हिमालय और गंगा देश की बड़ी आबादी की आर्थिकी को प्रभावित करते हैं!

*लोकसभा और  विधानसभा के चुनाव कराए जाने के लिए कोशिश जरूरी –  त्रिवेद्र सिह रावत
 *शासकों को हर समय लोकलुभावन नीतियों को छोड  कुछ कड़े फैसले करने होंगे – राहुल देव
*गंगा की स्वच्छता के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं – डा. रमेश पोखरियाल
(वेद विलास उनियाल)
उत्तराखँड के मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिह रावत ने कहा कि देश में धीरे धीरे लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने का माहौल बन रहा है। इसमें थोडा समय लगेगा लेकिन यही समय की मांग है । उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने अपने को इस स्थिति के लिए  कर लिया है।  एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए अब सोच बन चुकी है। इसका परिणाम जल्द सामने आएगा । उन्होंने कहा कि उत्तराखंड इसके लिए पूरी तरह तैय्यार है। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि जब हम एक राष्ट्र की बात करते हैं, तो ये जरूरी है कि लोकतांत्रिक तौर पर भी पूरे देश का एक जैसा स्वरूप दिखाई दे। लेकिन भारत में अलग अलग राज्यों में कहीं न कहीं हर समय चुनावी माहौल रहता है। एक साथ चुनाव कराने का एक बड़ा फायदा ये होगा कि देश की चुनाव प्रणाली में एकरूपता आएगी। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में प्रयोग के तौर पर एक साथ छात्र संघ के चुनाव कराये, जो काफी सफल रहा।

उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का सबसे बड़ा फायदा है कि इससे राजनीतिक स्थिरता आएगी। एक साथ चुनाव कराने से देश को चुनावी खर्चे में करोडों की बचत होगी। यदि एक साथ चुनाव हुए तो इस खर्चे में बहुत हद तक कमी आएगी तथा यह धन देश की तरक्की के काम आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार चुनावों के चलते आदर्श आचार संहिता लागू होती है। इससे  विकास कार्यों पर असर पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से ये स्थिति बदलेगी।

आल इडिया पब्लिक रिलेशन सोसाइटी की राजपुर रोड स्थित एक होटल में  तीन दिवसीय आॅल इण्डिया पब्लिक रिलेशन्स काॅन्फ्रेंस ‘‘हिमालय से गंगा राष्ट्र का गौरव’’ आयोजन के पहले दिन चर्चा सत्र में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए इस दिशा में आगे बढना होगा। इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने  विषय के विभिन्न पहलुओ पर प्रकाश डालते हुए  चुनाव एक साथ किए जाने की उपयोगिता , इसकी प्रक्रिया में आने वाली कुछ समस्याओं  और वर्तमान चुनाव प्रणाली की कुछ विसंगतियों पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि शासक से हमेशा लोकलुभावन नीति की अपेक्षा करना ठीक नही है। इसके ठीक परिणाम नहीं होते। शासकों को कुछ अप्रिय लेकिन देश हित में फैसले लेने होगें इस संदर्भ में उन्होंने जीएसटी की चर्चा की और कहा कि इससे कुछ दिक्कते जरूर हई है लेकिन इसके लाभ अब मिलते दिख रहे हैं । उन्होने कहा कि  एक राष्ट्र एक चुनाव की प्रणाली मे कुछ समस्याएं जरूर हैं आज सलेकिन यह असँभव नहीं है।  तरह सोच बनती दिख रही है उससे अगले पांच छह वर्षों में नतीजा सामने आ सकता है। उन्होने कहा कि इसके लि कुछ मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों को थोडा त्याग करना पड सकता है।
उन्होंने कहा कि इस तरह चुनाव में 32 लाख ईवीएम की जरूरत पडेगी अभी देश में 20 लाख यूनिट ईवीएम उपलब्ध हैं।  उन्होने कहा कि किसी भी सुधार के लिए जरूरी है कि पहले भाषा के स्तर पर हम ठीक से तैयार हो जाए।  चाहे चुनाव की प्रणाली में सुधार हो या पर्यावरण में हमें भाषा के स्तर पर मजबूत होना होगा। उन्होंने कहा कि गंगा के महत्व केवल उत्तराखंड या उत्तर भारतीय राज्य तक सीमित नहीं   दुनिया भी इसके महत्व को महसूस कर रही है। जल्दी ही देश की नदियों का पानी स्वच्छ होगा।  लोग इसमें अब तेजी से सहभागिता करने लगे हैं। इस दौरान पब्लिक रिलेशन सोसायटी भोपाल चैप्टर की पुस्तक पर्यटन लेखन तथा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से संबंधित कैलेण्डर का विमोचन किया तथा पब्लिक रिलेशन से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के पुरूस्कार भी प्रदान किये।
कार्यक्रम में सोसाइटी की 21 श्रेणियों में 70 सस्थाओं क सम्मानित किया हया। इस अवसर पर 25 राज्यों के जनसपंर्क अधिकारी, पीआरएसआई के अध्यक्ष अजीत पाठक , डा महेश कुडियाल  राजेंद्र डोभाल, विजय धस्माना आदि उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *