मुख्यमंत्री को लिखा राजीव ने पत्र। कहा-छोकरी व नोटों भरी अटैची वाला पत्रकार नहीं हूँ मैं।

श्रीयुत त्रिवेंद्र सिंह रावत 
माननीय मुख्यमंत्री 
उत्तराखण्ड

प्रिय महाशय, कल बृहस्पतिवार, तदनुसार 31 जनवरी को मुझे सचिवालय के मुख्य द्वार पर अपना वाहन भीतर ले जाने से रोक दिया गया। विदित हुआ कि ये आदेश उच्च स्तर से हुए हैं। ज़ाहिर है कि वह उच्च स्तर आप स्वयं हैं। मान्यवर, मैं प्रायः खुली जीप में आवागमन करता हूँ। ऐसा मैं पारदर्शिता के कारण भी करता हूँ। क्योंकि मैं काले शीशे वाली कार में छोकरी या नोटों की अटैची लेकर फिरने वाला पत्रकार नहीं हूं। आप भी जानते हैं कि मैं स्टिंग करने वाला पत्रकार भी नहीं हूं तथा स्टिंग को नीच कर्म मानता हूं। जिसकी लेनी होती है, सामने से खुल कर फाड़ता हूं।

आप भी पारदर्शिता अपनाएं तथा मेरा वाहन गेट पर न रोकें। मेरी गाड़ी में लैपटॉप, कैमरा, किताबें एवं स्कॉच की बोतलें रहती हैं। खुली गाड़ी बाहर खड़ा करने के फलस्वरूप अगर कभी ये चोरी हुए, तो इसकी भरपाई आपको अपने वेतन से करनी होगी। देहरादून में चैपहिया वाहन रखने वाले ब मुश्किल 10 अधिस्वीकृत, राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। ये भी कभी एक साथ सचिवालय नहीं आते। मैं स्वयं वहां 3 माह बाद गया हूँ।

हमारी गाड़ियों से आपके दरबार मे भीड़ नहीं बढ़ेगी। मेरी बजाय उन खाऊ ब्यूरोक्रेट की गाड़ी बाहर रोकिए, जो भकोस भकोस कर ओवर वेट हुए जा रहे हैं और जिनका पैदल चलना आवश्यक है। कृपया संज्ञान लें, और मेरे साथ वही बर्ताव करें, जो एक राजा दूसरे राजा से करता है। अन्यथा मैं आपके द्वारा प्रदत्त सचिवालय का प्रवेश पत्र भी वापस लौटा दूँगा ।

सप्रेम, सादर… आपका मित्र, हितैषी

राजीव नयन बहुगुणा
देहरादून

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