शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज की सम्पति पर ठगों की नजर।

शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज की संपत्ति पर ठगों की नज़र ।

शंकरचार्या जी के शरीर त्यागने के पहले बहुत से लोगों ने उन्हें लूटा है. आज उनकी अरबों की संपती , रुद्रपायग, ऋषिकेश, हरिद्वार, दिल्ली, चंडीगढ़, वृंदावन आदि शहरों में है और अब ये चार्ल्ज़ शोभरज जैसे लोग पहले तो ख़ूब लूटा और अब उनकी सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं. श्रीनगर में भी क़ुच्छ लोग हैं
शंकराचार्य माधवाश्र के शरीर छोड़ने के बाद उनकी अरबों की संपत्ति पर ठगों की नज़र लग गई है। रुद्रपायग, ऋषिकेश, हरिद्वार, दिल्ली, चंडीगढ़ और वृंदावन आदि शहरों में मौजूद शंकराचार्य की जमीन और आश्रमों पर ठग गिद्ध की तरह नजरें गाढे बैठे हैं।
प्रेम बल्लभ नैथानी जी के अनुसार श्रीनगर कहना है शंकरचार्या जी के शरीर त्यागने से पहले भी कई लोगों ने उन्हें ख़ूब लूटा है और अब उनकी संपत्ति पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं। इन लोगों ने रुद्रप्रयाग के पास कोटेश्वर अस्पताल और रुद्रप्रयाग में स्वामी जी की संपत्ति पर कब्जा कर शंकरचार्या जी को बेवक़ूफ़ बनाया। इनमें से कुछ लोगों आज भी श्रीनगर में मौजूद है। जिनका नाम का खुलासा हम बहुत जल्द करेंगे।
आपको बता दें कि स्वामी माधवाश्र को 1993 में शंकराचार्य की उपाधि, सनातनधर्म के लिए प्रचार और गोसेवा अभियान के तहत शहर से भी चार दशक तक नाता रखने वाले ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज पिछले दिनों शरीर त्याग परलोक गमन कर गए।
स्वामी माधवाश्रम महाराज लंबे समय से बीमार थे। उनका इलाज चंडीगढ़ में चल रहा था। लेकिन उनकी सेहत लगातार बिगड़ती गई जिसके चलते उन्होंने शरीर त्याग दिया।
आपको बता दें कि शंकरचार्या स्वामी माधवाश्र महाराज जी के अथक प्रयासों से ही हैबोवाल में संस्कृत महाविद्यालय और हंबड़ां रोड पर गोलोक धाम की स्थापना हुई थी।
शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज उत्तराखंड में बद्रीनाथ तीर्थ के समीप जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य थे। उन्हें दिसंबर, 1993 में यह उपाधि मिली थी। यह आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है। स्वामी जी उत्तराखण्ड क्षेत्र से शंकराचार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी थे। वे अखिल भारतीय धर्म संघ समेत विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के अध्यक्ष सदस्य रहे। उनका जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के बेंजी गांव में हुआ था। इनका मूलनाम केशवानंद था। स्कूली शिक्षा के बाद हरिद्वार, अंबाला में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, वृंदावन में बंशीवट में श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के आश्रम वाराणसी समेत देश के विभिन्न स्थानों पर वेदों एवं धर्मशास्त्रों की दीक्षा ली। इनकी विद्वता को देखते हुए धर्म संघ के तत्वाधान में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री के आशीर्वाद से जगन्नाथ पुरीपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ ने इनको ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया।
आज इन्हीं की संपत्ति को खुर्दबुर्द करने के लिए कई ठग नाम लोग घूम रहे हैं। जो चोरी छिपे स्वामी जी की जमीन और आश्रमों पर कब्जे के लिए घूम रहे हैं। लेकिन तमाम सामाजिक संगठनों को कहना है कि हम इन ठगों को यह सब नहीं करने देंगे। इस सिलसिले में शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज की जमीन और आश्रमों को बचाने के लिए तमाम सामाजिक संगठनों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की भी की है।

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