सुप्रसिद्ध फोटो जर्नलिस्ट कमल जोशी ने फांसी लगाई। एक यायावर का इस तरह जाना हतप्रभ कर गया…!
कोटद्वार 3 जुलाई (हि. डिस्कवर)
उत्तराखंड के जाने माने फोटो जर्नलिस्ट कमल जोशी ने आज लगभग 11 बजे कोटद्वार स्थित अपने कमरे में फांसी लगाकर खुद की अहलीला समाप्त कर दी। यह खबर सुनकर पूरा शहर स्तब्ध है जबकि उनके जानने वालों को इस बात पर कतई विश्वास नहीं है कि कमल जोशी जैसा जीवट शख्स भी ऐसा कर सकता है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कमल जोशी की लाश पंखे से लटकी हुई मिली। ज्ञात हो कि कमल जोशी ने शादी भी नहीं की थी जो यह कहा जा सके कि कोई पारिवारिक कलह इसकी वजह होगी।
फिलहाल पुलिस तफ़सीस पर जुटी हुई है और अनुमान लगा रही है कि फांसी सुबह 10:30 से 11:00 बजे के आस पास लगाई गई है।
मीडिया जगत में यह खबर किसी सनसनी से कम नहीं है क्योंकि जितने भी लोग कमल जोशी को जानते थे उनका यह कहना है कि कमल जोशी जैसा जीवट इंसान ऐसा कायराना काम कैसे कर सकता है। पुलिस को कोई सुसाइड नोट भी मिला कि नहीं इसकी अभी जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है जबकि जिसे भी यह खबर मिल रही है वह कोटद्वार के लिए दौड़ पड़ा है।
प्रसिद्ध साहित्यकार व पहाड़ पत्रिका के सम्पादक शेखर पाठक अचंभित होकर कहते हैं कि यह कैसे सम्भव है कि कमल जोशी फांसी लगा दे। अभी कुछ दिन पूर्व आज सुभाष त्रेहान के गांव एक साहित्यिक गोष्ठी में शामिल होने गया था वहीं अप्रैल में कमल से पिथौरागढ़ में ललित पन्त की बेटी की शादी में मुलाकात हुई थी उससे पहले हल्द्वानी में उमेश डोभाल सम्मान समारोह में मुलाकात हुई थी। हर तीसरे चौथे दिन हमारी टेलीफोन पर कमल से बात होती रहती थी। अभी तीन दिन पहले ही उसका मेल आया था जिसमें उसने जिक्र किया था कि वह एक लेख कुंवर सिंह कर्मठ पर लिख रहा है। साथ ही उसने लिखा था कि अलकनंदा के पूर्व सम्पादक स्वरूप ढोंडियाल पर लेख लिखने के लिए उसने लैंसडाउन पांथरी जी से बात कर ली है। वह आजकल युगवाणी की लीड स्टोरी लिख रहा था। उसने दमा होते हुए भी तीन बार अस्कोट आराकोट की यात्रा की जिसके संस्मरण पर हमारी बात होती रहती थी। फोन पर बता रहा था कि आजकल उसकी तबियत ठीक है। यह घटना सुनकर स्तब्ध हूँ और विश्वास नहीं हो पा रहा है कि वह ऐसा भी कर सकता है। हम कल सुबह 4 बजे कोटद्वार निकलेंगे।
सूचना एवं लोक जनसम्पर्क विभाग उत्तराखण्ड के अपर निदेशक डॉ. अनिल चंदोला कहते हैं कमल जोशी मेरा अजीज मित्र था। वह एक जीवट किस्म का उत्तराखण्डी यायावर था उसके इस तरह जाने से मैं अचंभित हूँ।
नैनीताल समाचार के सम्पादक राजीव लोचन शाह ने कहा कि उन्हें रति भर भी विश्वास नहीं है कि कमल जैसा व्यक्ति सुसाइड कर सकता है। हम कमल के उदाहरण एक दूसरे को दिया करते थे कि वह किस तरह निराश उम्मीद खो चुके व्यक्तियों में उम्मीद की किरण जगाता था। अस्कोट-आराकोट की तीन बार यात्राओं का यह पहला ऐसा शख्स था जो शेखर तक को कई जगह टोक देता था जबकि हमारी कभी हिम्मत नहीं होती थी।
दिल्ली दूरदर्शन में वरिष्ठ अधिकारी डॉ. सुभाष थलेड़ी ने कहा कि कमल जोशी मेरे परम् मित्र थे उनके बारे में ऐसी खबर सुनकर हतप्रभ हूँ वे बेहद क्रिएटिव व्यक्तित्व के आदमी थे आकाशवाणी नजीबाबाद के लिए उन्होंने मेरे साथ कई डाक्यूमेंट्री की।
वरिष्ठ पत्रकार गणेश खुगशाल गणि ने कहा मुझे कतई विश्वास नहीं है कि कमल जोशी जैसा यायावर व्यक्तित्व का धनी आदमी सुसाइड भी कर सकता है। जो लोगों के चेहरे पर हंसी ला दे भला वह व्यक्ति सुसाइड कैसे कर सकता है।कहीं तो कुछ ऐसा है जो अंधेरे में है।
पलायन एक चिंतन के प्रेणता रतन सिंह असवाल कहते हैं कि जब उन्होंने यह घटना सुनी तब पहला फोन उन्हें ही मिलाया उनका फोन स्विच ऑफ चल रहा था। कमल जोशी भला ऐसे कैसे कर सकते हैं क्योंकि न वे मांस खाते थे न शराब ही पीते थे।कहीं न कहीं कोई ऐसी बात है जो हमें दिखाई नहीं दे रही है।19 जुलाई को वे मेरे घर आये थे और हमने प्लान किया था कि हम चार पांच दिन के लिए पहाड़ के किसी गांव चलेंगे लेकिन विधि को शायद यह मंजूर नहीं था।
मैं (मनोज इष्टवाल) पश्चिमी नेपाल के बैतड़ी जिले के त्रिपुरा सुंदरी मेले से लौट रहा था कि झूलाघाट में फोटोग्राफर चन्द्रशेखर चौहान का फोन आया कि कहीं भी हो कोटद्वार पहुँचों। कमल जोशी जी ने आत्महत्या कर ली है। विश्वास नहीं हुआ तो कोटद्वार विश्व हिंदू परिषद के संजय थपलियाल को फोन पर जानकारी ली । संजय वहीं खड़े थे और उन्होंने घटना की पुष्टि की।
कमल जोशी से मेरी मुलाकात यूँ तो बर्षों पुरानी रही है लेकिन मेरी यायावरी उन्हें मेरे निकट ले आई थी। वे हमेशा कहा करते थे- मनोज तेरे साथ हिमालय घूमने का बड़ा मन है। एक बार प्लान बना यार…। तेरी लेखन क्षमता का मैं फैन हूँ। समय साक्ष्य द्वारा आयोजित दून लिटरेचर फेस्टिवल में हम दोनों घण्टों तक बतियाते रहे और उनसे मैने फोटोग्राफी के कई गुर भी सीखे। वो सुसाइड कर दें यह दिल गवाही नहीं देता। कुछ तो ऐसा है जहां हम समझ नहीं पा रहे हैं
अब पुलिस की जांच से ही खुलासा हो पायेगा कि आखिर उनकी आत्महत्या के पीछे क्या कारण थे। फिलहाल उत्तराखण्ड ने एक ऐसी शख्सियत को खो दिया है जिसके खोने का पूरे हिमालय को मलाल रहेगा।
बहुत ही दुखद समाचार है । जोशी जी एक शानदार व्यक्तित्व वाले इंसान थे और जबरदस्त फोटोग्राफर थे। मैं उसकी फोटोग्राफरी का फैन था और रहूँगा । भावपूर्ण श्रद्धांजलि
जी सही कहा