सौन्दर्य से अभिभूत करवा देता है बगजी बुग्याल! 180 के कोण पर फैली हिमशिखरों के होते हैं अलौकिक दर्शन !

सौन्दर्य से अभिभूत करवा देता है बगजी बुग्याल! 180 के कोण पर फैली हिमशिखरों के होते हैं अलौकिक दर्शन !
(मनोज इष्टवाल)
अभी सिर्फ सुना ही है जाना शेष है! पूरी तैयारी भी कर ली है कि इस मई माह में घेस के पार देश के इस बुग्याल को नापना है. वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन बिष्ट जोकि घेस के हैं कि शर्त भी यही है कि वे हम जैसे यायावरों को अपने घर में आश्रय व खाना जरुर खिलाएंगे लेकिन हम अपनी कलम से बगजी बुग्याल का मूल्यांकन करेंगे तभी यह संभव है.

अर्जुन बिष्ट ने यह बात बेहद हंसी मजाक के अंदाज में कही थी लेकिन उनके मन की पीड़ा भांपना कठिन नहीं था. उन्हें अपनी माटी से इतना लगाव है कि इस बार उन्होंने घेस में कम से कम 10 हजार से अधिक सेब की उन्नत किस्म के पेड़ लगाएं हैं जो गॉव के सामूहिक विकास की आगामी गाथा लिखेंगे ऐसा मेरा भरोंसा है. अर्जुन का अगला लक्ष्य अपने गांडीव से मछली की आँख भेदना जैसा ही है. सोशल साईट पर अपडेट की हुई बगजी बुग्याल की फोटो पर भले ही उन्होंने कम शब्द लिखें हों लेकिन पहाड़ को पिता और धरा को माँ समझने वाले मुझ जैसे अन्य यायावर मित्रों के लिए यह अर्जुन की प्रत्यन्जा पर चढ़े तीर से कम महत्वपूर्ण नहीं है. अर्जुन बिष्ट चाहते भी यही थे कि हम जैसे यायावर किस्म के लिख्वार घेस गॉव से 6 किमी दूरी पर स्थित बगजी बुग्याल पहुँचने का सपना देखें और वे अपने प्रस्ताव में ये जोड़ दें कि उनका अतिथि सत्कार तो होगा लेकिन इस शर्त पर कि हम बगजी को पर्यटन की दृष्टि से सबके सामने लायें
बगजी बुग्याल के बारे में अभी तक जो जानकारी मिली है वह यह है कि चमोली और बागेश्वर के सीमा से लगा बगजी बुग्याल सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। समुद्रतल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह बुग्याल करीब चार किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यहां से हिमालय की सतोपंथ, चौखंभा, नंदादेवी और त्रिशूली जैसी चोटी के समीपता से दर्शन होते हैं, यही नहीं यहाँ से हिमालय का फैलाव 180 कोण तक है जो सचमुच दुर्लभ और दर्शनीय है. यहाँ से पौड़ी लैंसडाऊन और कुमाऊ क्षेत्र का बड़ा हिस्सा दिखाई देता है.
यह सब जानने के बाद भला अब कदम कैसे ठहरेंगे. जिस भी यायावर मित्र को मई माह में फुर्सत हो तो वह चल सकता है. लेकिन ध्यान रहे सब अपने अपने खर्चे में जायेंगे.

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