रवांई लोक महोत्सव 2018 की उल्टी गिनती शुरू! विशाल मंच पर रवांई घाटी के पांच पुरोधा होंगे सम्मानित!

(मनोज इष्टवाल)
सचमुच तमसा के बांयें चोर व  यमुना के बीचोंबीच फैले इस विशाल भू-भाग की बानगी अलग ही है चाहे कमलसिराई हो या फिर पुरोला गुन्दियाट गाँव व थान गाँव से लेकर नौगाँव तक की उपजाऊ फाट! या फिर उतुंग शिखरों में यमुनौत्री, सरूताल, केदारकांठा, राड़ी डांडा और इस क्षेत्र में 14 छोटी बड़ी गढ़ियों का आलम! खुदा ने बेहद फुर्सत से इस क्षेत्र को प्राकृतिक रमणीकता का बेपनाह हुश्न दिया है! इन्हीं वादियों घाटियों को लांघकर “राम तेरी गंगा मैली” की परिकल्पना कर सुप्रसिद्ध फिल्मकार राजकपूर ने योंही नहीं अपनी फिल्म में ” हुश्न पहाड़ों का ओ साहिबा…क्या कहने की बारहों महीने यहाँ मौसम जाड़ों का” गीत गवाकार सबको अभिभूत करवाया ! सिर्फ प्राकृतिक रमणीकता ही नहीं बल्कि नारी सौन्दर्य की लोक गाथाओं में यहाँ के लामण, छोड़े, तांदी, हारुल गीतों में वीर भडों के प्रेम प्रसंगों की योंही  चर्चा नहीं होती! जब आन-बान शान और हक़-हकूक की बात आये तो ये जन समुदाय कुर्वानी देने में एक बार भी पीछे नहीं हटा वह चाहे तिलाड़ी काण्ड रहा हो या फिर थान गाँव में कामधेनु गाय अवतरण! साटी-पंसाई का ध्वंध, राजगढ़ी का जुल्मी लगान! रणजोर थापा, शोभना डोटी का जुल्म मिटाने के लिए 15 मई 1815  का राईगढ़ अभियान या फिर कई अन्य जन संघर्षों की लम्बी पैविस्त! हर बार इस क्षेत्र ने अपने को साबित किया है!

और जब लोक संस्कृति लोक साहित्य की अनमोल छटा की बात उभर कर सामने आती है तब यहाँ के मेले कौथिग थोळ सजते सजाते स्वर्ग समान लोक समाज की परिकल्पना को साकार करते दिखाई देते हैं तब चाहे देवलान्ग हो या सरनौल में माँ रेणुका का मेला या फिर सरबडियार का कालिया नाग मेला! अनेकों-नेक लोक त्यौहारों का अनूठा संगम इस घाटी की शान हुआ करती है! इन्हीं सभी सन्दर्भों को अपनी गौरव गाथाओं से जोड़ने के लिए इस घाटी के कुछ कर्मठ युवाओं ने अपने कांधों पर बोझ डालकर विगत बर्ष से रवांई लोक महोत्सव की जिम्मेदारी उठाई है ताकि वे आने वाली पीढ़ियों में भी अपने लोक समाज को ज़िंदा रह सकें उसे मर मिटने न दें! इन्होने मिलकर सेवा सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति का गठन किया और लगे बिखेरने रवांई की सतरंगी छटा!

देहरादून में इसके प्रचार के लिए आये रवांई के इन युवा साथियों ने यहाँ की उन सभी हस्तियों के लिए अपने यहाँ आने का न्यौता दिया है जिन्होंने समाजिक स्तर पर इस क्षेत्र के लोक समाज की पैरवी करने व उस पर अध्ययन करने का बीड़ा उठाया है! रवांई महोत्सव के बहाने इस टीम ने बड़ी ख़ूबसूरती से निमन्त्रण में मेहमाननवाजी की अपनी मिशाल को कायम रखने के लिए आगंतुकों को गाँव में ही आथित्य सत्कार देने का मन बनाया है ताकि वे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ अपनी लोक समाज की परिकल्पना में बिखरी लोक संस्कृति का भी अतिथियों को साक्षात्कार करवा सकें ! इस बार यह जिम्मेदारी भाटिया गाँव के ग्रामीण उठाएंगे जहाँ मेहमानों को कांस की थाली में क्षेत्रीय ब्यंजन परोसे जायेंगे व शाम को तांदी, सरंग, पांडव, हारुल नृत्य- गीतों की छटा बिखेरी जायेगी!इस साल रवांई लोक महोत्सव-2018 की धमक में इन टीम ने 5 क्षेत्रीय पुरोधाओं को सम्मानित करने का मन बनाया है जबकि 6 विभिन्न सम्मान अलग-अलग क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को दिए जा रहे हैं इन सम्मानों में समाज सेवा के क्षेत्र में दौलतराम रवांल्टा सम्मान, मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए पतिदास सम्मान, कृषि स्वावलम्बन के क्षेत्र में राजेन्द्र सिंह रावत सम्मान, साहित्यिक लोक संस्कृति और जनमुद्दों की पैरवी के लिए बर्फियालाल जुवांठा सम्मान, जन संघर्षों के साथ मजबूती के साथ खड़े रहने वाले व्यक्तित्वों के लिए जोत सिंह रवांल्टा सम्मान व देश दुनिया में अपने विभिन्न कार्य कौशलों से रवांई घाटी का मान बढाने वाले व्यक्तित्वों के लिए रवांई गौरव सम्मान इस लोक महोत्सव की बिशेषता रहेगी!
आगामी 23 नवम्बर से 25 नवम्बर तक चलने वाले इस रवांई घाटी लोक महोत्सव में क्षेत्र के 45 से 50 लोक कलाकार अपनी प्रस्तुती देंगे जिसका मकसद “बीट्स ऑफ़ यमुना वैली” एक सांस्कृतिक परिकल्पना की संरचना करना है! काव्य संस्कृति में घाटी को जीवंत रखने के लिए कवि सम्मेलन का भी आयोजन रखा गया है जिसमें सुप्रसिद्ध कवियों को आमंत्रित किया गया है!

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