लोक संस्कृति व जन सरोकारों की लोक पंचायत में शामिल जौनसार बावर के 108 गाँव ! गाँव व संस्कृति बचाने के लिए निकाली पूरे जौनसार बावर में रैली..!
लोक संस्कृति व जन सरोकारों की लोक पंचायत में शामिल जौनसार बावर के 108 गाँव ! गाँव व संस्कृति बचाने के लिए निकाली पूरे जौनसार बावर में रैली..!
(मनोज इष्टवाल)
सलूट ऐसे युवाओं को व सलूट ऐसी जनजाति को जिसने अपने गिरते मूल्यों को पहले ही भांप लिया व एक ऐसी लोक पंचायत का गठन कर डाला जिसमें न कोई पदाधिकारी है न कोई खाता और न राजनीतिक परकाष्ठा! जब भी जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र की बात होती है तब तब उत्तराखंडी लोक संस्कृति अपने पर अभिमान करती नजर आती है. लेकिन विगत 10 बर्षों में यहाँ भी पाश्चात्य संस्कृति ने अपना ऐसा डेरा डाला कि यहाँ के सामाजिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक मूल्यों में तेजी से गिरावट दर्ज हुई है.
(कोटि-कनासर के बुग्याल में लोक पंचायत)
जिसे भांपते हुए कुछ युवाओं ने व क्षेत्र की सीनियर व जूनियर अफसर-लाबी ने प्रदेश की राजधानी देहरादून में कई दौर की बैठकें की और अंत में एक बिशाल जन समर्थन अपनी लोक संस्कृति लोक समाज को बचाने के लिए उठ खड़ा हुआ जिसका एक ही मकसद है कि पूरा जौनसार बावर में लोक पंचायत के माध्यम से ऐसा जनजागरण किया जा सकते जिससे ह्रास होते इस जनजातीय क्षेत्र के लोक सरोकारों को वक्त रहते समेटा जा सके.
(महासू दरवार हनोल मंदिर में लोक पंचायत)
सूचना विभाग में उप निदेशक सूचना के पद पर कार्यरत जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र के कलम सिंह चौहान से दूरभाष पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि लोक पंचायत का सीधा सा मकसद उन गाँव खलिहानों को बचाना है जहाँ हमारा समाज अपनी चिरायु जिंदगी जीता है. वर्तमान में राजनीति में बांटते घर परिवार गाँव में आपसी फैलता द्वेष, पलायन करती पीढ़ी, लोक संस्कृति तीज त्यौहारों से बिमुख होते लोग, सामाजिक सुगमता में पाश्चात्य संस्कृति का घुसाव सहित ऐसे कई अवगुण आने शुरू हो गए हैं जो हमारी जन जातीय संस्कृति व लोक समाज के लिए नासूर बनने लगी है. ऐसे में इस जन जातीय क्षेत्र के 108 गाँव के बुद्धिजीवियों की कई दौर की बैठकें हुई, देहरादून में कई स्थानों में खुमडी बैठी जहाँ तय हुआ कि हमें वक्त रहते अपने लोक सरोकारों की पैरवी के लिए स्वयं खड़ा होना होगा.
उन्होंने कहा कि हमारा मकसद गैर राजनीतिक होने के साथ अपने समाज के बिमुख होते लोगों को इकठ्ठा करना है. हम न चन्दा लेंगे न किसी सरकारी फंड से अपने लोक समाज की इस लोक पंचायत को चलाएंगे. हम आपस में चंदा जोड़कर पूरे जौनसार बावर में जब जब समय मिलेगा लोक पंचायत आहूत करेंगे व जन चेतना रैली निकालेंगे, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी लोक संस्कृति लोक समाज की जड़ों से यूँही जुडी रहे जैसे अभी है. और हम गर्व से कह सकें कि उत्तराखंडी लोक संस्कृति हमारे गाँव आँगन से गुजरकर आगे बढती है.
कलम सिंह चौहान ने बताया कि लोक पंचायत द्वारा पलायन, संस्कृति और समाज जैसे मुद्दों पर एक रैली का आयोजन किया गया जिसमें 108 मोटर साइकिल सवार, लगभग 10 कारें, 250 युवा व 108 गाँव जौनसार बावर के जुटे. जिन्होंने बाढ़वाला, कालसी, साहिया, कोरुवा, चकराता, कोटि-कनासर, त्यूनी व हनोल तक जन संपर्क रैली निकाली व इन स्थानों पर लोक पंचायत लगाईं. जिसमें क्षेत्रीय जन मानस द्वारा इस लोक पंचायत को भरपूर समर्थन दिया गया. यह लोक पंचायत रात्री हनोल महासू मंदिर दरवार में बिश्राम के बाद अगले दिन चकराता से माख्टी-पोखरी, बैराट-खाई, नागथात, लखवाड इत्यादि स्थान होती हुई जगह जगह लोक पंचायत आयोजित करती हुई आगे बढती रही. जिसमें सांस्कृतिक व सामाजिक चेतना देना हमारा मुख्य मकसद रहा. सरकारी नौकरी के बाद पलायन कर रहे लोगों के कारण गाँव खाली न हों उस पर भी जन चेतना करने के लिए लोक पंचायत ने कमर कस ली है.
बहरहाल लोक पंचायत का यह कदम इसलिए कारगर नजर आता है क्योंकि इसमें लगभग 30 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी भी जुटा हुआ है और ग्रामीण इस मुहीम में बढ़-चढ़कर शिरकत कर रहे हैं. सलूट ऐसी लोक सरोकारों की जनजाति व उसके ऐसे किरदारों को!