हजारों की भीड़ ने देवक्यार से लौटी सोमेश्वर देवता की डोली का जखोल में किया स्वागत !
हजारों की भीड़ ने देवक्यार से लौटी सोमेश्वर देवता की डोली का जखोल में किया स्वागत !
जखोल (उत्तरकाशी) जून 12 (हि. डिस्कवर)
विगत 7 जून को पर्वत क्षेत्र के जखोल गाँव से निकली सोमेश्वर की डोली लगभग 74 किमी. की हिमालयी क्षेत्र की पैदल यात्रा कर आज लगभग 11बजे प्रात: जखोल वापस लौटी! लगभग 1500 लोगों के बिशाल जनसमुदाय की यह यात्रा बेहद खुशनुमा रही.
जखोल गाँव के सामजिक कार्यकर्ता गंगा सिंह रावत ने फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 10 से 12 हजार ग्रामीणों ने जखोल पहुंचकर यात्रा के समापन में अपनी सहभागिता निभाई ! सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह रहा कि विगत दो तीन दिनों से रवाई घाटी में लगातार बारिश हो रही है और जहाँ यह जात्रा जाती है वह मानसून के हिसाब से बेहद सेंसटिव जोन माना जाता है लेकिन जितने दिन भी जात्रा इस हिमालयी क्षेत्र के भ्रमण पर रही एक दिन भी बारिश नहीं हुई.
ज्ञात हो कि 37 किमी. की जखोल गाँव से देवक्यार की इस यात्रा का शुभारम्भ 7 जून को हुआ था जो जखोल, धारा गाँव, देहकी होती हुई लगभग 12 किमी दूरी तय कर पहले दिन ओड़ा-डोका पहुंची जहाँ रात्री बिश्राम किया गया! अगली सुबह ओड़ा-डोका से चरोटा, क्यारकोटि बुग्याल होती हुई जात्रा 15 किमी. दूरी रहका ताल में बिश्राम करती है जहाँ खूबसूरत दो तालाब हैं ! अगली सुबह यानि 9 जून को रहका ताल से जयराई (जहराई), रंगलाण, छोटा देवक्यार होती हुई जात्रा 10 किमी. की दूरी तय कर अपने मुकाम यानि देवक्यार बुग्याल पहुँचती है.
10 जून को डोली स्नान के बाद देवक्यार से जयराई का 10 किमी. सफ़र तय करती है. जबकि 11 जून की सुबह डोली अपने पुराने ट्रेक रूट के स्थान पर छोटे ट्रेक रूट पर चलकर किमडार, रातिका होकर 12 किमी की दूरी तय कर ओबरागाड़ पहुंची जहाँ रात्री बिश्राम के बाद डोली ओबरागाड, धारा गाँव होती हुई आज सोमवार 12 जून को लगभग 11:30 बजे सोमेश्वर मंदिर प्रांगण जखोल पहुंची! यह भी बड़ी आश्चर्यजनक बात हुई कि 7 जून को 11:30 बजे मंदिर प्रांगण से निकली यह जात्रा ठीक उसी समय में मंदिर में दाखिल हुई.
पट्टी गोडर, पंचगाई व बडासु के लगभग 43 गाँव के लोग हजारों की संख्या में सोमेश्वर के दर्शन को जखोल गाँव में उमड़े!