भैलो खेलने धरना स्थल पर जुटेंगे उत्तराखंडी! अचानक करना पड़ा स्थान परिवर्तन!

देहरादून 6 नवम्बर 2019(हि. डिस्कवर)

आखिर लोकसंस्कृति व लोक समाज के चितेरों को अक्ल आ ही गई क्योंकि अपने हाथ से रेत की तरह फिसलते सामाजिक मूल्यों व सांस्कृतिक लोक त्यौहारों के प्रति अपने लोगों की ही उदासीनता देखकर सबको लगने लगा है कि अब जरुरी है कि अस्थायी राजधानी देहरादून में भी जनजागरूकता फैलाई जाय! अंधेरा छांटने के लिए व प्रदेश सरकार की आँखें खोलने के लिए आखिर इगास के भैलो से महत्वपूर्ण हो क्या सकता है!

विगत दो दिन पहले तक यही कार्यक्रम हरिद्वार रोड हुंडई शो रूम के पास आयोजित किया जा रहा था लेकिन अचानक ही आयोजन स्थल के पास एक जवान लड़के की मौत के कारण इसका स्थान परिवर्तन करना पड़ा है! अब यह आयोजन हिंदी भवन, धरना स्थल, तिब्बती बाजार,परेड ग्राउंड के पास आयोजित हो रहा है जिसमें उत्तराखंड का आम जनमानस शिरकत करने जा रहा है और साथ ही यह सन्देश भी देना चाहता है कि बिहारी छट पूजा की तरह हमारे लोक-त्यौहारों का भी सम्मान हो!

आयोजक कौन है और कौन क्या क्या भागीदारी करना चाहते हैं? इस पर हमारा साफ़-साफ़ कहना है कि आयोजक हम और आप हैं ! इसमें हमने किसी राजनैतिक पार्टी को जानबूझकर शामिल नहीं किया है क्योंकि यह तो सभी उत्तराखंडी जनमानकी लोकपरम्पराओं का प्रतीक लोक त्यौहार है जिसमें शिरकत करने के लिए हम आम जनमानस के सहयोग की उम्मीद रख रहे हैं!

दो जोड़े ढोल दमाऊं, अरसे पकोड़े व चाय के साथ धूमधाम से भैलो खेला जाएगा, पंडो नृत्य के कदम थिरकेंगे व बिना वायु प्रदुषण के हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं में किस तरह की दीवाली मनाई जाती है उसका एक उदाहरण हम देश दुनिया को अपने माध्यम से देने का प्रयत्न करेंगे ताकि वर्तमान सरकार व आने वाली सरकारों को इस बात का आभास हो कि जिस उत्तराखंड के नाम पर हम सरकारें चला रहे हैं उसके जनमानस की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए उन्हें क्या पहल करनी चाहिए!

इस कार्यक्रम को अपने-अपने अपने माध्यम से सहयोग प्रदान करने के लिए कई समाजसेवी संस्थाएं व संस्कृति प्रेमी सामाजिक कार्यकर्ता एकजुट हुए हैं! जिनमें निओ विजन के गजेन्द्र रमोला व उनका परिवार, बद्रीकेदार सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष मनोज इष्टवाल व उनकी टीम, गढ़भोज के लक्ष्मण रावत व उनके सभी मित्र, गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल व उनकी टीम, विचार एक नयी सोच …! के सम्पादक राकेश बिजल्वाण व उनकी टीम, सामजिक कार्यकर्ता व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के ओएसडी विनोद रावत, स्वामी दर्शन भारती, पत्रकार आशीष नेगी, गौरव इष्टवाल इत्यादि इस कार्यक्रम की सफलता के लिए अपनी अपनी तरफ से आर्थिक सहयोग दे रहे हैं!

गढ़भोज के लक्ष्मण सिंह रावत ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि वे कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनके पड़ोस में ही यह घटना घटी है इसलिए कार्यक्रम स्थल को तब्दील किया जा रहा है! वहीँ निओ विजन के गजेन्द्र रमोला द्वारा अपने गाँव आगराखाल से दो जोड़ी ढोल दमाऊं व लगभग 20 जोड़ी भैलो मंगवाए गए हैं साथ ही अरसे व पकोड़े भी आगराखाल से ही बनकर आ रहे हैं!

बद्रीकेदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थान के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल ने कहा है कि यह “इगास का भैलो” पूर्णत: सामाजिक है अत: यह किसी भी व्यक्तिगत राजनीति से प्रेरित नहीं है और यही कारण भी है कि हमारे द्वारा किसी राजनैतिक व्यक्ति को कार्यक्रम में आमत्रित नहीं किया गया है! हाँ अगर कोई अपनी इच्छा से उत्तराखंड के जनमानस की भावनाओं को समझकर कार्यक्रम में अपनी भागीदारी निभाता है तो उस हर राजनेता का स्वागत है क्योंकि यह हमारी धर्म संस्कृति का वह विजय घोष लोक त्यौहार है जिसे अस्कोट से आराकोट या फिर पिंडारी से चाईशिल तक का हर जनमानस मनाता आया है!

इगास के भैलो के लिए जुटे हम और आप टीम ने हर उस उत्तराखंड के जनमानस से अपील की है कि इसके लिए आप जिस रूप में भी जुटना चाहते हैं जुटें ताकि हम अपने तीज त्यौहारों की लोकपरम्पराओं से अन्य समाज को भी प्रेरणा दे सकें जैसे हम छट, करवा चौथ इत्यादि से प्रेरणा ले रहे हैं!

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