शराबबंदी पर संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पन्त का बड़ा बयान!कहा उत्तराखंड में शराब के ठेके बचाने के लिए सड़कों का दर्जा कम करने की बात ठीक नहीं है!
शराबबंदी पर संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पन्त का बड़ा बयान!कहा उत्तराखंड में शराब के ठेके बचाने के लिए सड़कों का दर्जा कम करने की बात ठीक नहीं है!
देहरादून 12 अप्रैल (हि. डिस्कवर)
उत्तराखंड के विधायी, संसदीय कार्य मंत्री व आबकारी मंत्री प्रकाश पन्त ने शराब पर हो रहे जनांदोलनों को देखते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि शराब की कीमत पर राज्य की सड़कों की कीमत कम करनी ठीक नहीं है.
यह बयान महत्वपूर्ण इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में मातृशक्ति शराब के विरोध में सड़कों पर उतर आई हैं और यह सर्वथा सत्य रहा है कि जब भी उत्तराखंडी मातृशक्ति सड़कों पर उतरी वे अपना आन्दोलन पूरा करने के बाद ही लौटी हैं. और तो और इन्हीं माँ बहनों के आन्दोलन की उपज यह उत्तराखंड राज्य है.
आबकारी मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आना प्रदेश हित में इसलिए भी बेहद जरुरी है क्योंकि हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों से जनता के बीच सरकार की किरकिरी हुई है. जिनमे विधान सभा सत्र के दौरान लोकायुक्त व स्थानान्तरण बिल प्रस्तुत करना और फिर उसे प्रवर समिति को सौंप देना तदोपरांत शराब से जुटने वाले राजस्व के लिए स्टेट वे को डिस्ट्रिक्ट वे बना देने जैसे निर्णय जनता ने सिरे से खारिज कर दिए.
जनता में गुस्सा इतना फूटा कि वे हर जनपद में शराब के विरुद्ध लामबंद होने लगे. यह सरकार के लिए एक ऐसा अप्रत्याक्षित कदम था जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी. मातृशक्ति के सड़कों में उतर जाने व विगत दिवस मुख्यमंत्री के गॉव में ही मुख्यमंत्री से शराबबंदी का अनुरोध करने वाली गॉव की महिलाओं ने अपने इरादे साफ़ कर दिए कि शराब से अगर राजस्व बढ़ता है तो सड़क के लिए भी केंद्र करोड़ों देता है.
मातृशक्ति के शराब नहीं शिक्षा रोजगार दो के नारे की परिभाषा समझते ही संसदीय कार्य मंत्री व आबकारी मंत्री प्रकाश पन्त ने बयान दिया कि आबकारी और शराब मामले में न्यायालय के आदेशों का अक्सरश: पालन किया जायेगा, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में शराब के ठेके बचाने के लिए सड़कों का दर्जा कम करने की बात सही नहीं है। बल्कि सिर्फ शहरी क्षेत्रों में इन राजमार्गों की रख रखाव का जिम्मा स्थानीय निकायों को देने पर कैबिनेट में सहमति बनी है, इसमें शराब कहीं शामिल नहीं है। पर साथ ही उन्होंने दलील दी कि अब तक की शराब बंदी असफल रही है! यह बयान ऐसे समय पर आया जब उत्तराखंड की महिलाए शराब के विरुद्ध आन्दोलन कर रही हैं. जहाँ यह बयान स्वागत योग्य है वहीँ सरकार के लिए राहत लाने वाला भी क्योंकि शराब नीति पर सचमुच सरकार बैकफुट पर आती दिखाई दे रही थी.