भाव राग ताल नाट्य अकादमी ने बावन गढ़ गीत गाकर की लोकगायक नेगी के स्वास्थ्य की कामना।

पिथौरागढ़ 2 जुलाई (हि.डिस्कवर)
“माधौ सिंह भंडारी” नामक  नाटक अगर कुमाऊँ मण्डल की कोई नाट्य संस्था कर रही हो तो यह पूरे प्रदेश के लिए बेहद सुखद है क्योंकि ये क्रम चलना चाहिए ताकि दो अलग-अलग संस्कृतियों के बारे में गढ़ कुमाऊँ के लोग आपस जानें।


पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इसकी पहल करवा चुके हैं । उन्होंने हरेला व झुमैलो दो अलग विधाओं को प्रदेश स्तर पर उठाकर इन दो संस्कृतियों को करीब लाने का बेहतर प्रयास किया है जिस से विगत बर्षों से गढ़ कुमाऊँ के जन मानस को एक दूसरे को न सिर्फ समझने का मौका मिला है बल्कि अब दोनों में निरन्तर रोटी-बेटी के सम्बंध कायम होने लगे हैं।

यही बागडोर अब रंग व नाट्यकर्मियों ने अपने हाथों में ले ली है। भाव राग ताल नाट्य अकादमी पिथौरागढ़ द्वारा प्रस्तुत ” माधौ सिंह भंडारी” नामक नाटक को पिथौरागढ़ जैसे शहर में प्रदर्शित कर रहे निर्देशक कैलाश कुमार की टीम सचमुच गढ़वाल के इस वीर भड़ पर बेहतरीन प्रस्तुति दे रही है।

माधौ सिंह भंडारी नामक इस नाटक की पटकथा डॉ. अनिल कार्की, संगीत संरचना धीरज कुमार, सह निर्देशन प्रीति रावत एवम परिकल्पना एवं कैलाश कुमार की है। कैलाश कुमार के निर्देशन में यह अकादमी पूर्व में भी पिथौरागढ़ में कई नाटकों का मंचन कर चुकी है।

नाटक की पटकथा की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि यह त्रिभाषी है जिसमें हिंदी गढ़वाली व कुमाऊँनी का शानदार मिश्रण किया गया है। सशख़्त अभिनय व मंच व्यवस्था इत्यादि का बेहतर तालमेल जहां एक ओर देखने को मिला कहीं एक संदेश बहुत ही खूबसूरती से देने की कोशिश की गई है कि किस तरह प्रजा के प्रति जब उसका पालक आंखें मूंद लेता है तब ऐसे वीर अपने स्वाभिमान व प्रजा के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। माधौ सिंह भंडारी को मलेथा तक पानी लाने के लिए जब राजा महिपत शाह से कोई सहायता नहीं मिलती तब वह किस तरह अपने बेटे की बलि देने के पश्चात जनसहयोग से मलेथा की सूखी धरती पर गूल निर्माण करता है और युग पुरुष बन जाता है।

ऐसे कई और प्रकरण भी आये हैं जब सरकारी दावों से हताश निराश जनता ने स्वयं अपने आत्मबल धनबल और बाहुबल से युग निर्माण की बागडोर अपने हाथ ली हो। पौड़ी गढ़वाल का चौंदकोट जन शक्ति मार्ग भी एक ऐसा ही उदाहरण है ।

(लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के शीघ्र स्वास्थ्य होने की कामना करते भाव राग ताल नाट्य अकादमी के नाट्यकर्मी)
नाटक के अंत में इन नाट्य कर्मियों द्वारा वीर भड़ु कु देश बावन गड़ु कु देश, जय जय बद्री केदार गढ़ भूमि गढ़ नरेश गीत गाकर जहाँ मैक्स हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के स्वास्थ्य की मंगल कामना की वहीं इसके निर्देशक कैलाश कुमार ने कहा कि यही एक प्रेरणा हम सबके लिए है कि हम मंचों में ऐसी प्रस्तुति बार-बार लाएं जो देश समाज व संस्कृति के मूल्यों से हमें अवगत करवाती रहे। माधौ सिंह भंडारी जैसे वीर ने जहां अपनी भुजाबल से “एक सिंह रण बण, एक सिंह गाय का, तीसरा सिंह माधौ सिंह चौथा सिंह काहे का” कहावत विगत 400 बर्षों तक जीवित रखी वहीं विगत सदी से लेकर वर्तमान सदी तक लोक संस्कृति व लोक समाज के लिए अपनी जिंदगी लगा देने वाले युग पुरुष जन नायक नरेंद्र सिंह नेगी के स्वास्थ्य की मंगल कामना के लिए उनकी नाट्य संस्था भाव राग ताल नाट्य अकादमी एकजुट होकर राष्ट्रीय संग्रहालय प्रेक्षागृह पिथौरागढ़ की माटी से उनके निरोग हेतु सन्देश प्रेषित करती है। ईश्वर उन्हें जल्दी निरोग बनाये।
माधौ सिंह भंडारी नामक इस नाटक में सूत्रधार डिगरदीप, माधौ सिंह रोहित यादव, पत्नी दीपा बिष्ट, भाभी अनीता बिटालू, गजे सिंह गीता वर्मा, बुढया जी राजकिशोर उस्ताद, राजा पवन सिंह भंडारी, मंत्री दीपक मण्डल, चैतू सूरज सिंह, जौलिया तरुण शर्मा, महात्मा अक्षय पन्त, तथा ग्रामीणों की भूमिका में मनोज थापा, प्रीति भंडारी, गणेश भट्ट इत्यादि ने भूमिका निभाई जबकि मंच संचालन नानू बिष्ट, प्रकाश व्यवस्था पुष्कर शरद, स्टेज मैनेजमेंट दीपा बिष्ट, अनिता बिटालू, रूप सज्जा रोहित यादव, सूरज सिंह, वस्त्र विन्यास डिगरदीप व पवन भंडारी, ध्वनि व्यवस्था काकू साउंड, बांसुरी जयप्रकाश चौखियाल, ढोलक उमेश कुमार, ढोल नगाड़ा कुंडल कुमार, डिगरदीप, कैलाश कुमार,नृत्य अनिता बिटालू, दीपक मण्डल, प्रस्तुति सहायक कौशल भारत व शुभम कार्की, विज्ञापन व प्रसार फाइनल कट मल्टीमीडिया इत्यादि प्रमुख हैं।
 

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