रिस्पना नदी को पुनर्जीवन देने की एक नई पहल..!
(ऊषा नेगी)
अपना अस्तित्व खो रही रिस्पना नदी के पुनर्जीवन और उसे दूषित होने से बचाने के लिए सरकार ने अब एक सराहनीय कदम उठाया है |रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को लेकर युवा स्वयंसेवकों के संगठन मेकिंग ए डिफरेंस बाय बीइंग दि डिफ़रेंस [मैड ]ने इको टास्क फ़ोर्स को ज्ञापन देते हुए कहा कि रिस्पना नदी के उद्गम क्षेत्र को ईको सेंसिटिव जोन घोषित किया जाय |इसके साथ ही साथ मसूरी की ऑर से आ रही जलधारा को पुराने राजपुर के पास केलाघाट व मकरैत तक संरक्षित करने व नदी के दोनों ओर 50 मीटर तक के क्षेत्रफल को
संरक्षित घोषित किया जाय |नदी के संरक्षण के लिए एनआईएच रुड़की की वर्ष 2014 की रिपोर्ट पर अमल करने पर जोर देने पर बल दिया |मुख्य सचिव ने इस संबंध में पेयजल निगम और जल संस्थान को योजना तैयार क्र तुरंत कार्य शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं |
उद्गम स्थल पर रिस्पना नदी का पानी जीवन के सभी तत्वों से भरपूर है |दून शहर तक आते -आते पानी की मात्रा भी कम हो जाती है और उसकी गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ने लगता है देव दीपावली के अवसर पर रिस्पना के उद्गम स्थल के पास ऋषिपर्णा घाट पर महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति की ओर से कराई गयी सैम्पलिंग में यह बात सामने आई |रिस्पना नदी के उद्गम स्थल के पास व लगभग पांच किलोमीटर दूर दून शहर में रिस्पना पुल पर पानी के सैम्पल में पीएच,टी डी एस ,ऑयल ग्रीस ,डिजोल्व आक्सीजन ,बायलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड सहित 15 पैरामीटर पर जाँच की गयी |ऋषिपर्णा घाट पर रिस्पना का पानी ऑक्सीजन की मात्रा से भरपूर पाया गया ,जबकि रिस्पना पुल पर ऑक्सीजन का स्तर शून्य था स्पैक्स संस्था के सचिव डॉ बृजमोहन शर्मा का कहना है कि उद्गम स्थल के पानी की जाँच के परिणामों से स्पष्ट प्रतीत होता है कि रिस्पना नदी का पानी आज भी ए -ग्रेड का है जरूरत सिर्फ शहरी
क्षेत्र में नदी को स्वच्छ रखने की है |
रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने की योजना के अंतर्गत शिखर फ़ॉल से लेकर मोथरोवाला तक इसमें बदलाव लाने पड़ेंगे |राजपुर -सहस्त्रधारा बाइपास में काठ बंगला बस्ती से इसकी शुरुआत की गयी है |शिखर फ़ॉल से धोरण पुल तक रिस्पना नदी में लगभग 497 अतिक्रमण चिन्हित किये गये हैं |सर्वे पूरा होने पर चिन्हित अतिक्रमण पर लाल निशान लगाये जायेंगे |डीएम एस ए मुरुगेशन ने अधिकारियों के साथ रिस्पना नदी के उद्गम स्थल मासी फ़ॉल से करीब छह किलोमीटर दूर शिखर फ़ॉल का पैदल निरीक्षण किया |बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि नदी को फिर से जीवित करने के लिए सभी विभागों के साथ -साथ आम जनता को भी साथ देना होगा क्योंकि अकेले यह कार्य बहुत कठिन होगा |इसके लिए लंढोर कैंट बोर्ड ,नगर पालिका मसूरी ,वन विभाग ,नगर निगम देहरादून ,राजस्व विभाग ,ईको टास्क फ़ोर्स ,सिंचाई विभाग ,एमडीडी ए ,जल निगम व जल संस्थान और केन्द्रीय पर्यावरण नियन्त्रण बोर्ड की सहायता ली
जाएगी |