मैं गढ़वाल के राजाओं की राजधानी श्रीनगर हूँ! मैं बेहद संकट के दौर से गुजर रही हूँ। न दवा, न शुद्ध पानी नसीब है।
मैं गढ़वाल के राजाओं की राजधानी श्रीनगर हूँ! मैं बेहद संकट के दौर से गुजर रही हूँ। न दवा, न शुद्ध पानी नसीब है।
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान।
गढ़वाल के चार जनपदो टिहरी, पौडी, रूद्रप्रयाग और चमोली का केंद्र बिंदु और जीवन रेखा श्रीनगर शहर आज बदहाल स्थिति में है। हालत इस कदर दुःखद हैं कि मेडिकल काॅलेज तो है लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए डाॅक्टरों का आभाव है। जिस कारण चार जनपदो के बीमार व्यक्तियों के इलाज का सबसे बड़ा अस्पताल मेडिकल काॅलेज सफेद हाथी साबित हो रहा है। फलतः ये अस्पताल आज रेफर सेंटर में तब्दील हो गया है।
वहीं दूसरी ओर श्रीनगर शहर के पास से अलकनंदा नदी बहती है और शहर से 5 किमी की दूरी पर अलकनंदा नदी पर श्रीनगर जल विधुत परियोजना से बिजली बनाई जा रही है। लेकिन इससे दुर्भाग्य क्या स्थिति हो सकती है कि श्रीनगर के निवासीयों को शुद्ध पानी नसीब नहीं है। गंगा और यमुना के मायके वाले खुद प्यासे रह गये ये कहावत श्रीनगर पर फिट बैठती है।

श्रीनगर में सूबे का पहला राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान तो खुला लेकिन संस्थान की अपनी स्थाई ईमारतें और कैंपस नहीं बन पाया।
इन मांगो को लेकर श्रीनगर गढ़वाल में 207 दिनों से लोग आंदोलनरत हैं और धरने पर बैठें है जबकि पिछले 6 दिनों से भूखहड़ताल पर बैठे हैं। पर सरकार और हुक्कमरानों को इनकी मांगो और समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। इस जानलेवा सर्दी में लोग आंदोलन को मजबूर हैं। इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि कभी गढ़वाल राजाओं की राजधानी आज दवा और शुद्ध पानी के लिए तरस गयी है।

गौरतलब है कि गढ़वाल पर पँवार वंश का शासन था और इसके ३७वें शासक अजय पाल ने ही श्रीनगर को राजधानी बनाया था। अजय पाल के अधीन श्रीनगर उन्नतशील नगर बन गया जिसने यहाँ वर्ष १४९३-१५४७ के बीच शासन किया तथा अपने अधीन ५२ प्रमुख स्थलों को एकीकृत किया।इस वंश के १७ राजाओं ने यहीं से शासन किया। श्रीनगर हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि यह बद्रीनाथ एवं केदारनाथ के धार्मिक स्थलों के मार्ग में आता है। वर्ष 1803 से नेपाल के गोरखा शासकों का शासन (1803-1815) यहां शुरू हुआ। समय पाकर गढ़वाल के राजा ने गोरखों को भगाने के लिये अंग्रेजों से संपर्क किया, जिसके बाद वर्ष 1816 के संगौली संधि के अनुसार गढ़वाल को दो भागों में बांटा गया जिसमें श्रीनगर क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन हो गया। इसके बाद गढ़वाल के राजा ने अलकनंदा पार कर टिहरी में अपनी नयी राजधानी बसायी।

वास्तव में इससे दुखद स्थिति क्या हो सकती है कि गढ़वाल के राजाओं की राजधानी और प्रख्यात चित्रकार और कवि मोलाराम के शहर श्रीनगर में लोग गंगा के इस प्रदेश में शुद्ध पानी माँग रहे है! शोपीस बनें अस्पतालों में डॉक्टर मांग रहे है तो सरकार के पास देने के लिए झुनझुनो के अलावा कुछ भी नही है, वो भी तब जब सूबे की सरकार में 4 मुख्यमंत्री और तीन मंत्री इसी जनपद से ताल्लुकात रखते हैं व जिन्होंने राजनीति की आखर भी इसी शहर से सीखा हो—–!!!!
हुक्कमरानों और नीति नियंताओ जब तुम श्रीनगर जैसे शहर में डाॅक्टर और शुद्ध पानी मुहैया नहीं करा सकते हो तो तुमसे दूर पहाड़ी गाँव के लोग भला क्या उम्मीद करे –!!!

श्रीनगर में सूबे का पहला राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान तो खुला लेकिन संस्थान की अपनी स्थाई ईमारतें और कैंपस नहीं बन पाया।
इन मांगो को लेकर श्रीनगर गढ़वाल में 207 दिनों से लोग आंदोलनरत हैं और धरने पर बैठें है जबकि पिछले 6 दिनों से भूखहड़ताल पर बैठे हैं। पर सरकार और हुक्कमरानों को इनकी मांगो और समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। इस जानलेवा सर्दी में लोग आंदोलन को मजबूर हैं। इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि कभी गढ़वाल राजाओं की राजधानी आज दवा और शुद्ध पानी के लिए तरस गयी है।

गौरतलब है कि गढ़वाल पर पँवार वंश का शासन था और इसके ३७वें शासक अजय पाल ने ही श्रीनगर को राजधानी बनाया था। अजय पाल के अधीन श्रीनगर उन्नतशील नगर बन गया जिसने यहाँ वर्ष १४९३-१५४७ के बीच शासन किया तथा अपने अधीन ५२ प्रमुख स्थलों को एकीकृत किया।इस वंश के १७ राजाओं ने यहीं से शासन किया। श्रीनगर हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि यह बद्रीनाथ एवं केदारनाथ के धार्मिक स्थलों के मार्ग में आता है। वर्ष 1803 से नेपाल के गोरखा शासकों का शासन (1803-1815) यहां शुरू हुआ। समय पाकर गढ़वाल के राजा ने गोरखों को भगाने के लिये अंग्रेजों से संपर्क किया, जिसके बाद वर्ष 1816 के संगौली संधि के अनुसार गढ़वाल को दो भागों में बांटा गया जिसमें श्रीनगर क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन हो गया। इसके बाद गढ़वाल के राजा ने अलकनंदा पार कर टिहरी में अपनी नयी राजधानी बसायी।

वास्तव में इससे दुखद स्थिति क्या हो सकती है कि गढ़वाल के राजाओं की राजधानी और प्रख्यात चित्रकार और कवि मोलाराम के शहर श्रीनगर में लोग गंगा के इस प्रदेश में शुद्ध पानी माँग रहे है! शोपीस बनें अस्पतालों में डॉक्टर मांग रहे है तो सरकार के पास देने के लिए झुनझुनो के अलावा कुछ भी नही है, वो भी तब जब सूबे की सरकार में 4 मुख्यमंत्री और तीन मंत्री इसी जनपद से ताल्लुकात रखते हैं व जिन्होंने राजनीति की आखर भी इसी शहर से सीखा हो—–!!!!
हुक्कमरानों और नीति नियंताओ जब तुम श्रीनगर जैसे शहर में डाॅक्टर और शुद्ध पानी मुहैया नहीं करा सकते हो तो तुमसे दूर पहाड़ी गाँव के लोग भला क्या उम्मीद करे –!!!