वैली ऑफ फ्लावर में घटते फूलों पर बोले पर्यावरणविद चंडीप्रसाद भट्ट- पुराने प्रयोग अपनाने होंगे।

वैली ऑफ फ्लावर में घटते फूलों पर बोले पर्यावरणविद चंडीप्रसाद भट्ट- पुराने प्रयोग अपनाने होंगे।

(मनोज इष्टवाल)

एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीटूट नैनीताल (उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी) में आयोजित “रोल ऑफ मीडिया इन डिजास्टर मैनेजमेंट ” विषयक पर आयोजित कार्यशाला में पहुंचे विश्व प्रसिद्ध मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने वैली ऑफ फ्लावर में घटते फूलों की संख्या पर चिंता ब्यक्त करते हुए इसे प्रकृति का बड़ा असंतुलन बताया। 

यह पूछे जाने पर कि क्या भेङ बकरी पालकों को वैली ऑफ फ्लावर जाने पर पाबंदी लगाने से वहां लगातार फूलों की संख्या तो नहीं घट रही है? क्योंकि भेड बकरियों के मल मूत्र की खाद यहां पुष्प प्रजनन के लिए फायदेमंद थी।

प्रश्न का जवाब देते हुए पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने इसे सकारात्मक मानते हुए कहा कि ऐसा सम्भव है कि भेड बकरियों के वैली ऑफ फ्लावर घाटी में चुगान पर लगी पाबंदी से फूलों की संख्या घट रही हो। हमें एक बार वहां कुछ काल के लिए उनके चुगान पर पाबंदी हटाकर देखना चाहिए कि यह प्रयोग सफल होता है या नहीं। उन्होंने कहा ज्यादा सम्भव है कि ये पौधे खाद में बकरियों के मल मूत्र न मिलने से अपना बर्चस्व खो रहे हैं।
बहरहाल इस बिषय पर विभागीय अधिकारियों के अलावा मुख़्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार को भी संज्ञान लेना चाहिए ताकि इसे प्रयोग के तौर पर अपनाया जा सके।

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