भक्ति भाव से मनाया गया भोलेजी महाराज का जन्मोत्सव

नई दिल्ली (हि. डिस्कवर)।


आज हमारा समाज अनेक बुराईयों का गढ़ बनता जा रहा है। जिसके चलते मनुष्य अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। मनुष्य के मन में शांति नहीं है। वह भटक रहा है। जिसके चलते आपसी प्रेम तथा सदभाव नहीं है और इसका असर हमारे परिवारिक रिश्ते-नातों पर पड़ रहा है। जिसके चलते लोगों में हताशा एवं निराशा का भाव बढ़ता जा रहा है। इस तरह के वातावरण को दूर करने के लिए हमें अपने संत-महापुरफषों के अध्यात्म ज्ञान को जीवन में आत्मसात करना होगा। अध्यात्म ज्ञान सभी धर्मों एवं धर्मशास्त्रों का मूल है। उक्त विचार हंस फाउंडेशन एवं हंस कल्चर सेंटर के प्रेरणास्रोत श्रीभोले जी महाराज ने दिल्ली के छत्तरपुर स्थित हंस लोक आश्रम में अपने जन्मोत्सव के मौके पर आयोजित विशाल सत्संग में व्यक्त किए।
संत महापुरुष आध्यात्मिक गुरू एवं समाजसेवी श्री भोले जी महाराज का पावन जन्मोत्सव तथा गुरु पूर्णिमा का पर्व श्री हंसलोक आश्रम, छतरपुर में श्रद्धा, प्रेम और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। इस मौके पर कई धर्मिक, सामाजिक व राजनैतिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों, गणमान्य नागरिकों, संत-महात्माओं तथा श्रद्धालु-भक्तों ने श्री भोले जी महाराज को यशस्वी व दीर्घायु होने की शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु एवं संत-महात्मा शामिल हुए।
इस अवसर माताश्री मंगला जी ने कहा कि बड़े परमार्थी होते हैं जो स्वयं कष्ट सहनकर लोगों को ज्ञान, सेवा और सत्कर्म के मार्ग पर लगाते हैं। संतों की पहचान उनके बाहरी रूप-रंग तथा वेशभूषा नहीं की जा सकती बल्कि उनकी पहचान अध्यात्म ज्ञान तथा सत्कर्मों से होती है। माताश्री मंगला जी ने श्री भोलेजी महाराज जी के जन्मोत्सव समारोह में उपस्थित संत-महात्माओं का आहवान किया कि वे देश के कोने-कोने में जाकर अध्यात्म ज्ञान का प्रचार करें जिससे समाज में प्रेम, शांति, एकता और सदभाव का वातावरण कायम किया जा सके।
आध्यात्मिक विभूति माताश्री मंगलाजी ने संत-महात्माओं व श्रदधलु-भक्तों की ओर से भोलेजी महाराज को बधई देते हुए कहा कि श्री हंसजी महाराज व माताश्री राजेश्वरी से हमारी प्रार्थना है कि वे यशस्वी हों, तेजस्वी हों, दीर्घायु हों तथा अपने भक्तों को ज्ञान व सेवा के मार्ग पर लगाकर उन्हें हमेशा आनंद देते रहें। उन्हेंने कहा कि भोलेजी का जैसा नाम है उसी के अनुरूप उनके अंदर गुण भी हैं। विनम्रता, सादगी तथा भोलेपन के कारण बचपन से ही उन्हें श्री हंसजी महाराज तथा माताश्री राजेश्वरी देवी का आशीर्वाद मिला और उन्हीं के आशीर्वाद से श्री भोलेजी महाराज के ज्ञान प्रचार एवं समाज सेवा के कार्य लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। माताश्री मंगलाजी ने कहा कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान शिव भक्ति, ज्ञान तथा मोक्ष के दाता हैं। वे छोटी सी सेवा-भक्ति से प्रसन्न होकर भक्त पर अहेतु की कृपा करते हैं लेकिन सेवा करते समय भक्त के अन्दर छल-कपट तथा अहंकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भक्त को अपने स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार, देश तथा समाज के कल्याण के लिए भगवान से मांगना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंख बंद करके भगवान शिव स्वयं जिस महामंत्र का जाप करते हैं हमें उस महामंत्र को समझना होगा। उस महामंत्र का ज्ञान समय के सद्गुरु महाराज देते हैं जिसका सुमिरण करके हम अपने जीवन का कल्याण कर सकते हैं।
समारोह में देश के विभिन्न भागों से आए कई संत-महात्माओं ने भी सत्संग विचारों से जनमानस को लाभान्वित किया।
इस मौके पर श्रीभोलेजी महाराज जी ने ‘हंस निकल गया पिंजरे से, खाली पड़ी रही तस्वीर’ तथा “तेरो जनम-मरण मिट जाए, हरि का नाम सुमरि प्यारे” आदि भजन गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही उत्तराखण्ड से आए भजन गायक चन्द्रशेखर पंत एवं साथियों ने भगवान शिव, गुरुपर्व तथा सत्संग की महिमा से जुड़े भजन प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

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