सावणी गाँव अग्नि काण्ड में सहायता के लिए आगे आये पर्वत क्षेत्र के 22 गाँव!

सावणी गाँव अग्नि काण्ड में सहायता के लिए आगे आये पर्वत क्षेत्र के 22 गाँव!

(मनोज इष्टवाल)
पट्टी पंचगाई पर्वत क्षेत्र के सावणी गाँव में हुए विगत दिनों के अग्नि काण्ड ने जहाँ 39 मकान जलाकर राख कर दिए वहीँ पर्वत क्षेत्र के पूरे 22 के 22 गाँव सावणी गाँव वासियों की पुनः बसागत के लिए आगे आ गए हैं! मवेशियों के साथ मोटा अनुमान यह लगाया जा रहा है सावणी गाँव के ख़ाक में मिलने से ग्रामीणों को करोड़ों का नुक्सान हुआ है !

ज्ञात हो कि सावणी गाँव के जले 39 मकान सभी बड़े भवनों में शामिल थे व वर्तमान में अगर एक एक माकन की कीमत आंकी जाय तो प्रत्येक 40 से 50 लाख की अनुमानित लागत से कम का निर्मित नहीं रहा होगा! वहीँ सूत्रों से ज्ञात हुआ है की पर्वत क्षेत्र की तीनों पट्टियों पंचगाई, बड़ासू व अड़ोर के गाँव क्रमशः जखोल, धारा, रेक्चा, लिवाड़ी, फिताड़ी, कासला, राला, पाँव तल्ला, पाँव मला, सटूडी, सुनकुंडी, हरिपुर, सिरगा, सावणी, तालुका, दाट्मीर, धारकोट, गंगाड, पवाणी, ओसला, सौड, डाटमीर, कोटगाँव, मोताड़ के ग्रामीणों ने अपने क्षेत्र के गाँव की पुनः बसागत के लिए कमर कस दी है व सभी मदद के लिए हाथ बंटा रहे हैं.

आपको बता दें कि अब तक पर्वत क्षेत्र के इन गाँवों ने मकान जलने की कई त्रासदी झेली हैं ! राज्य नने बाद बड़ासू पट्टी के ढाटमीर गांव में दिसंबर 2006 में 120 मकान जहाँ जलकर स्वाहा हुए और एक युवक की मौत हुई वहीँ यह सिलसिला हर बर्ष चलता रहा ! जनवरी 2007 में नैटवाड़ बाजार में 4 दुकानें जलकर राख हुई, मार्च 2007 में भितरी गांव में दो मकान जले तथा इसी साल अक्टूबर 2007 में मैंजणी गांव में दो मकान जले, पुनः दिसंबर 2007 में ओसला गांव में 53 मकान जलकर राख हुए! मार्च 2008 में कोट गांव में 10 मकान जले व एक व्यक्ति की मौत हुई साथ ही 90 मवेशी भी जल मरे, दुबारा फिर डाटमीर गाँव में दिसंबर 2008 में 34 मकान जलकर राख हुए, मई 2009 में सल्ला गांव में पांच मकान अग्नि काण्ड में स्वाहा हुए, अप्रैल 2010 में सिदरी गांव में 40 मकान जलकर राख हुए साथ ही दो लोगों की मौत भी हुई! दिसंबर 2011 में पैंसर गांव में 14 मकान स्वाहा हुए वहीँ नवंबर 2011 में धारा गांव में तीन मकान तथा मार्च 2012 में सटूड़ी गांव में तीन मकान जलकर ख़ाक हुए यहीं यह दौर रुका नहीं और इसी माह मार्च 2012 में सिदरी में एक मकान स्वाहा हुआ।

नवंबर 2013 में सुनकुंडी में 22 मकान जले! जनवरी 2015 में रेक्चा गांव में चार तथा इसी माह जनवरी 2015 में भितरी गांव में आठ मकान जले व 38 मवेशियों की मौत हुई! मार्च 2017 में नूराणू गांव में दो मकान जले व मार्च 2017 में ही भितरी गांव में एक मकान स्वाहा हुआ! फरवरी 2018 में मसरी गांव में एक मकान तथा विगत 16 फरवरी 2018 में सावणी गांव में 39मकान जलकर स्वाहा हुए और लगभग 100 से अधिक मवेशी दवाग्नि में जलकर भस्म हुए!

इन आंकड़ो से आप हिसाब लगा सकते हैं कि हर साल दो दो बार ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं फिर भी मानवजनित लापरवाही के चलते हर बर्ष ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जोकि यकीनन हम सबके लिए बेहद अफ़सोस जनक है क्योंकि हम हर बार हर बर्ष यह सब झेल रहे हैं लेकिन फिर भी नहीं चेत पा रहे हैं!
दुबई से जहाँ समाजसेविका गीता डोभाल चंदोला ने इस घटना पर गहरा दुःख ब्यक्त करते हुए कहा कि जब से यह घटना उन्हें सोशल साईट से पता चली है तब से वह ढंग से सो नहीं पाई हैं! उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे दुबई में रह रहे भारतीयों से इस दुःख की घड़ी में इस गाँव के ग्रामीणों की सहायता के लिए अपील करेंगी व जो भी यहाँ से बन पाया वह जरुर मदद करने की भरसक कोशिश करेंगी!
वहीँ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी लगातार राहत सम्बन्धी जानकारियाँ जिला प्रशासन से जुटा रहे हैं व उनके कल सावणी गाँव दौरे की बात सुनने को मिल रही है!

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