यूथ आइकन अवार्ड-2017, कैमरा राजीव के लिए बना या राजीव कैमरे के लिए?
* राजीव काला (फोटो जर्नलिस्ट) बिरला व्यक्तित्व जिसने पैरालाइज अटेक को धत्ता बता हिमालयन ट्रेक जारी रखा।
* बाबा केदार का निराला भक्त। डॉक्टर बोले अब बेड से उठना सम्भव नहीं। बैशाखी के सहारे हो पायेगा चलना फिरना और राजीव केदारनाथ पैदल चढ गया।
* बाबा केदार का निराला भक्त। डॉक्टर बोले अब बेड से उठना सम्भव नहीं। बैशाखी के सहारे हो पायेगा चलना फिरना और राजीव केदारनाथ पैदल चढ गया।

(मनोज इष्टवाल)
पत्रकार मित्रों के लिए सबसे प्यारा नाम कालू भाई! यकीनन दोस्तों के बीच बेहद विनम्र और उतना ही जीवट जितना नैनीताल में जन्में जिम कॉर्बेट थे। राजीव का भी जन्म- नैनीताल में ही हुआ बिल्कुल जिम कॉर्बेट के आवास के निकट। इस शख्स को देखकर लगता है मानों जिम कॉर्बेट का भूत हो। सर्दियों में भी निक्कर में घूमना। सिर पर वही हैट, पैरों में रफ टफ शूज। मूंछो पर ताव और कई बार माथे पर जय भोले का टीका।
पिता कामेश्वर प्रसाद काला टोकते टोकते परेशान हो जाते हैं कि ये निक्कर उतार फैंक। लोग क्या सोचते होंगे कि काला के इकलौते बेटे के पास कपड़ों का अकाल है। लेकिन राजीव है कि एकदम उखड़ जाता है। बोलता है – पापा बोलने दो न । जो बोलता है बोलने दो। मेरा यही लाइफ स्टाइल है तो क्या करूँ । अब बदल तो नहीं सकता ना ।

दो बहनों रेखा पँचभैया व राखी काला जोशी का बेहद लाडला भैय्या राजीव शादी के नाम पर भी जाने क्यों बिदक जाता है। माँ कहते कहते थक गई कि जाने कब शादी करेगा जाने कब बहु का मुन्ह देखूंगी लेकिन राजीव है कि मानता नहीं।
मैंने भी कई बार टोका वह बोलता है- यार भैय्या तुम भी ना ….एक ही बात को पकड़कर बैठ जाते हो। लगता है राजीव की शादी कैमरे से ही हुई है। क्योंकि पैरालाइज होने के बाद राजीव के दांये हाथ की कंपकपाती अंगुली से जब फोटो खिंच कर सामने आता है तो आप दंग रह जाते है।
1998 में जागरण में बतौर फोटोग्राफर नैनीताल से फोटो जर्नलिस्ट शुरुआत करने वाला राजीव कला वर्तमान में प्रकृति प्रेमी एक मात्र फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट है। उत्तराखंड में फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्टबकमल जोशी की आत्महत्या करने के बाद ये एकमात्र ऐसे जर्नलिस्ट हैं। ये कैमरे के लिए बने हैं या कैमरा इनके लिए यह तय कर पाना बेहद कठिन!
इंडिया टुडे, हिन्दुस्तान, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, आउटलुक, तहलका इत्यादि में तब से अब तक लगातार फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट रूप में कार्य करते आ रहे हैं. नंदा राज 2000 इंडिया टुडे और नंदा ट्राज जात -2013 टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए कवर की.
2013 की केदार त्रासदी के फोटो लगातार केदार घाटी में रहकर राइटर के लिए भेजे, केदारनाथ आपदा के दौरान राजीव काला जोशीमठ फंस गया था ! फिर क्या था वे लगातार हैलीकाप्टर से केदार व बदरीनाथ के आस-पास आपदाग्रस्त क्षेत्रों की तस्वीरें खींचकर रायटर को भेजते ताकि देश दुनिया की नजर में यह त्रासदी दिखाई दे.
उत्तराखंड के संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पन्त की किताब “छोटा कैलाश मानसरोवर” की ज्यादात्तर फोटो राजीव काला द्वारा ही खींची हुई हैं!
राजीव काला को विगत बर्ष अगस्त 2016 को पैरालाइज अटेक पड़ा जिससे उनकी दांयी साइड बुरी तरह प्रभावित हुई. जबड़ा, कंधा हाथ की अंगुलियां व दांया पैर इस अटेक से बुरी तरह प्रभावित हुआ . जब राजीव काला को लगा कि इस तरह पड़े-पड़े वे किसी काम के नहीं रहेंगे तब उन्होंने अपने आप को मजबूत बनाया व बाबा केदारनाथ का आशीर्वाद लेने पैदल ही गौरीकुंड से चल केदारनाथ के लिए चल पड़े! यकीन मानिए तब मुझे भी नहीं पता था कि राजीव को कोई अटेक वगैरह पड़ा है।
उनके साथ उनकी बड़ी बहन थी जो उन्हें जिद कर रही थी कि घोड़े में चल लेकिन राजीव मानने को तैयार नहीं हुए। हम मिले तो मन मारकर उनकी बहन भी भाई के खातिर पैदल ही हमारे साथ चल दी। रेखा पँचभैया से परिचय हुआ तब पता चला कि वे दुबई रहती हैं और पहली बार भाई के लिए केदारनाथ निकली हैं ताकि उसे तकलीफ न हो जबकि राजीव उन्हें साथ लाने के बिल्कुल फिराक में नहीं थे। हैलीकॉप्टर के लिए मना, घोड़े के लिए मना और अब गौरी कुंड से पैदल केदारनाथ चढ़ना वो भी एक अफाहिज के लिए कितना दुष्कर काम रहा होगा लेकिन यकीन मानिए राजीव हमसे हरदम चार कदम आगे रहे। हाई फीड के निदेशक उदित घिल्डियाल मुझसे बोले- इष्टवाल जी यार ये बंदा किस माटी का बना है। ऐसे अटेक के बाद तो आदमी उठ बैठ भी नहीं पता। खैर बाबा केदार ने यात्रा पूरी करवाई। इस यात्रा में सबसे ज्यादा खुश उनकी बहन थी जिन्होंने पूरी यात्रा पैदल ही पूरी की।
भले ही राजीव पूर्ण रूप से ठीक नहीं हुए हैं लेकिन प्रकृति के लिए अगाध प्यार भला इनके पैरों में कहाँ बेड़ियाँ डाल पाया. तब से ये लगातार चार ट्रेकिंग कर रहे हैं और अभी भी इनका अगली यात्रा के लिए रुक्सेक कसा हुआ है! आज ये केदारनाथ के लिए निकल चुके हैं।
फोटोजर्नलिस्ट के तौर पर राजीव काला को अब तक 6 पुरस्कार मिल चुके हैं. यूथ आइकन अवार्ड -2017 से सम्मानित राजीव काला का चुनाव करने वाली पूरी टीम को शुभकामनाएं। विशेषकर शशिभूषण मैठाणी बधाई के पात्र हैं क्योंकि यह पुरस्कार सिर्फ युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत नहीं है अपितु उस हर शख्स के लिए जो जीवन से हार मान गया हो।
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