सुकमा नक्सली हमले की निंदा के शब्द नहीं !
कुंदन सिंह की कलम से-
बधाई हो मेरे लाल सलाम वालों मित्रों । कल आपकी क्रांति को 25 और सितारे मिल गए । 25 वैसे जवान जो जंगलो में रात दिन आपने हुक्मरानों का आदेश का पालन करते थे ताकि उनके घर का चूल्हा जलता रहे , उनके बच्चे रात को भूखे पेट ना सोयें l आज वो शाहिद हो गए l उन शहीदों को सत सत नमन l
तुम्हारे कलेजो को तो ठंडक मिली होगी उन मासूमों का ख़ून देख कर । पर क्या क़सूर उनको था , वो तो सिर्फ़ हुकुम के ग़ुलाम हैं तुम्हारी तरह । कल कुछ और आ जाएँग फिर से , या तो मरने या मारने l
क्या कुछ बदला है इस लाल क्रांति ने , सिर्फ़ ख़ून बहे हैं दोनो तरफ़ , सर्फ़ घर उज़रे हैं दोनो तरफ़ ।
ना सरकार के पॉलिसी में कुछ बदलाव आया है और ना आपका कुछ विकास हुआ है । आज भी वो सामंत महलों में है और और तुम लोग आज भी उन जंगलो में छिप रहे हो और तुम्हारे हुक्मरानों कही दूर देशों में मौज कर रहे हैं तुम्हारे इस लाल क्रांति के नाम पर ।
क्या मिला है तुम्हें । ग़रीब और बेसहारा आज भी इन पूँजीपति और सामंतों के हाँथों कुचलें जा रहे हैं , आज भी इनके बच्चे भूखे पेट सो रहे हैं। क्या इनको रोटी दे पायी है तुम्हारी क्रांति । इसने दिया है तो बस तुमको एक झूठी संतुष्टि , वो भी उन बेचारे ग़रीब सैनि ख़ून देख कर ।
राजा और वज़ीर और उनके सामंत दोस्त तो दोनो तरफ़ सलामत हैं । कभी वो जश्न मनाते हैं तो कभी तुम । क्या कुछ बदला है तुम्हारे इस क्रांति ने । अपनी मानसिकता के कचुलो से बाहर निकलो और देखो कितना असर हुआ है तुम्हारे इस क्रांति का , सिर्फ़ घर बर्बाद हुए हैं इससे । समय है सोचो अपनी इस ख़ोखली क्रांति के सपनों को बेचना बंद करो ।
क्रांति के नाम पर चल रहे हथियारों के वयपार को बंद करके नया रास्ता आपनाओ l सिर्फ़ लाल सलाम लाल सलाम करने से कुछ नहीं बदलने वाला । जब तक जनमत को आपने साथ नहीं करते तब तक तुम्हारी क्रांति सिर्फ़ तुम्हारे कुछ मित्रों तक ही रह जाएगा और तुम लोग सिर्फ़ ख़ून और क़लम से सपनों में क्रांति लाते रहना l
My deepest condolence to the matyrs of the nation, who sacrificed their life in defending the policies of the government .