भीमल की चप्पल और कंडाली की जैकेट -फ्रांस तक पहुंची उत्तराखंड के उत्पादों की धमक।

भीमल की चप्पल और कंडाली की जैकेट
-फ्रांस तक पहुंची उत्तराखंड के उत्पादों की धमक।

(वरिष्ठ पत्रकार घना नन्द जखमोला की कलम से)
जी हां, क्या आप जानते हैं गांव में हम जिस भीयूंल यानी भीमल के रेशे उतारकर लकड़ी जलाने के काम में लाते हैं और रेशे फेंक देते हैं। उसी भीमल के रेशे से मजबूत और आरामदेह स्लीपर बन सकती हैं। ये स्लीपर जहां सालों साल चलती हैं वही ब्लड प्रेशर को नार्मल बनाने में भी सहायक होती हैं।

हाल में प्रदेश के उद्योग निदेशालय को फ्रांस से भीमल से बनी 2000 स्लीपर का आर्डर मिला जिसे भेज भी दिया गया है। डिप्टी डायरेक्टर शैली डबराल बताती हैं कि भीमल की स्लीपर को देश में भी खूब पसंद किया जा रहा है। इन स्लीपर को ऋषिकेष का एक एनजीओ तैयार कर रहा है।

इसी तरह से जिस कंडाली को हम छूने से भी डरते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उसी कंडाली की जैकेट रेशम से भी अधिक महीन और खूबसूरत होती है। यह जैकेट बहुत हलकी और गरम होती है। कंडाली की यह जैकेट चमोली और किमसार में बन रही है। इसके अलावा तांबे के वर्तनों और बदरीनाथ और केदारनाथ की प्रतिमूर्तियों की भी भारी डिमांड है।

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