स्थाई राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति' के 33वें दिन के आमरण अनशन जारी।
देहरादून 28 फरवरी 2018 (हि. डिस्कवर)
(वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुकसाल की कलम से)
यह समय आपके लिए तटस्थता का नहीं अन्याय के खिलाफ तमतमाने का है। गैरसैंण में जब आज प्रगतिशील जनमंच, श्रीनगर की टीम ‘स्थाई राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति’ के 33वें दिन के आमरण अनशन पर साथ और सर्मथन देने पहुंची तो उत्तराखंड राज्य के राजनेताओं और नीति-नियंताओं पर गरज रही आन्दोलनकारी धूमा दीदी ने उनको जो धमकाया वो सुनने और देखने लायक था।
सही बात तो यह है कि पहाड़वासियों के विकट हालतों से उपजे ये तेवर अनिल स्वामी जी और धूमा दीदी के ही नहीं वरन आज उत्तराखंड में प्रत्येक पर्वतवासी के हैं। उसके कुछ अंश आप भी ध्यान से देखिए-सुनिए और चिंतन-मनन करिए। फिर बताइए कि आगे क्या करना है ?
हां, बताते चलें कि स्थाई राजधानी गैरसैंण के लिए 72 वर्षीय आमरण अनशनकारी श्रीमती सुशीला देवी जी को जो कल रात स्थानीय प्रशासन ने जबरन उठा कर अस्पताल में भर्ती कराया दिया था वे साथी आन्दोलनकारीओं के साथ अस्पताल से तरोताजा होकर आज पुनः धरना स्थल में आमरण अनशन पर विराजमान हो गई हैं।
मुख्य बात यह है कि आज हर गैरसैंण सर्मथक को अपने-अपने स्तर और स्थान से आक्रामक तरीके से सक्रिय होने की जरूरत है। यह समय आपके लिए तटस्थता का नहीं अन्याय के खिलाफ तमतमाने का है।