यहां कुकुर (कुत्ते) की होती है दीवाली में पूजा……..।
(मनोज इष्टवाल)
शास्त्रों में जाने कौन कौन सी पूजाओं का वर्णन है लेकिन दीवाली के अगर अनूठे रूप देखने हो तो नेपाल हिन्दू राष्ट्र में जाकर देखिये जहाँ दीपावली के शुभागमन का स्वागत काग पूजा (कोवे की पूजा) के साथ किया जाता है..वैसे कोवे को तो सभी हिन्दू श्राद्ध पक्ष या फिर किसी विशेष आयोजन में ही पितृ तर्पण के बाद प्रसाद चढाते हैं..वैसे ही गौ और कुत्ते को भी…।

लेकिन दीपावली में इनकी शास्त्र सम्मत पूजा होते देख मुझे तो आश्चर्य हुआ…काग पूजा के दुसरे दिन जिस तरह नेपाल में कुकुर (कुत्ता/स्वान) पूजा होती है वह दर्शनीय है..उसे विधिवत टीका किया जाता है फूल-मालाओं से लादा जाता है..विभिन्न पकवानों के साथ उसको मिष्ठान खिलाया जाता है और परिवार की सुख समृधि की कामनाएं की जाती हैं…अब काग पूजा और कुकुर पूजा के बाद तीसरे नंबर पर गौ पूजा होती है…गौ पूजा के साथ महालक्ष्मी की पूजा की जाती है और उससे धन धान्य की अराधना होती है ..इसी दिन उल्लूक राज मी पूजा का महात्मय भी है।

चौथी पूजा के रूप में कृष्णा यानी गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है इस दिन सांड/बैल/गौ सभी को उनके पकवान खिलाये जाते हैं और उनसे घर परिवार खेत खलिहान की सुख समृधि की मन्नंत मांगी जाती है..अंत में पांचवीं पूजा भैय्या द्दोज के रूप में सम्पन्न होती है.
कुकुर पूजा को नेपाल में तिहार के नाम से जाना जाता है..यह पूजा उत्तराखंड के कुमाऊ जनपद के उन भू-भागों में आज भी होती है जो नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र हैं..नेपाली त्यौहार दशैं (दशहरे) के ठीक २० दिन बाद तिहार यानी कुकुर पूजा होती है जिसका अलग ही महातम है….है न रोचक और जरा हटकर।