यूसर्क काॅन्क्लेव के दूसरे दिन ‘‘विज्ञान शिक्षण के नवीन आयाम‘‘ विषय पर कार्यशाला का आयोजन
देहरादून 24 फरवरी 2018 (हि. डिस्कवर)
यूसर्क काॅन्क्लेव के दूसरे दिन ‘‘विज्ञान शिक्षण के नवीन आयाम‘‘ विषय पर कार्यशाला का आयोजन
यूसर्क द्वारा ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में आयोजित ‘‘विज्ञान शिक्षण के नवीन आयाम‘‘ विषय पर सेमिनार का आयोजन वृहद चर्चा, विज्ञान एवं तकनीकी के आदान -प्रदान और वैज्ञानिक शिक्षा के लोकप्रियकरण की कोशिशों के साथ शुरू हुआ।
उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान के केन्द्र (यूसर्क) द्वारा ग्राफिक ऐरा यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किये जा रहे राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्ममलन के दूसरे दिन ‘‘ विज्ञान शिक्षण के नवीन आयाम‘‘ विषय पर ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के परिसर में कार्यशाला का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में यूसर्क के निदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कार्यक्रम में आए अतिथियों का स्वागत किया गया। प्रो0 पंत ने कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला एवं विज्ञान शिक्षण की तकनीकी विशेषताओं पर चर्चा की।
कार्यक्रम का की-नोट व्याख्यान ग्राफिक एरा पर्वतीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 संजय जसोला ने भविष्य के लिए तकनीकी तैयारियां विषय पर दिया। प्रो0 जसोला ने तीन कंपनियों के उदाहरण देकर यह बताया कि जो संस्थान अपने को आधुनिक तकनीकी ज्ञान के साथ अद्यतन कर पाए वो ही आज स्थापित हैं। इसलिए अब आवश्यक हो गया है कि आपकी शिक्षा व्यवस्था में भी भविष्य की तैयारियों के साथ तकनीकी का प्रयोग किया जाए। जो कि गणित, विज्ञान और भाषाओं को सीखने में बहुत सहायक है। उनका व्याख्यान बहुत ज्ञानवर्धक और उपयोगी रहा कि प्रत्येक शिक्षक कुछ नया सीखने को अभिप्रेरित हुआ।
द्वितीय सत्र में बंगलूरू की अमृता यूनिवर्सिटी के प्रो0 कमल बिजलानी ने समेकित शिक्षण / अध्ययन पर अपना व्याख्यान दिया जिसमें विद्यालयों में प्रोग्राम मैनेजर जैसे बोर्ड, टीचर डैश बोर्ड प्रश्न कोष और शिक्षण में आ रहे गैप्स के लिए एप्स पर प्रकाशा डाला। चूंकि यह प्रस्तुति बच्चों के न्यूनतम शिक्षण अधिगम को मापने में बहुत उपयोगी थी। अतः शिक्षकों द्वारा इस प्रस्तुति का पूरा लाभ उठाया गया।
इसी सत्र का दूसरा व्याख्यान भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन श्री अशोक कटारिया ने ‘‘साइबर सुरक्षा‘‘ विषय के अंतर्गत ‘‘चैन से सोना है तो जाग जाओ ‘‘ के नारे के साथ अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। श्री कटारिया ने इंटरनेट के प्रयोग में सावधानी क्रेडिट या डेबिट कार्ड से होने वाली धोखे, नौकरी के फर्जी विज्ञापन आॅनलाइन शाॅपिंग की सावधानियों, सोशल नेटवर्किंग साइट्स से होने वाली धोखाधड़ी आदि विषयों पर अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।
इग्नू (इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय) नई दिल्ली से आयी डाॅ0 निशा सिंह ने ‘‘टेक्नोलाॅजी इनेबल्ड लर्निंग‘‘ विषय की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तकनीकी की सहायता से सीखना उपयोगी है और यह हमारी व्यक्तिगत रूचि, क्षमता और समय की स्वतंत्रता प्रदान करता है। डाॅ0 निशा सिंह ने आगे बताया कि 21वीं सदी में शिक्षकों में लाइफ एंड कैरियर दक्षता, नवाचार, लर्निंग, मीडिया-इनफोर्मेशन दक्षता आदि दक्षतायें होने चाहिए। जिससे एक सफल शिक्षक बन सके। शिक्षकों के मस्तिष्क में सामाजिक, सृजनात्मक, सम्मानपूर्ण, सामूहिक व नियोजित आदि गुण होने चाहिए तभी एक शिक्षक व शिष्य के बीच अच्छा सामंजस्य हो सकता है। और ई-लर्निंग अधिक से अधिक लाभकारी हो सकती है।
उत्तराख्ज्ञपउ मुक्त विश्व विद्यालय के कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के डाॅ0 जितेन्द्र पाण्डेय ने ओ0ई0आर0 (ओपन एजूकेशनल रिसोर्सेज़) में अपने द्वारा वांछित सामग्री को खोलने के लिए गूगल एडवांस सर्च का प्रयोग करना बताया। उन्होंने बताया कि इसके अंतर्गत संपूर्ण सामग्री भारतीय है एवं उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा ओ0ई0आर0 के अंतर्गत सभी पाठ्य सामग्री प्रसारित की गई है।
श्री शैलेश ने समर्थनम संस्था का परिचय देते हुए बताया कि प्रत्येक दिव्यांग को समर्थ बनाने का कार्य किया जा रहा है। आई0डी0टी0 बंगलूरू के श्री राजेन्द्र कुमार द्वारा बताया गया कि समर्थनम द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के लिए बनाई गई परियोजना के अंतर्गत दिव्यांगों के लिए की जाने वाली गतिविधियोंपर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि विकलांग बच्चों, उनके अभिभावकों, विद्यालय, शिक्षकों, जिला स्तरीय अधिकारियों हेतु अलग-अलग योजनायें बनाई गई हैं।
दो दिवसीय कार्यक्रमों में इको-फ्रेन्डली तरीकों को अपनाते हुए पीने के पानी की प्लास्टिक बोतलों के स्थान पर मिट्टी के बने हुए पीने के गिलासों का प्रयोग दोनों दिन किया गया। जिसे परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि द्वारा काफी सराहा गया। कार्यक्रम का संचालन ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एम0पी0 सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में संपूर्ण प्रदेश के एससीईआरटी एवं ड़ीआईईटी एवं जिला व बलाॅक समन्वयकों द्वारा सक्रिय प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से यूसर्क के वैज्ञानिकों, तकनीशियनों, ग्राफिक एरा के शिक्षकों, पहल संस्था की अध्यक्ष एवं पूर्व शिक्षा निदेशक श्रीमती कमला पंत, भूगर्भविज्ञानी डाॅ0 एम0एन0 जोशी, देव संस्कृति विश्व विद्यालय प्रो0 अभय सक्सेना, आगाज़ संस्था के अध्यक्ष जे0पी0 मैठाणी, यूसर्क के वैज्ञानिक डाॅ0 भवतोश भट्ट, डाॅ0 मंजू सुंदरियाल, द्वारा सक्रिय प्रतिभाग किया गया।