श्रमदान से पेयजल लाइन बिछाकर सरकार को आइना दिखाया डांडामंडल क्षेत्र के दो गाँवों ने!

श्रमदान से पेयजल लाइन बिछाकर सरकार को आइना दिखाया डांडामंडल क्षेत्र के दो गाँवों ने!
(मनोज इष्टवाल)
बर्षों तक सरकारी विभागों में पानी-पानी की गुहार लगाने वाले प्रदेश के आज भी सैकड़ों गाँव व उनमें रहने वाले ग्रामीणों के हलक प्यासे हैं. हर सरकार पेयजल आपूर्ति के दावे कर करोड़ों की पेयजल योजना कागजों में उतारती है लेकिन नतीजा सिफर ही होता है. ऐसा ही कुछ डांडामंडल क्षेत्र के लोगों के साथ भी बर्षों तक होता आया है. लेकिन अंत में गाँव के ग्रामीणों के प्यासे हलक कैसे तर्र हों इसके लिए सर्व प्रथम डांडामंडल के मल्ला बनास के लोगों ने पंचायत बुलाई और जो निर्णय लिया वह अभूतपूर्व साबित हुआ आज लगभग 100 परिवारों के इस गाँव में ग्रामीण श्रम शक्ति के कारण घर-घर 24 घंटे के पेयजल कनेक्शन है.

(किमसार गाँव)
तल्ला बनास के समाजसेवी व वर्तमान में इंटर कालेज किमसार के प्रधान बचन सिंह बिष्ट बताते हैं कि सन 2012-2013 में ग्रामीणों ने जनसहयोग से लगभग रूपये 80 हजार अंशदान, रूपये 60 हजार पंचायती सहयोग व रूपये 2 लाख खंड विकास के सहयोग से ग्रामीण श्रमदान शुरू कर दिया व रौला-पाख़ा स्रोत से पानी की पाइप लाइन गाँव तक बिछानी शुरू कर दी. अंत में पेयजल निगम द्वारा एक रिजर्व टैंक बनाकर ग्रामीणों के सपनों को साकार करने अपनी भूमिका निभाई. मात्र कुछ लाख में ही तब से अब तक इस गाँव की पेयजल आपूर्ति बदस्तूर जारी है.

(मल्ला बनास)
मल्ला बनास की देखा-देखी में ग्राम किमसार जोकि बर्षों से प्यासा था के ग्रामीणों ने भी बर्ष 2016-2017 में श्रमदान के लिए हाथों में गैंती-फावड़े कुदाल उठाये व जोगियापाणी स्रोत के मुहावने पर जा पहुंचे. मिटटी, गारे, पत्थर पर लोहे के फल पाइप लाइन का रास्ता बनाते आखिर रिजर्व टैंक तक जा पहुंचे जो लगभग 20000 लीटर एकत्र किया जाता है. यहाँ की ग्राम प्रधान सुनीता देवी बताती हैं कि मात्र 8.50 लाख में आखिर पाइप लाइन घर-घर पहुंचकर 70 घरों के कनेक्शनों को 24 घंटे पेयजल आपूर्ति कर रही है.  वो बताती हैं कि इस पेयजल लाइन को बिछाने में लगभग 3.13 लाख भाजपा की पूर्व विधायक विजय बडथ्वाल, 2.00 लाख मनरेगा और बाकी धनराशि ग्रामीण अंशदान से जुटाई गयी है.

(हाई फीड की टीम)
वर्तमान में मल्ला बनास की ग्राम प्रधान श्रीमती बिमला देवी व किमसार की प्रधान श्रीमती सुनीता देवी का कहना है कि भले ही पलायन गाँवों से बदस्तूर जारी है लेकिन पिछले कुछ बर्षों से हमारे दोनों गाँवों में पलायन के कदम थम गए हैं. अब हमें हाईफीड नामक संस्था महिला समूहों के माध्यम से कृषि कार्य की नई तकनीक का प्रशिक्षण देकर उन्नत किस्म की सब्जियां उगाने के लिए प्रशिक्षण देने वाली है. ऐसे में हमें उम्मीद है कि यह क्षेत्र फिर से छोटी विलायत कहलायेगा.

(ग्राम किमसार की महिला प्रधान सुनीता देवी, उनके पति व समाज सेवी बचन बिष्ट के साथ लेखक)
बहरहाल ग्रामीणों ने सरकारी महकमों को अंगूठा दिखाकर यह तो साबित कर ही दिया कि अगर वे इनके वायदों और योजनाओं के विश्वास पर ही भरोसा कर बैठे होते तो अब तक ये दोनों गाँव अन्य गाँवों की तरह वीरान हो चुके होते. मल्ला बनास को इस कृत्य के लिए आदर्श गाँव का पुरस्कार भी मिल चुका है.

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