंस का सरलीकरण किया जाए। हमें इनवेस्टमेंट फ्रंेडली राज्य बनना है। उत्तराखण्ड ने ईज आॅफ डूईंग बिजनेस पर कार्य करते हुए पूरे देश में 9वीं रैंक प्राप्त की।
हँस फाउण्डेशन के सह-संस्थापक मनोज भार्गव ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में ज्ञान की कमी नहीं है, आवश्यकता है, लोगों को अवसर देने की। उत्तराखण्ड में पलायन वहीं हो रहा है जहां रोजगार, बिजली और पानी की कमी है। यदि इस क्षेत्र में कार्य होगा तो पलायन रोका जा सकेगा। भारत कृषि प्रधान देश है, तो यहाँ की खेती को बिना ईकोसिस्टम को नुकसान पहुंचाए भी बढ़ाया जा सकता है। इण्डिया फाउण्डेशन के अध्यक्ष शौर्य डोभाल ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य को विकसित करने के लिए सोच बदलने की आवश्यकता है। हमें लोकल से प्रतियोगिता का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए, बल्कि वल्र्ड क्लास बनने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने राज्य के सेब को वल्र्ड क्लास बनाने की कोशिश करेंगे तो ही उसको विकसित कर पाएंगे। कृषि हो या पर्यटन हमें वल्र्ड क्लास होना होगा। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि राज्य प्राकृतिक रूप से अत्यधिक समृद्ध है। पतंजली द्वारा रोजगार उपलब्ध कराया गया है। यहाँ के उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराकर भी राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पतंजली द्वारा थाई नींबू और चेरी चिली पर एक्सपेरीमेंट कर, उत्तराखण्ड में उगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यमकेश्वर ब्लाॅक में 6 हजार चंदन के वृक्ष लगाए गए हैं, जो तेजी से ग्रोथ कर रहे हैं।
कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि युवाओं को अवसर दिया जाना चाहिए। युवा बहुत कुछ कर सकते हैं, उन्हें अवसर दिये जाने चाहिए।
मुख्यमंत्री के सलाहकार डाॅ. नवीन बलूनी ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य में,  पहाड़ में उद्योग लगाना इतना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्यटन एक अच्छा विकल्प है। उत्तराखण्ड के लोग देश-विदेश में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। हम उन्हें राज्य में निवेश करने के लिए आकर्षित कर सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार को अपनी पाॅलिसी को और अधिक सरल बनाने की आवश्यकता है।
 रैबार कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, एन.टी.आर.ओ के चेयरमैन आलोक जोशी, प्रधानमंत्री के सचिव भाष्कर खुल्बे, प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी और आचार्य बालकृष्ण ने प्रतिभाग किया।
प्रसून जोशी ने कहा कि पहाड़ की महिलाओं में संघर्ष की क्षमता है। प्रकृति संघर्ष और जीवटता सिखाती है परन्तु चालाकी नहीं। पहाड़ो का जीवन चुनौतियां सिखाता है, लेकिन छल नहीं। उन्होने सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पर्यटन एवं पर्यावरण के मध्य संतुलन होना चाहिए। उत्तराखण्ड के लोगों की रचनात्मकता को देखते हुए यहां पर मीडिया एवं क्रियेटिव आर्टस का एक संस्थान खोलना चाहिए। उन्होने ब्रांड उत्तराखण्ड विकसित करने की बात कही।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने रैबार में प्राप्त सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार सकारात्मक रूप से इन सुझावों पर काम करेगी। उन्होने महिलाओं के स्वंय सहायता समूहों द्वारा किये जा रहे कार्यो की सराहना करते हुए ऐसे समूहों को प्रोत्साहित किए जाने पर बल दिया। उन्होने प्रधानमंत्री के सचिव द्वारा विजन 2020 विकसित करने के सुझाव का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड के अधिकारियों ने बहुत से क्षेत्रों को चिन्ह्ति कर लिया है और शीघ्र ही एक रोड मैप बनाया जायेगा।
थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन का प्रमुख कारण है। उन्होने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उत्तराखण्ड को अपनी संस्कृति भी बचा कर रखनी होगी। स्कूली शिक्षा के साथ साथ उच्च शिक्षा के केन्द्र भी पहाड़ो में खोले जाए। कई ऐसे इलाके जो अभी तक पर्यटकों के लिए अनजान थे उन्हें भी खोलने पर विचार किया जाए। ट्रेकिंग और माउन्टेन बाईकिंग जैसे क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए।
एनटीआरओ के प्रमुख आलोक जोशी ने कहा कि आज हिन्दुस्तान में 05 लाख साईबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों की जरूरत है। उत्तराखण्ड में उपलब्ध संसाधनों में हल्के-फुल्के बदलाव के साथ साईबर सिक्योरिटी प्रशिक्षण के रूप में एक बड़े क्षेत्र में रोजगार सृजित किया जा सकता है। उन्होने कहा कि एनटीआरओ और उत्तराखण्ड सरकार मिलकर तीन माह के अन्दर साईबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग के लिए एक केन्द्र खोलने जा रहे है जिसमें प्रथम चरण में 25 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होने द्रोन एप्लीकेशनों के लिए भी देहरादून में सेन्टर खोलने की बात कही।
प्रधानमंत्री के सचिव भाष्कर खुल्बे ने कहा कि राज्य के तीव्र विकास के लिए महिलाएं बदलाव की वाहक होंगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड प्रतिभाओं का प्रदेश है। सबको मिलकर राज्य के हितों के बारे में गम्भीरता से सोचना होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि रैबार में आज जो सुझाव आए उन पर गम्भीरता से अमल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विजन 2020 के लिए सभी सुझावों को शामिल कर कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के संवाद लगातार होते रहे इसके लिए सभी को सार्थक प्रयास करने होंगे। इस अवसर पर रैबार के विजन डाॅक्यूमेंट का विमोचन भी किया गया। जागर गायिका पदमश्री बसन्ती बिष्ट ने मांगल गीत एवं जागर की प्रस्तुति दी।  इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विभिन्न क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों, संगठनों एवं अतिथियों को सम्मानित भी किया।

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