मैंने नरेद्र मोदी या उनके हरिद्वार के प्रत्याशी को एक मतदाता के तौर पर क्यों वोट दिया … ।

(वरिष्ठ पत्रकार वेद विलास की कलम से)

1- मैंने देखा कि विपक्ष के नाम पर ये नरेंद्र मोदी को अभिमन्यु की तरह घेरना चाहते हैं। यह अलग बात है कि महाभारत का अभिमन्यु नहीं बच पाया। यहां घेरने वाले कौन थे पिछली सरकार मे 22 घोटालों में फसें लोग, समाजवादी नारा देकर परिवार के आठ लोगों को संसदीय सीट पर टिकट देने वाले लोग, दलितों को गुमराह कर सौ सीमेंट के हाथी बनाने वाले लोग, पश्चिम बंगाल को वोट की तुच्छ राजनीति के लिए मिनी पाकिस्तान बनान की साजिश करने वाले लोग

2- मैंने पाया कि कुछ लोगों को 24 मई 2014 के बाद नींद आनी गायब हो गई थी। ये अवार्ड वापसी क्लब था। जो नफरत और कुंठा का अभियान चला रहा था। यह 24 मई 2015 की शाम से फिर अपने अभियान में जुट जाएगा।

3- मैंने पाया कि आतकवाद केवल देश नहीं बल्कि दुनिया की गंभीर समस्या है। इससे निपटना राहुल अखिलेश ममता अरविद केजरीवाल के बस का नहीं। केवल मोदी की इच्छाशक्ति इससे निपट सकती है।

4- मैने मतदाता के तौर पर सोचा इनमें पीएम कौन होगा। चंद्रबाबू नायडू जिसे आंध से बाहर कोई नहीं जानता। ममता जो छोटी से छोटी बात पर उत्तेजित हो जाती है। मायावती जो माटिन लूथर किंग बन सकती थी पर स्वार्थ टटलती रही, ममता जो भले रबड की चप्पल सूती साडी पहने पर उनकी शह पर भतीजा बंगाल को दोह रहा है, राहुल जिस पर कांग्रेसी ही भरोसा नहीं कर पाते।

5- मतदाता के तौर पर राहुल की मोदी पर चोर चोर कहना मुझे मतदा केंद्र पर लाया और मैंने भाजपाा को वोट दे दिया। चोर चोर का यह नारा राहुल अगर मनमोहन सरकार के समय लगाता तो बहुत ऊंचाा उठ जाता जब 22 बडे और असंख्य छोटे घोटाले हुए। मोदी के कुछ कमिया हो सकती है पर वो बेइमान नहीं है। मेरे पास एक वोट की ताकत थी मैंने उसका इ्स्तेमाल किया।

6-मुझे आज के तमाम नेताओं की तुलना में मोदी पीएम के लिए बहुत विश्वसनीय लगे।

7- मुझे सपा बसपा गठंबंधन झूठा लगा। लगा कि केवल ऊपरी तौर पर नेताओं की रणनीति है निचले तौर पर जिन जातियों का ये समीकरण बिठा रहे हैं वह नब्बे के दौर की बात है। नया भारत में बहुत कुछ बदल गया।

8- मुझे लगा कट्टरता मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की यातना से मुक्ति नहीं दिलाएगी। केवल मोदी सरकार आने पर मुस्लिम महिलाओं का भला हो सकता है। कन्हैया जावेद अख्तर प्रगतिशीलता का ढोंग करते हैं लेकिन ऐसे मसलो पर चुप्पी साध लेते हैं।

9- भारत का बुद्धिजीवी समाज सबसे ज्यादा भरमाता है। इसलिए उनकी नकली मोमबत्तियों से तंज करने भाजपा को वोट दिया। भारत का एक खास पेर्टन पर ढला प्रगतिशील कहलाने वााला बुद्धिजीवी समाज सबसे ज्यादा भटका हुआ है।

10- उत्तराखंड में आल वेदर फोर लेन, रेलवे लाइन पर काम शुरू हुआ है। अगर केद्र में भाजपा हारती तो ऐसी योजना और देश भर की कई योजना पर विराम लग जाता।

11- देश में दंगा जैसी परिस्थिति नहीं बनी। मोदी की जो भी योजना रही उसका लाभ सभी को मिला। तुष्टिकरण नहीं हआ।

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