मी लार्ड…..ये क्या कर डाला
मी लार्ड…… ये क्या कर डाला।
(समाजसेवी सतीश लखेड़ा की कलम से)
सबसे विद्वान लोगों की जमात मानी जाती हैं आप न्यायधीशों की, आप चारों लोगों का मानना है अपनी पीड़ा को जनता की अदालत में लाये हैं। अब आप बताइये क्या इस विषय पर जनता वोट करेगी, जनमत होगा या कुछ और। आप लोगों के लिये एक चर्चित पत्रकार ने प्रेस के लिए मीडिया बटोरा। कम्युनिस्ट डी. राजा से बरामदे में हाथ मिलाती तस्वीर जारी हुई। राहुल जी ने तुरन्त प्रेस की, कांग्रेस नेता पूर्व कानून मंत्रियों सलमान खुर्शीद, हंसराज भारद्वाज, अश्विनी कुमार ने मीडिया में बयान दिये।
आपकी प्रेस को राजनैतिक रंग देने के लिये राहुल गांधी ने बाकायदा विश्वस्तों के साथ बैठक की। आप विद्वानों का झगड़ा चौराहे पर है। कुछ कह रहे हैं आपने कॉलेजियम में बात करनी थी, कुछ का कहना है आपको अपने नियोक्ता महामहिम से संवाद करना था। मुख्य न्यायधीश से भी बात हो सकती थी। ये आपकी ही बिरादरी के जानकारों का कहना है, हमारा नहीं।
कश्मीर में जनमत कराने की बात करने वाले, पत्थरबाजों अलगावादियों के हमदर्द, एक आतंकी के लिये आधी रात में आप लोगो को जगाने वाले प्रशांतभूषण भी जागे। “विशेष” चैनल, पत्रकार, पेनलिस्टों ने आग उगलनी शुरू की। पाकिस्तानी मीडिया ने आप लोगों के कदम को भारत मे अस्थिरता, आपातकाल की स्थिति जैसे विशेषणों से नवाजा। अब आप लोगों का मुद्दा जनता की उस अदालत में हैं जिसमे आपके विषय को जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया, उमर खालिद, केजरीवाल, हार्दिक पटेल से लेकर लालू के बेटे टीवी पर अपने एजेंडे और सुविधा से जोड़कर बोल रहे हैं।
क्या इसी जनता की अदालत में आपका मामला जाना था। आप यही चाहते थे कि आपकी नाराजगी अपने चीफ जस्टिस से गम्भीर मतभेद, कपिल सिब्बल की राममंदिर मुद्दे पर 2019 के बाद सुनवाई होने की मांग, सिख दंगों के मामले फिर खोलने के रूप में परिभाषित होनी थी। आप चारों लोगों की नियुक्ति कांग्रेस सरकार के समय हुयी थी ऐसा कह कर आप लोगों की समीक्षा होना घोर पीड़ादायी है।
आजाद भारत मे आप चारों ने हर विचारधारा के व्यक्ति को गला साफ करने का मौका दे दिया है। अभी जेएनयू के हमदर्द भी निकलेंगे, अवार्ड वापसी गैंग भी आग सेकेगा। कश्मीर के अलगाववादियों की टिप्पणी भी मीडिया अपना माइक नचाकर लेगा। जो जिस विचारधारा का है उसने आप चारों की प्रेसवार्ता की व्याख्या कर डाली है। राहुल गांधी बहरीन में जाकर अपने देश की सरकार की निंदा करें चलेगा, पहले भी कर चुके हैं। मगर आप लोगों की नाराजगी को कोई कांग्रेसी इशारा कहे या मोदी विरोध का नया कांग्रेसी हथियार तो और ज्यादा पीड़ा होती है। जो माहौल बना है अगर यही मकसद था तो न्यायपालिका के अवमूल्यन का घोर अपराध हो चुका है।
आभार सर