राज्यसभा के लिए हंस फाउंडेशन की माता मंगला का नाम उछलने से राजनीति में उठा तूफान। हंस फाउंडेशन ने सिरे से नकारा..!
देहरादून 9 मार्च 2018 (हि. डिस्कवर)
विगत वृहस्पतिवार को अचानक उत्तराखण्ड की राजनीति का माहौल तब गरमा गया जब यह खबर उठी कि राज्यसभा में जाने के लिए हंस फाउंडेशन की माता मंगला का नाम लिस्ट में शामिल है।
एक ओर सूत्रों के हवाले से कहा गया कि यह खबर उनके विरोधियों द्वारा जानबूझकर उठाई गई है ताकि उनकी सामाजिक छवि पर सवालिया निशान लगे वहीं दूसरी ओर जब यह बात माता मंगला को अपने काठमांडो नेपाल प्रवास के दौरान लगी तब हंस फाउंडेशन की ओर से प्रतिक्रिया के रूप में उनके जनसम्पर्क अधिकारी विकास वर्मा द्वारा पत्र लिखकर स्पष्ट किया गया कि हंस फाउंडेशन की माता मंगला व भोले जी महाराज का राजनीति से कोई वास्ता नहीं है। उनका एकमात्र उद्देश्य समाज के हर जरूरतमंद की सेवा करना है।
उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज करते हुए पत्र में लिखा है कि हंस फाउंडेशन के भोले जी महाराज व माता मंगला समाज हित, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में समाज के हर उस जरूरतमंद की सेवा कर रहे हैं जिन्हें इसकी आवश्यकता है।
यह बात आश्चर्यजनक ही कि माता मंगला जी एवं भोले जी महाराज वर्तमान में भारत में एन आर आई हैं व उनके पास भारत की नागरिकता नहीं है। मात्र उनकी बेटी स्वेता जो हंस कल्चरल फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं के पास ही देश की नागरिकता है।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि ऐन चुनाव से पूर्व यह खबर कौन गर्म करना शुरू कर देता है कि माता मंगला चुनाव लड़ेंगी या माता मंगला उस प्रत्याक्षी को धन देकर दूसरे प्रत्याक्षी के विरुद्ध खड़ा कर रही है।
ऐसी ओछी और दूषित राजनीति हो न हो आने वाले समय में प्रदेश में विकास के वे रास्ते भी बंद कर दे जो हंस फाउंडेशन के माध्यम से अभी तक कई सौ करोड़ उत्तराखण्ड राज्य के विकास हेतु दिए गए हैं और आये दिन हंस फाउंडेशन प्रदेश के हर तबके को शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में मदद करता आ रहा है।