राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के घर पहाड़ पर मंथन ! प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर देश के शीर्ष पदाधिकारी जुटे!
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के घर पहाड़ पर मंथन ! प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर देश के शीर्ष पदाधिकारी जुटे!
(मनोज इष्टवाल)
रामनवमी पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत सहित उत्तराखंड की देश में चर्चित हस्तियों को अपने घर न्यौता देने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने पहाड़ से हो रहे अंधाधुंध पलायन पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, कास्ट गार्ड चीफ राजेन्द्र सिंह तोमर, रा प्रमुख अनिल धस्माना, डीजीएमओ अनिल भट्ट, उत्तराखण्ड के राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया हेड अनिल बलूनी, जॉइंट सेक्रेट्री भारत सरकार अनिल डिमरी, उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव एस.रामास्वामी, अपर मुख्य सचिव मुख्य मंत्री ओम प्रकाश, सीबीएससी के निदेशक रावत, आजतक से मंजीत नेगी, सामाजिक कार्यकर्ता उदित घिल्डियाल आदि से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत से आग्रह किया कि भू.पूर्व सैनिकों की बढौतरी व उनसे सम्बन्धित जानकारियों के लिए पहाड़ों में कैंप लगे ताकि युवाओं का रुझान फ़ौज के प्रति यथावत बना रहे. उन्होंने सैनिक स्कूल घोडाखाल की भाँति एक सैनिक स्कूल गढ़वाल मंडल में खोलने का भी आग्रह किया साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहाड़ी क्षेत्रों को मिलिट्री स्कूल देने की भी अनौपचारिक वार्ता हुई.
करीब दो घंटे तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के घर सिर्फ और सिर्फ उत्तराखंड के विभिन्न मुद्दों पर ही चर्चा हुई. चर्चा में मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड का पक्ष रखते हुए कृषि-बागवानी, सैन्य पेंशन, सीमा क्षेत्र से घटती आबादी, तेजी से बंजर होते गॉव खेत खलिहानों, , सड़कों, उत्तराखंड का चीन से लगे बॉर्डर दिल्ली से सबसे नजदीक होना, जानवरों से कृषि व ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे नुकसान पर चिंता, एन जी टी और सुप्रीम कोर्ट इको-सेंसटिव जोन घोषित होना इत्यादि मुद्दों को केंद्रित करते हुए क़ानून के कुछ नियमों में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया.
वहीँ विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर जहाँ जनरल विपिन रावत ने मौखिक रूप से सहमति जताई वहीँ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने चीन नेपाल से लगी भारतीय सीमा के लिए व उसके नजदीकी बसे गॉव व उनके ग्रामीणों के लिए कोई ऐसी ठोस कारगर नीति बनाने के लिए कहा ताकि उन्हें ज्यादा लाभ मिल सके व गॉव यथावत बसे रह सके. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम सभी को ऐसी विभिन्न समस्याओं को लेकर एक शिष्ट मंडल के रूप में प्रधानमन्त्री से मिलकर अपना पक्ष रखना चाहिए ताकि इसका कोई हल निकाला जा सके. करीब दो घंटे तक अजित डोभाल के आवास पर रहे उत्तराखंड के ये शीर्ष लोग चाय से लेकर खाने तक सिर्फ और सिर्फ उत्तराखंड के विकास के लिए योजनायें और उनके क्रियान्वयन के लिए उनका हल ढूंढते रहे. इसमें कोई संदेह नहीं कि इस समय उत्तराखंड के शीर्ष अधिकारी देश के शीर्ष पदों पर हैं और उत्तराखंड में भी पूरी मेजोरिटी से भाजपा की सरकार आई है अब देखना यह होगा कि इन पांच बर्षों में उत्तराखंड को विकास की क्या दशा और दिशा दी जा सकती है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा जिन भी पक्षों पर बातचीत केन्द्रित रही उस से इस बात का तो पता चलता ही है कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने से पूर्व ही एक नक्शा अपने दिमाग में बना लिया है कि किस तरह जल जंगल जमीन और पलायन के संरक्षण संवर्धन की रूपरेखा बनाई जा सकती है.