सरकारी अमले का दुरपयोग कर जीता चुनाव आखिर अदालत में हारे! चार साल एक माह के बाद जीते इंद्र सिंह नेगी! कहा आखिर सत्य की विजयी हुई!

चकराता/देहरादून २१ अगस्त २०१८ (हि. डिस्कवर)
एक कहावत है “हिम्मत-ए– मरदां ते मदद-ए-खुदा।” जिसे आखिर इंद्र सिंह नेगी ने सच साबित करके दिखा दिया! और चार साल एक माह तक कानूनी लड़ाई पूरे सिस्टम के साथ लड़कर उसे उन्होंने आखिर जीत ही लिया! यह चुनाव वह था जिसमें एक ओर पूरा सरकारी तंत्र जुटा था तो दूसरी ओर जनता जनार्धन! और करप्ट सिस्टम की करतूतों ने आखिर जनता के जीते हुए नुमाइंदें को छल पूर्वक हराकर जनता के साथ जो छल किया उसकी वानगी यह रही कि पूरे चार साल एक माह तक हारा हुआ प्रत्याक्षी जनता का नुमाइंदा बना रहा और जीता हुआ प्रत्याक्षी झोला उठाकर रोज कोर्ट कचहरी के चक्कर काटता दिखा!
राजधानी देहरादून के विकास खंड कालसी की क्षेत्र पंचायत लाछा का यह चुनाव एक ओर जहाँ इतिहास रच गया वहीँ उस सिस्टम के मुंह पर कालिख भी पोत गया जिसने बेहद चतुराई से एक हारे हुए प्रत्याशी को धन बल के बल जिता दिया! बर्ष २०१४ में हुए क्षेत्र पंचायत के चुनाव में क्षेत्र पंचायत लाछा से क्षेत्र पंचायत सदस्य के रूप में तीन प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा जिनमें इन्दर सिंह नेगी, राजेश नौटियाल व नीरज रावत प्रमुख हैं! मतदान केंद्र कालसी में वोटिंग के बाद जब मतगणना शुरू हुई तो ५१ मतों में १० मत अवैध घोषित इसलिए किये गए क्योंकि उनमें दो दो मोहर व गलत जगह मोहर का मामला था! बाकी बचे ४१ मतपत्रों पर पीठासीन अधिकारी ने हस्ताक्षर नहीं किये जिसके बाद शोर-शराबा हुआ और जैसे तैसे समझा बुझाकर कुछ देर बाद शोर शराबा शांत होते ही निर्वाचन अधिकारी ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए राजेश नौटियाल को एक वोट से चुनाव जीतने की घोषणा कर दी!

आपको बता दें कि इंद्र सिंह नेगी ने उस दौर में प्रमुख पद के सशक्त दावेदार थे और तत्कालीन कांग्रेस सरकार को यही बड़ा डर था कि कहीं उनका प्रत्याक्षी हार गया तो आगे चलकर मुश्किल हो जाएगा।

इंद्र सिंह नेगी बताते हैं कि सरकारी सिस्टम से लड़ना कितना मुश्किल काम है यह इस चुनाव ने मुझे दिखा दिया! मेरे सामने मेरी जीत के मतपत्र पड़े थे लेकिन मैं असहाय की भांति कुछ कर नहीं सका! फिर मैंने दृढ निश्चय कर ही दिया कि चाहे खेत बिके या मैं बिक जाऊं लेकिन उन लोगों के लिए अवश्य लडूंगा जिन्होंने मुझे जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था! मुझे कईयों ने समझाया कि उनकी सरकार है वो जो मर्जी चाहेंगे वैसा होगा अब भूल जाओ और फैसला भगवान् के हाथ छोड़ दो! लेकिन मेरे लिए उन लोगों से नजर मिलाना मुश्किल हो रखा था जिन्होंने मुझे वोट दिए! इसलिए दृढ संकल्प लेकर मैंने जुलाई २०१४ में ही अदालत की शरण ली और हर पेशी झेलता झेलता चार बर्ष के लम्बे अंतराल तक केस लड़ता रहा! परिवार में धर्मपत्नी ने पूरा सहयोग दिया! भले ही कई बार यह लगता भी रहा होगा कि अब यह केस तब भी समाप्त नहीं होगा जब पांच साल की अवधि बीत जायेगी लेकिन मुझे अपने व अदालत के फैसले पर पूरा विश्वास था आखिर माननीय न्यायालय ने आज दुबारा मतपत्रों की गिनती करवाकर उन ४१ मतों की गिनती ही शुरू कर दी जिसमें पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे!

और आखिर आज पुनः मत गणना शुरू हुई जिसमें ६१७ मत इंद्र सिंह नेगी, ५८९ मत राजेश नौटियाल व ४५ मत नीरज रावत को पड़े जबकि कुल २८ मत अवैध घोषित किये गए! इस तरह बिना पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर वाले ४१ मतों में ३५ मत इंद्र सिंह नेगी के पक्ष में गए जबकि ६ मत राजेश नौटियाल को मिले और निर्वाचन अधिकारी द्वारा इंद्र सिंह नेगी को विजयी घोषित कर दिया!
चार साल एक माह तक अदालत के फैसले के लिए अदालत के चक्कर काटकर आखिर इन्साफ पाने वाले इंद्र सिंह नेगी ने कहा यह जीत इसलिए मायने रखती है क्योंकि जिस जनता जनार्दन ने मेरे समर्थन में मुझे वोट किया था आज उन्हें ख़ुशी होगी कि देर से सही लेकिन उसके घर अंधेर नहीं है!
चुनाव जीतने की खुशी में जहां उनके कार्यकर्ताओ ने उन्हें फूल मालाएं पहनाई वहीं विकास नगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान के विकास नगर आवास में सैकड़ों कार्यकर्ताओ ने इंद्र सिंह नेगी को चुनाव जीतने की शुभकामनाएं दी ।
बहरहाल यह चुनाव जरुर सरकारी दस्तावेजों में रिकॉर्ड होगा जिसमें चार साल व लगभग एक माह के अंतराल बाद हारा हुआ जीता प्रत्याक्षी हारकर बाहर होगा और हार कर जीता हुआ प्रत्याक्षी अंदर!

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