मीडिया ने अपनी विश्वसनीयता खोई है- लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी!
(मनोज इष्टवाल)
विगत दिन देहरादून के एक होटल में आयोजित उत्तरजन टुडे पत्रिका के बेमिशाल तीन साल के सम्मान समारोह में जहाँ एक ओर पूर्व गढवाल कमिश्नर व पूर्व प्रमुख सचिव सुरेन्द्र सिंह पांगती की पुस्तक “प्राणों की साधना” पुस्तक का लोकार्पण किया गया वहीँ उत्तरजन टुडे द्वारा उत्तराखंड में विभिन्न विधाओं व कार्यसंस्कृतियों पर निरंतर कार्य करते आ रहे अपने अपने कार्यक्षेत्रों में अतुलनीय योगदान के लिए लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी और कमिश्नर पांगती ने उद्यमी मोहन काला, पूर्व आईजी एसएस कोठियाल, उद्यमी सुनील उनियाल, उद्यमी दिनेश चमोली, डा. जयंत नवानी, कमला पंत, इरा कुकरेती, रघुवीर बिष्ट, फिल्म अभिनेता/निर्देशक अविनाश ध्यानी, समाजसेवी कविंद्र इस्टवाल, पीज्जा इटालिया की संचालिका शिल्पा भट्ट बहुगुणा को सम्मानित किया गया।

इस सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपनी भूमिका निभा रहे सुप्रसिद्ध लोकगायक, रचनाकार व कवि नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने संबोधन में वर्तमान मीडिया को कटघरे में खड़ा करते हुए मीडिया की इस कार्य संस्कृति पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि वर्तमान में मीडिया ने अपनी विश्वसनीयता खोई है!
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मीडिया अपने वास्तविक स्वरुप से भटककर खेमों में बंट गया है! और ये खेमे राजनीति के ऐसे खेमे हैं जिन्होंने मीडिया से आंकड़ों की बाजीगरी छीन ली है! दर्शक उहापोह की स्थिति में हैं कि जो दिखाया जा रहा है वह सच भी है या नहीं इसलिए वे एक से दूसरा दूसरे से तीसरा समाचार चैनल बदलता रहता है और यही स्थिति प्रिंट मीडिया की भी बनी हुई है! उन्होंने कहा जबकि आज से 30 बर्ष पूर्व जो कुछ भी मीडिया द्वारा अखबारों व टीवी के माध्यम से आम जन तक पहुंचता था वही सही उअर सत्य माना जाता था क्योंकि तब मीडिया बहुत सजगता के साथ अपनी जिम्मेदारियां निभाता दिखाई देता था!

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि जो मीडिया में पढ़ाया जा रहा है, समाझाया जा रहा है या फिर मीडिया द्वारा परोसा जा रहा है उसकी विश्वसनीयता कितनी है? उन्होंने उत्तरजन टुडे के तीन साल पूरे होने पर उत्तरजन की पूरी टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उत्तरजन विश्वसनीयता बनाए रखेगा क्योंकि उत्तरजन द्वारा सक्सेस स्टोरीज पर ज्यादा जोर दिया गया है जो सकारात्मकता दर्शाता है इस से लोग प्रेरणा लेंगे!
उन्होंने कहा कि वे आश्चर्यचकित हुए जब उन्हें पांगती जी की पुस्तक के अनावरण के लिए चयनित किया गया! उन्होंने बताया कि सच कहूँ तो मैं डरा हुआ भी था क्योंकि जब पांगती जी गढ़वाल कमिश्नर थे तब वे मेरे बॉस भी थे और जिस बिषय पर यह किताब केन्द्रित है वह तन्त्र-मन्त्र उनके लिए डरावना बिषय है! मैं इसीलिए डरा हुआ भी था कि तन्त्र साधना के लोकार्पण के लिए मैं चुना गया! कहीं बलि का बकरा न बन जाऊं! क्योंकि हमारे यहाँ तन्त्र मन्त्र से हमें बचपन से ही दूर रखा जाता रहा है क्योंकि इसके साधक व साधना बेहद जटिल है!
उन्होंने कहा कि पांगती जी ने इतना जटिल बिषय क्यों चुना और कैसे इस पर काम किया यह आश्चर्यजनक है! लेकिन उन्होंने समाज को एक ऐसी पुस्तक उपलब्ध करवाई है जो यकीनन समाज के लिए बेहद दुर्लभ कही जा सकती है! अंत में उन्होंने “ठंडो रे ठंडो मेरा पाडै की हवा ठंडी पाणी ठंडो” गीत के स्थायी व आन्तरा गाकर अपना संबोधन समाप्त किया!
इस से पूर्व मंचासीन लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी और कमिश्नर पांगती ने उद्यमी मोहन काला, पूर्व आईजी एसएस कोठियाल, इरा कुकरेती, रघुवीर बिष्ट ने भी अपने विचार व्यक्त किये! मंच संचालन की जिम्मेदारी बारी बारी से श्रीमती कमला पन्त, नेहा बिष्ट, बर्षा सिंह व गुणानंद जखमोला ने किया ! अंत में उत्तरजन टुडे के सम्पादक पीसी थपलियाल ने अपने संबोधन में पत्रिका के तीन बर्षों के कार्यकाल व कार्यसंस्कृति के बारे में जानकारी देते हुए गुणानन्द जखमोला व उनकी पूरी टीम की प्रशंसा की व कार्यक्रम में पहुंचे लोगों का आभार व्यक्त किया!