महाराज के कंधे पर ढोल! हरिद्वार में गूंजा 1214 ढोलों का ब्रह्मनाद!
हरिद्वार 6 अगस्त (हि. डिस्कवर)
हो सकता है कि हम ढोलों का विश्व रिकॉर्ड बनाने में कामयाब हो जाएँ क्योंकि अभी तीन दिन और हैं जब इतने सारे ढोलों की सामूहिक प्रस्तुति से पूरा हरिद्वार गुंजायमान होगा! उत्तराखंड संस्कृति विभाग की इस अनूठी पहल का निर्देशन संभाल रहे सुप्रसिद्ध जागर गायक व ढोलसागर ज्ञाता प्रीतम भरतवाण से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने बताया कि आज गुनीजनों के बीच ढोल का प्रथम सत्र तीन घंटे व द्वीतीय सत्र भी तीन घंटे चला.
सर्वप्रथम ढोल पूजा (पिठाई दक्षिणा) के बाद जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण द्वारा धुन्याल बजाई गयी. फिर सामूहिक रूप से धुन्याल वादन किया गया. तत्पश्चात चलत चाल में उकाळ-उंधार, फिर नौबत शबद एवं अंत में गुनीजनों द्वारा ढोल की विभिन्न तालों का वादन प्रस्तुत किया गया!
ज्ञात हो कि धुन्याल की ताल बजाते समय प्रीतम भरतवाण के साथ जुगलबंदी के लिए प्रदेश के पर्यटन एवं धर्म संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने ढोल कंधे पर टांग इस कार्यशाला का शुभारम्भ किया व समस्त ढोल वादकों को ढोल पिठाई प्रेमाश्रम धाम की ओर से लगाईं गयी!
संस्कृति विभाग की निदेशक सुश्री बीना भट्ट ने जानकारी देते हुए कहा कि यह धर्म संस्कृति मंत्री की अगुवाई में किया जा रहा एक अनूठा आयोजन है जिस से लोक संस्कृति के संरक्षण आवजी समाज के लोगों का मनोबल बढ़ा है. उन्होंने बताया है कि अभी तक 1214 गुनिजन(ढोलवादक) अपनी कला का प्रदर्शन करने हरिद्वार पहुंचे हैं जिन्हें प्रतिदिन रूपये 500 मानदेय दिया जाएगा! उन्होंने बताया कि आगामी 9 अगस्त को इसका सामूहिक प्रदर्शन देखने को मिलेगा जो अपने आप में अद्वितीय व अतुलनीय होगा!
ज्ञात हो कि अभी प्रदेश भर से पहुंचे गुनीजनों का ढोल सागर की तालों के साथ जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के नेतृत्व में कार्यशाला प्रशिक्षण चल रहा है जिसे 9 अगस्त को हरिद्वार स्थित प्रेमाश्रम में संस्कृति विभाग आम जन के प्रदर्शन के लिए प्रस्तुत करेगा!