सुप्रसिद्ध गायक रजनीकांत सेमवाल ने की मुखवा गांव को पहला गंगा गांव घोषित करने की वकालत।

सुप्रसिद्ध गायक रजनीकांत सेमवाल ने की मुखवा गांव को पहला गंगा गांव घोषित करने की वकालत।
देहरादून 20 फरवरी 2018 (हि. डिस्कवर)
गंगोत्री धाम के पंडा समाज से जुड़े सुप्रसिद्ध लोकगायक रजनीकांत सेमवाल ने कहा है कि माँ गंगा के पुजारी होने के फलस्वरूप उनके गांव मुखवा को पहला गंगा गांव घोषित करने के लिए पहल होनी चाहिए। उन्होंने सोशल साइट पर ट्वीट करते हुए कहा है कि ” हमारे पुरखो ने गंगा माँ के लिए स्वयं भूखे रहकर गंगा माँ को भोग लगाया . 8-10 फ़ीट बर्फ़ में नंगे पैर रहकर गंगा जी की पूजा अर्चना की . ऋषिकेश से पैदल चल कर गंगा जी की पूजा सामग्री गंगोत्री तक पहुँचायी. और आज भी पूजा अर्चना की व्यवस्था वैसे ही चली आ रही हैं. मेरा यह मानना है की गंगा किनारे बसे सभी गाँव ‘गंगा गाँव ‘ हैं . माँ सभी की हैं. पर यदि सरकार हमारे पुरखों द्वारा किए गए बलिदान को सम्मान देते हुए पहला ‘गंगा गाँव’ माँ गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखवा को घोषित करती तो हम उनके आजीवन ऋणी रहते।”

ज्ञात हो कि रजनीकांत सेमवाल उत्तराखण्ड के पहले ऐसे गायक हुए जिन्होंने उत्तराखण्डी लोकगीतों में प्रयोगधर्मिता अपनाते हुए इसके संगीत और गायन पक्ष को गिटार की धुन पर कम्पोज कर उसके भड़कीले स्वरूप को मिठास के रस में घोलकर उसके स्वरूप को तो यथावत रखा लेकिन संगीत व गायन में अनूठे प्रयोग किये जिसमें उनके कई गीत एक दौर की कामयाबी लिखकर उन्हें भीड़ से अलग रखने में कामयाब रहे। उन्होंने ” हे रामिये”, “मेरी सुनीता रेशमी बांदे” , टिकुलिया मामा सहित ऐसे दर्जनों गीत देश व विदेश के मंचों व मार्केट में उतारे कि उसके बाद प्रयोगधर्मिता यहां के हर उभरते गायक व संगीतज्ञ का सपना बन गया।
ज्ञात हो कि वैलेंटाइन डे पर रजनीकांत सेमवाल ने एक सुंदर हिंदी गीत भी बाजार में उतारा है।
यकीनन आज अगर वह माँ गंगा के प्रथम गांव के रूप में मुखवा गांव का नामकरण करवाने की बात करते हैं तब हम सभी को उसका समर्थन करना चाहिए क्योंकि गंगा मैया के गंगोत्री धाम के इन्हीं पण्डों की वजह से हम माँ गंगा का स्नान करते हुए ” हर हर गंगे” के साथ माँ गंगा के पावन धाम की छवि बेहद पवित्र मन से हृदय में बसाते हैं

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