साहसिक पर्यटन के हस्ताक्षर कहे जाने वाले मनीष जोशी को क्यों नहीं प्रमोट करती प्रदेश सरकार।
*आखिर अपने लोग क्यों हाशिये पर रखती है प्रदेश सरकार। साहसिक पर्यटन के हस्ताक्षर कहे जाने वाले मनीष जोशी को क्यों नहीं प्रमोट करती प्रदेश सरकार।
(मनोज इष्टवाल)
प्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा क़ि साहसिक पर्यटन व् साहसिक खेलों में विश्व रिकॉर्ड कायम करने वाले पौड़ी निवासी मनीष जोशी के गृह जनपद पौड़ी में हर साल साहसिक पर्यटन को प्रमोट करने के लिए 40 से 50 लाख का सालाना बजट सिर्फ बड़े अधिकारियों के घर की शोभा बढ़ाने में खर्च होता है। जो लैप्स न हो जाय इस डर से दुसरे विभाग में ट्रांसफर कर कार्पेट सोफा इत्यादि के काम आता है।
साहसिक पर्यटन पर पौड़ी जनपद ने सिर्फ हाल ही में एक ट्रेक पर काम किया जो मात्र दो किमी का है। वहीँ विभाग का आलम यह है कि पौड़ी जैसे पर्यटन के बड़े बिषय पर आँखें मूंदे बैठे हैं जहाँ मनीष जोशी जैसा व्यक्तित्व है जो लगभग तीन बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं।
ये वे ही मनीष जोशी हैं जिन्होंने नार्थ इंडिया में सर्व प्रथम पैराग्लाइडिंग शुरू करवाई। वो भी पौड़ी के पास एक छोटे से स्थान कंडारा में । जहाँ अंग्रेज, सेना व् स्थानीय कई लोगों के अलावा उ.प्र. के जमाने के तत्कालीन आई एस, आई ऍफ़ एस व् आई पी एस व् पी सी एस अफसरों के भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।
मनीष जोशी वह व्यक्तित्व है जिसने मात्र 14 साल की उम्र में दून स्कूल में अपने अध्ययन के दौरान सिंगल इंजन का एक एयर प्लेन बनाया जिसमे दो व्यक्ति आराम से उड़ सकते हैं। यह उनके द्वारा बनाया गया विश्व कीर्तिमान है जिसे वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया।
हिमालयन पैराग्लाइडिंग के नाम से इंस्टिट्यूट चलाने वाले मनीष जोशी ने मोटर चालित पहला ऐसा पैराग्लाइडर बनाया जो बहुत लंबी व् ऊँची उड़ान भर सकता है। जो दुश्मनों के राडार से बचकर सीमा की निगरानी कर सकता है। यह पहला व्यक्ति है जिसने संसार की सबसे ऊंची सड़क पर मोटर साइकिल दौड़ाकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया।
आज साहसिक खेल पर सरकार टिहरी झील में करोड़ों रूपये खर्च कर उसे प्रमोट कर रही है जो बहुत बड़ा शुभ संकेत है। वहीँ पौड़ी जैसी नैसर्गिकता से भरे शहर या जिले के नाकाबिल अफसरों की वजह से यहाँ के वर्ल्ड रिकॉर्ड धारी मनीष जोशी जैसे होनहारों को किनारे कर लाखों के वारे न्यारे करने के लिए जिले में पैराग्लाइडिंग करवाने के लिए हिमाचल से ट्रेनर बुलाये जाते हैं जो मनीष जोशी के उसी पॉइंट से जो सीतावनस्यु में स्थित है पैराग्लाइडिंग करवाते हैं। आखिर प्रदेश सरकार क्यों अपने ऐसे नकारे अधिकारियों को कुर्सी पर बिठाये है जो सिर्फ कमाई का जरिया ढून्ढ रहे हैं और बाकी कुछ नहीं।
मनीष जोशी को न सिर्फ हिंदुस्तान के बड़ी पत्रिकाओं अखबारोँ ने छापा बल्कि विश्व भर के अखबारों ने उनका लोहा माना। मनीष शायद पहले ऐसे गढ़वाली हैं जो टाइम्स मैगज़ीन की खबर में भी रहे।
आईये मनीष जोशी जैसी सख्शियत को हम सोशल साइट के माध्यम से भी प्रमोट करें ताकि हम फक्र कर सकें क़ि हमारे पास आज भी कई कोहिनूर हैं।