माकुड़ी बंगाण उत्तरकाशी की पहली आईएएस सुमन रावत।
(वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल सिंह गुसाईं की कलम से)
सुमन रावत की यह तस्वीर सितंबर 2010 की है। जब वह आईएएस में चयनित होने के बाद अपने इंटरमीडिएट कालेज ओंकारा नंद सरस्वती मुनिकीरेती ऋषिकेश में पहुँची थीं।छात्रों को उन्होंने अपनी कथा बताई कि कैसे वह इस सबसे बड़ी परीक्षा में निकली थीं। सुमन रावत, बहुत साधारण परिवार की लड़की है। पिता उत्तराखण्ड पुलिस में रेडियो स्टेशन ऑफिसर श्री मदन सिंह रावत की जहाँ जहाँ ड्यूटी लगी, वहाँ वहाँ सुमन का बस्ता भी चला। 10 मई 1984 को जन्मी सुमन की शुरूआती शिक्षा SFF आर्मी स्कूल चकराता में हुई। फिर ओंकार नंद कालेज ऋषिकेश हुई। यूजी करने दौलत राम कालेज दिल्ली चले गई। पीजी एमए, एमफिल उन्होंने हिन्दू कालेज दिल्ली से किया। सिविल सेवा की प्रा रम्भिक तैयारी करते ही उन्होंने, 26 साल की उम्र में 2010 में आईएएस निकाल दिया था। वो भी सामान्य में 44 वीं रैंक। तब रवांई ओबीसी केंद्रीय सूची में नहीं था।यदि होता भी तो इनकी रैंक बहुत हाई थीं।
सुमन के बैच की एक आईएएस अधिकारी जो आजकल उत्तराखंड में डीएम है कि रैंक 215 थीं। वह आईएएस में इसलिए आई कि वह ST थीं। यदि वह सुमन की तरह सामान्य वर्ग से होती, तो IRS में सरक जाती। खैर, अब रवांई सहित उत्तरकाशी 2012 से OBC केंद्रीय सूची में आ गया है।
इन दिनों सुमन रावत, महाराष्ट्र में स्टेट लवली हुड मिशन की CEO है। उन्हें बड़ा तेज तर्रार अफ़सर माना जाता है। वह कई महत्वपूर्ण पद पर रही हैं। सुमन रावत, खास कर उन साधारण परिवार के लिए एक रास्ता हो सकती है जिनके पास दिमाक है लेकिन सही गाइडेंस नहीं है। मोरी इलाका, उत्तरकाशी में विकास न होने वाला छेत्र माना जाता है। अब तो काफी सुविधाएं वहाँ पहुँच गई है। लेकिन किसी पटवारी को दंडित करना हो,तो मोरी भेजा जाता है। पास में हिमाचल है। वहाँ की मोबाइल की कनेक्टिविटी का लाभ आराकोट बंगाण लेता है। हिमाचल में शानदार सड़के हैं। हॉस्पिटल अच्छे हैं। डॉक्टरो को गांव में रहना पसंद हैं। हिमाचल के दूरस्थ इलाकों में फोन की अच्छी केनेक्टक्विटी इसलिए भी बढ़िया है वहाँ सुख राम पैदा हुए। लेकिन सुमन रावत, उत्तरकाशी के इस दूर के इलाके में हीरा निकली। जिन्होंने पहला आईएएस बनने का इतिहास बनाया है।
सुमन रावत, बचपन में अपने पिता को देखती, थीं ड्यूटी करते। पुलिस में अनुशासन तो होता ही है। चाहे वो किसी पद पर हो।
आईपीएस की वहां बहुत इज्जत,रसूख है।उन्होंने ठान लिया था, वह प्रशासनिक सेवा में जायेगी और सोच के अनुसार चयनित भी हुई। उन्होंने अपने पिता का सपना साकार किया। सुमन लाखों में एक है,जो साधारण घर से निकली, अपने मुकाम तक पहुँची है।
उत्तरकाशी की इस गौरव को हमें अपने संकलन में शामिल करना अच्छा लग रहा है।