वनाधिकार क़ानून चाहिए तो लाल झंडे को मजबूत कीजिये- इन्द्रेश मैखुरी
(मनोज इष्टवाल)
भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (माले) फायर ब्रांड नेता इन्द्रेश मैखुरी ने विगत दिन सचिवालय मार्च के दौरान अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले निकले सेक्युलर जलूस को संबोधित करते हुए सरकारी सिस्टम के विरुद्ध आग उगली ! उन्होंने कहा कि बिंदु खाता के वनवासियों को वहां से बेदखल करने उनके घर उजाड़ने के लिए हाथी कोरिडोर बनाने का बहाना ढूंढा है! सरकार को हाथी की चिंता तो है लेकिन मनुष्य की कोई कीमत नहीं! उन्होंने कहा कि प्रकृति के लिए शेर भालू बंदर सूअर सांप नेवले सब चाहिए लेकिन मनुष्य की कीमत पर यह हम बर्दास्त नहीं करेंगे! सरकार ने भूमि क़ानून में वे कोरिडोर तो सारे खोल दिए कि देश के धन्नासेठ जहाँ मर्जी उत्तराखंड में पहाड़ पर जमीन खरीद ले लेकिन जो वनवासी 75-80 साल से जंगलों में निवास कर रही है उन्हें कभी जंगलों के नाम से, कभी जानवरों के नाम से तो कभी बांधों के नाम से बेघर किया जा रहा है!
इन्द्रेश मैखुरी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि बर्ष 2006 में भूमि क़ानून बना जो संसद में पास हुआ उसमें साफ़-साफ़ लिखा गया है कि जो लोग वनों में तीन पीढ़ियों से या 75 साल से ज्यादा समय से निवास कर रहे हैं उनके लिए बसासत की व्यवस्था की जायेगी लेकिन यह कहाँ का क़ानून है कि 2006 में बने क़ानून से पूर्व वन ग्रामों को उजाड़ने की साजिश की जा रही है! उन्होंने कहा वे बिन्दुखाता से आ रहे हैं जहाँ हाथी कोरिडोर बनाने के नाम पर ग्रामीणों के घर उजाड़ने की एक साजिश रची जा रही है! वहां के वनवासी ग्रामीण हल्द्वानी की सड़कों पर आंदोलित हैं ! यह कहाँ का इन्साफ है कि जानवरों को आराम पसंद जिन्दगी देने के लिए हम इंसान की बलि दे दें! उन्होंने अब तक जितनी भी सरकारें बनी सभी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ये लोग वोट के समय हाथ जोड़ने पहुँच जाते हैं और हर बार यही वायदा करते हैं कि वे किसी भी सूरत में वन ग्राम उजड़ने नहीं देंगे लेकिन चुनाव जीतते ही गिरगिट से रंग बदल लेते हैं!
उन्होंने सवाल दागा कि यह उत्तराखंड है या उजड़ाखंड! जहाँ देखो वहां गरीबों को उजाड़ने की बात हो रही है! हम लागातार आप लोगों की आवाज बनते जा रहे हैं लेकिन यह आवाज तभी बुलंद होगी जब आप लाल झंडे को मजबूत करेंगे! वहीँ कामरेड भार्गव चंदोला बोले- कि जल, जंगल, जमीन हमारी..नहीं सहेंगे धौंस तुम्हारी! यह नारा अकेला मेरा नहीं है बल्कि हर उस हिन्दुस्तानी का है जिसे वनों से उजाड़ा जा रहा है भगाया जा रहा है! आखिर इन्हें वन व वन प्राणियों की चिंता है तो वन वासी इंसानों की चिंता करना किसका फर्ज है! उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पूरी रैली में एक ही मुद्दा सबसे जरुरी था कि वन विभाग वनवासियों का उत्पीडन न करे व फर्जी मुकदमें वापस ले! उन्होंने बताया कि रैली में श्रीमती कमला पन्त, हीरा जंगपांगी, प्रेरणा गर्ग, पीसी तिवारी इत्यादि कामरेडों ने भी रैली को संबोधित किया!
इन्द्रेश मैखुरी ने सचिवालय कूच कर रही रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि सबको मेरा लाल सलाम! अगर वनाधिकार क़ानून चाहिए तो लाल झंडे को मजबूत कीजिये! इस रैली में वामपंथियों के सीपीएम, सीपीआई व माले तथा छात्र संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा, वन वासी आन्दोलन के तमाम कार्यकर्ता इस रैली में शामिल थे!