विधान सभा के शीतकालीन सत्र भराड़ीसैण में कराये जाने पर उठते सवाल?

विधान सभा के शीतकालीन सत्र भराड़ीसैण में कराये जाने पर उठते सवाल?
(मनोज इष्टवाल)
मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर अगर अभी से गौर किया जाय तो 7 दिसम्बर से 13 दिसम्बर तक चलने वाले इस विधान सभा सत्र में विपत्तियाँ कर्मचारियों व क्षेत्रीय जनता पर साफ़ पड़ने वाली हैं, क्योंकि सरकार की लाख कोशिशों के बाबजूद भी वहां समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है! अभी तक कर्मचारी व अदने/मध्यम अधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था ऊहपोह में है वहीँ पत्रकारों की व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा होता दिखाई दे रहा है क्योंकि सूत्र बताते हैं कि सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग द्वारा प्रथम चरण में लगभग 166 पत्रकारों के पास जारी करने की लिस्ट विधान सभा सचिव के पास पहुँच चुकी है जबकि जीएमवीएन कर्णप्रयाग में मात्र 60 से 70 व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था है ! 

यहाँ यह बात समझ में नहीं आती कि जिस अखबार या टीवी चैनल का स्थानीय संवाददाता उस क्षेत्र में पूर्व से ही कार्य कर रहा है फिर सरकारी तंत्र क्यों बेवजह यहाँ से एक एक चैनल व अखबार से चार चार संवाददाताओं को लादकर आर्थिक बोझ बढ़ाती है व व्यवस्था समुचित न होने पर भी इसे सूचना का माध्यम बनाने की कोशिश करती है! 
मौसम विभाग की भविष्यवाणी कहती है कि इस दौरान बारिश या बर्फ पड़ने की भी प्रबल संभावनाएं हैं ऐसे में भराड़ीसैण जैसे सर्द इलाके में तापमान दो डिग्री से 5 डिग्री पर हो जाता है. जिसे कडाके की सर्दी कहा जाय तो ठीक होगा! फिर भी कैबिनेट निर्णय लेती हैं कि शीतकालीन सत्र गैरसैण (भराड़ीसैण ) में रखा जाय तो इसका औचित्य क्या है? कहाँ गैरसैण को आये दिन ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की मांग उठती आ रही है और कहाँ उसका विधान सभा सत्र शीतकाल में आयोजित किया जा रहा है! प्रश्न यह भी उठता है कि मात्र 8 माह की सरकार ने क्या कुछ वह करोड़ों का बजट कार्ययोजनाओं पर खर्च कर दिया जो दिसम्बर में ही सत्र बुलाने की आवश्यकता पड़ गयी है!
दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश पहले ही कह चुकी हैं कि गैरसैंण पर आलोचना से बचने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। सदन में एकमात्र विपक्षी पार्टी कांग्रेस कार्यमंत्रणा समिति की बैठक के बहिष्कार की घोषणा कर चुकी है। कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जता चुकी है। विपक्षी दल का कहना है कि शीतकाल में सत्र वहां नहीं होना चाहिए। विधायकों के लिए बंदोबस्त भले ही हो जाएं, लेकिन सत्र के दौरान गैरसैंण पहुंचने वाले आम लोगों को सर्दियों के मौसम में दिक्कतों से जूझना पड़ेगा।
ज्ञात हो कि इस शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट लाया जाएगा। साथ ही लोकायुक्त और तबादला एक्ट संबंधी विधेयकों पर इस दौरान मुहर लग सकती है। उधर, चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए अनुपूरक बजट तैयार करने के लिए महकमों को वित्त की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। गैरसैंण में सात दिसंबर से 13 दिसंबर तक सत्र आहूत करने के संबंध में बीती 25 अक्टूबर को राज्य मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया था। चालू वित्तीय वर्ष की इस चौथे विधानसभा का सत्र सात दिसंबर को सुबह 11 बजे से शुरू होगा। अनुपूरक इस बजट सत्र के प्रथम दिवस अध्यादेशों को सदन के पटल पर रखा जाएगा, आठ दिसंबर को विधायी कार्य व असरकारी कार्य होंगे। नौ और दस दिसंबर को अवकाश रहेगा। इसके बाद 11 से 13 दिसंबर तक विधायी कार्य होंगे। 
वहीँ इस बात की भी प्रबल संभावनाएं हैं कि विपक्ष सत्र शुरू होते ही सत्र का बहिष्कार कर दे! नौ व 10 दिसम्बर को अवकाश होने के बाद यह भी तय है कि यह 8 को भी समाप्त हो जाय ! प्रबल सम्भावना तो यही है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत इसे 13 दिसम्बर तक जारी रखवा सकते हैं! लेकिन विधान सभा व सचिवालय में चर्चाओं का जो बाजार गर्म है वह इस फैसले पर मखौल ही उड़ाता नजर आ रहा है! कर्मचारियों का यही कहना है नौकरी करनी है तो जाना पडेगा लेकिन रहेंगे कहाँ ? इन नवाबजादों के लिए तो सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी हम कहाँ जाएँ! 
बहरहाल लाखों के खर्चे में यह शीतकालीन अनुपूरक बजट सत्र क्या गुल खिलाएगा यह देखना है कहीं सरकार आगामी 2019 के लोक सभा चुनाव को देखते हुए इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की फिराक में तो नही!

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