मोटा वेतन लेने वालों पर भारी पड़े भिक्षा माई के जमा 5 हजार रुपये। सिक्कों में इकट्ठा 5 बर्ष की पूंजी जमा की प्रधानमंत्री राहत कोष में।
(मनोज इष्टवाल)
कुछ दिन पूर्व उत्तराखंड आईएएस संगठन द्वारा कोरोना महामारी से निबटने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 लाख रुपये की राशि दान की थी, ठेठ उससे एक दिन पूर्व गुप्तकाशी की भिक्षा दीदी काली ने भिक्षाटन से 5 हजार रुपये प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में दान। यह राशि सब सिक्कों में थी।

अपनी भिक्षावृति से विगत चार पांच सालों में अथक परिश्रम से जोड़ी एक एक पाई जो कि सिक्कों में थी, भिक्षा दीदी काली ने प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करवाकर कहा कि देश रहेगा तो उन्हें फिर आगे भी पेट भरने के लिए भिक्षा मिल ही जाएगी। इस समय जिस परिस्थिति को मैं सुन रही हूं उससे यही ज्ञात हो रहा है कि एक महामारी देश में फैली हुई है जिसके लिए हमारे देश का खजाना खाली हो जाएगा और यहां लोगों इलाज नहीं हो पायेगा।
भिक्षा दीदी काली ने कहा यह सब एक एक पैसा उन्होंने पिछले पांच साल से जोड़ रखा था ताकि विपत्ति पड़ जाने पर काम आए लेकिन आज जब मेरे ही देश पर विपत्ति के बादल मंडरा रहे हैं तो इससे बड़ी विपत्ति क्या होगी।
भिक्षा दीदी काली की इस पहल को देखते हुए वह अपने क्षेत्र के लोगों में बेहद लोकप्रिय हो गयी हैं। जो लोग कल तक उसे एक चाय पिलाने को भी नहीं पूछते थे आज दूर से ही प्रसन्न होकर कहते हैं देखो वो है काली दीदी..!
यकीनन भिक्षा दीदी काली ने सिर्फ अपने क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपने इस उपक्रम के माध्यम से भिक्षुक समाज का वह चेहरा भी सामने ला दिया है जो इस देश में बौद्ध भिक्षुक, शंकराचार्य के अनुयायी भिक्षुक व यहां के मठ मंदिरों में निवास करने वाले जोगी-महात्माओं, माईयों ने जब भी देश को जरूरत हुई अपना सर्वस्व दान कर दिया। भिक्षा दीदी काली ने भी यह मिशाल प्रस्तुत कर अपने को उन्ही लोगों की कतार में शामिल कर दिया है।