हिमवती नन्दन बहुगुणा के प्राथमिक विद्यालय में 18 छात्र जिनमें 13 नेपाली व 5 बिहारी।
हिमवती नन्दन बहुगुणा के प्राथमिक विद्यालय में 18 छात्र जिनमें 13 नेपाली व 5 बिहारी।
(मनोज इष्टवाल)
हिमालय पुत्र के रूप में पुकारे जाने वाले व अखण्ड उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्व.हिमवती नंदन बहुगुणा की वह प्राथमिक पाठशाला वर्तमान में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर बहुत बड़ा सवालिया निशान इसलिए नहीं लगा रहा कि उसमें पढ़ने वाले वर्तमान ले कुल 18 विद्यार्थी एक भी प्रदेश का मूल निवासी नहीं बल्कि 13 नेपाली व 5 बिहारी हैं बल्कि इसलिए सिस्टम पर सवालिया निशान है कि जिन्होंने इस प्रदेश को अपने मुख्यमंत्रित्व काल में गढ़वाल व कुमाऊ विश्वविद्यालय के साथ कई प्राथमिक,मिडिल, जूनियर व इंटर कालेज दिए आज उन्हीं की प्रतिष्ठा तार-तार होती दिखाई दे रही है।
ज्ञात हो कि पर्वत पुत्र हिमवती नन्दन बहुगुणा ने गढ़ कुमाऊँ में शिक्षण संस्थानों को खोलकर महानगरों में पेट भरने के लिए बर्तन मांजने वाले पहाड़ी समाज को शिक्षित बनाकर मुख्य धारा में लाने का जो कार्य किया वह उस दौर का सबसे अकल्पनीय कार्य रहा है।
सन 1920 में स्थापित प्राथमिक पाठशाला गुप्तकाशी में अखण्ड उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हिमवती नंदन बहुगुणा ने 1अप्रैल 1927 को कक्षा दो में प्रवेश लिया। लेकिन उनकी तीव्र बुद्धि को देखते हुए 1जुलाई 27 को ही इन्हें कक्षा तीन में दाखिला दे दिया गया।
यह भी अजब गजब का संयोग है कि 24 जून 1928 को कक्षा चार में प्रवेश करते ही उनके पिता रेवती नंद बहुगुणा का पटवारी पद से कानूनगो पर पदोन्नति हुई। हिमवती नन्दन बहुगुणा के सहपाठी उर्बादत्त, जयानन्द, हरिनन्द, माधवानन्द, छोटेलाल, ज्ञानसिंह, महानन्द व नारायण सिंह इत्यादि थे। प्राथमिक पाठशाला गुप्तकाशी के उस विद्यालय में वर्तमान में कुल 18 छात्र अध्ययनरत हैं जिनमें 13 नेपाली 5 विहारी छात्र शिक्षा के साथ दिन का भोजन पा रहे हैं । उपरोक्त जानकारी आशा प्रसाद सेमवाल द्वारा दी गयी उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस प्राथमिक विद्यालय में मात्र एक शिक्षक कार्यरत हैं जो सम्पूर्ण शिक्षण व्यवस्था के अलावा विद्यालय का लेखा जोखा भी देख रहे हैं।
बहरहाल सबसे चिंताजनक बिषय यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री का यह विद्यालय अब कितने साल और जिंदा रह पाएगा यह कह पाना मुश्किल है।
मेरे स्व. दादाजी पं. विष्णु दत्त तिवाड़ी जब 1920 के आसपास पौड़ी जिले में डाक तार विभाग के मुलाजिम रहे तो उनका संपर्क भी पंडित रेवती नंदन बहुगुणा जी से होता रहता था ,ऐसा मेरे दिवंगत पिताजी श्री चन्द्र शेखर तिवाड़ी जी बताया बताया करते थे।
अच्छी जानकारी