सुप्रसिद्ध चित्रकार बी.मोहन नेगी नहीं रहे!

सुप्रसिद्ध चित्रकार बी.मोहन नेगी नहीं रहे!

देहरादून 26 अक्टूबर (हि. डिस्कवर)
विगत कुछ दिनों से बीमार चल रहे पौड़ी के सुप्रसिद्ध चित्रकार बी. मोहन नेगी का आज निधन हो गया है. अपनी चित्रकारिता में सम्पूर्ण पहाड़ को उकेरने वाले बी. मोहन नेगी ऐसे बिरले चित्रकार थे जिन्होंने विभिन्न लेखकों /कवियों की भावपूर्ण कविताओं को अपनी कूची से सुंदर रूप दिया! सुप्रसिद्ध लेखक व साहित्यकार नंदकिशोर हटवाल बताते हैं कि क्षेत्रीय पत्रिकाओं, खासकर गढ़वाली-कुमाउनी में छपने वाली समस्त पत्रिकाओं से बी. मोहन नेगी जुड़े होते और साथियों को जोड़ते। उस समय की पत्रिका ‘हिलांस’ और ‘बुग्याल’ से मैं भी नेगी जी के माध्यम से ही जुड़ा था। बी. मोहन नेगी के चित्रों में उनकी साधना बोलती है। उनके कार्यों में विविधता है। जहाँ उन्होंने कविता पोस्टर बनाए, वहीं कोलाज, स्वतंत्र चित्र, पोट्र्रेट, पेन्टिंग्स, मिनिएचर्स, रेखांकन, कार्टून, पुस्तकों के मुखपृष्ठ, भोजपत्र पर चित्रकारी, प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियाँ भी बनाई। बी. मोहन नेगी के कलाकर्म को शास्त्रीय सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता।
शास्त्रीय मापदण्डों के द्वारा उनके कार्यों की समीक्षा उनके साथ न्याय नहीं कर पायेगी। वे स्वतंत्र और प्रयोगधर्मी चित्रकार हैं। अकादमिक सीमाओं से बाहर निकल कर एक अपना सा रचना संसार उन्हांेने गढ़ा है। वे लोक के ज्यादा निकट हैं शास्त्र के नहीं। सीमाओं से बाहर निकल कर बी. मोहन नेगी ने जहाँ सम्भावनाएँ महसूस कीं वहाँ उड़ान भरी। बहुत सारे नये प्रयोग किये। माध्यम के रूप में भी वे परम्परागत माध्यमों से बँधकर नहीं रहे। वाटर कलर, पोस्टर कलर, आॅयलपेन्ट, फेब्रिक, ब्लैकइंक सहित कुछ नितान्त मौलिक माध्यमों के द्वारा भी उन्होंने कैनवास पर आकृतियों को उभारा। बी. मोहन नेगी के द्वारा बनाये गये कविता पोस्टर कला और साहित्य दोनो दृष्टियों से महत्वपूर्ण हैं। चन्द्रकुँवर बत्र्वाल पर बनाये गये कोलाज शैली के कविता पोस्टरों की सीरीज उनका कला और साहित्य के लिए उल्लेखनीय योगदान है। इन पोस्टरों के साथ चंद्रकुँवर के कविता संसार से गुजरना एक दुर्लभ अनुभव होता है। किसी समारोह में बड़े जनसमूह को इन पोस्टरों में परोसी गई चंद्रकुँवर की पक्तियों से स्पन्दित होते हुए महसूस किया जा सकता है। इन कविता पोस्टरों के द्वारा चन्द्रकुँवर आम जन के अन्दर बैठे। इसी प्रकार गढ़वाली कविताओं को चुन-चुन कर उन पर कविता पोस्टरों का निर्माण सिर्फ बी. मोहन नेगी ही कर सकते हैं। ये कविता पोस्टर आम लोगों से गढ़वाली कविता का परिचय कराने के साथ-साथ नई पीढ़ी का ध्यान गढ़वाली साहित्य की ओर खींचने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। बी. मोहन नेगी के रेखांकनों में पहाड़ का बिम्ब नजर आता है। चाहे वो माॅडर्न आर्ट हो या राजा रवि वर्मा की शैली की चित्रकला, पहाड़ उनके चित्रों से पल भर के लिए भी दूर नहीं होता। रेखाओं में एकाग्रता और गति होती है। आप उनके किसी कार्य को देख लीजिए। उस पर बी. मोहन नेगी के कठोर परिश्रम की झलक स्पष्ट नजर आयेगी। वे कौशल और हुनर पर आत्मीयता, एकाग्रता और तन्मयता को तरजीह देने वाले चित्रकार हैं। साहित्य की अच्छी समझ रखने वाले चित्रकार हैं बी. मोहन। साहित्यप्रेमी है। षायद यही बात उन्हें कविता पोस्टरों तक खींच ले गई। उनकी साहित्य की समझ को उनके द्वारा चयनित कविताओं में देखा जा सकता है। गढ़वाली साहित्य के दुर्लभ पुस्तकों के संग्रहकर्ता के रूप में उनका एक और उल्लेखनीय योगदान है। आध्यात्मिक शुचिता और व्यसनांे से मुक्त, भारतीय ऋषि परम्परा का निर्वहन करते हुए एक अनोखा संयमित जीवन जीने वाले ऐसे अल्पसंख्यक चित्रकार जो कभी भी ‘दूसरी वजहों’ से चर्चा में नहीं रहे….और न रहना चाहा। कला साधना में इतना गहरे उतरने के बावजूद अपने आप को एक जिम्मेदार नागरिक बनाये रखने में भी और सरकारी सेवक के रूप में भी सफल। सफल पति और जिम्मेदार पिता भी। अच्छे मित्र, दोस्त और शुभचिंतक। कोई राजनैतिक पक्षधरता नहीं, सत्ता के गलियारों में अपनी पहचान अंकित करने या सत्ताधीशों को रिझाने की छटपटाहट नहीं। छोटे पहाड़ी कस्बों में कला साधना में डूबा बड़ा चित्रकार। चित्रकला बहुत लोकप्रिय विधा न होने के बावजूद उसे लोकप्रिय बनाने वाला कलाकार। निरन्तर सक्रियता एक बहुत बड़ी विशिष्टता है उनकी। लगातार और लगातार। एक दिन की भी अनुपस्थिति नहीं। इतने लम्बे समय तक बिना किसी रिटर्न के, न दाम और न उनके योगदान के मुकाबले का कोई बड़ा सम्मान, निरन्तर कला साधना में रत रहना बिरले ही लोगों के बस का है। बिना किसी फायदे के पूरा जीवन खपा देना……तपस्या है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *